समस्तीपुर: समस्तीपुर जिले के ताजपुर प्रखंड मुख्यालय से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर रामापुर महेशपुर पंचायत के केंद्र में बना पुराना जंगलहिया पोखर नाम के अनुरूप ही यह पोखर चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ था. साल 2019 में इस पोखर के दिन लौट आए. प्रदेश में पर्यावरण संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन हरियाली योजना के तहत करोड़ों की लागत से इस जंगलिया पोखर को जल जीवन हरियाली पार्क में तब्दील किया गया.
पार्क बनाने में 4 करोड़ खर्च: बता कि पार्क का सौन्दर्यीकरण करने में 4 करोड़ रुपए की खर्च की गई. पोखर के चारों तरफ पक्की खूबसूरत टाइल्स लगी सीढ़ी, जॉगिंग ट्रैक, जिम पार्क, खूबसूरत फूलों के बगीचे के बीच बैठने के लिए बेंच व मुख्य सड़क से इस पार्क तक आने वाली सड़क को भी चमका दिया गया. 12 दिसंबर 2019 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल जीवन हरियाली यात्रा के दौरान इस उद्यान का उद्घाटन किया.
कुछ महीने लोगों से गुलजार रहा पार्क: वैसे उद्घाटन के कुछ महीनों तक यह पार्क लोगों से गुलजार रहा. आसपास के गांव ही नहीं जिले के दूरदराज के लोग भी यहां कुछ पल बिताने पहुंचते थे. पार्क के रखरखाव को लेकर उद्घाटन के साथ ही जिला प्रशासन व स्थानीय लोगों की एक कमिटी बनायी गयी थी. शुरूआती कुछ महीनों तक मेंटेनेंस की राशि समय पर मिलती रही और पार्क का मेंटेनेंस भी चलता रहा.
मेंटेनेंस बंद होने से पार्क बना जंगल: लेकिन उद्घाटन के महज कुछ ही महीने बाद से ही प्रशासनिक उदासीनता नजर आने लगी, जिसका यह नतीजा हुआ कि पार्क का मेंटेनेंस बंद हो गया. बहरहाल मेंटेनेंस के अभाव में करोड़ों की लागत से बना यह जल जीवन हरियाली पार्क जंगल में तब्दील होता चला गया. खूबसूरत पेड़ जंगल में बदल गए, चमकते टाइल्स जगह-जगह टूट गए, वहीं जॉगिंग ट्रैक और जिम पार्क का हाल बदहाल हो गया.
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि: वहीं इस बाबत जनप्रतिनिधियों से बातचीत की गई. इसको लेकर पंचायत समिति सदस्य की मानें तो अब किसी खास आयोजन के दौरान ग्रामीण स्तर पर चंदा के जरिए पार्क को संवारा जाता है. वहीं इस पार्क के मेंटेनेंस को लेकर बने जल जीवन हरियाली पार्क कमेटी के सचिव की मानें तो उनका कहना है कि पार्क के मेंटेनेंस को लेकर ब्लॉक व जिला मुख्यालय स्तर पर सभी वरीय अधिकारियों तक समस्या बताने के बावजूद भी कोई पहल नहीं की गई.
"पार्क पूरी तरह से जंगल में बदल चुका है. अब किसी खास आयोजन के दौरान ग्रामीण स्तर पर चंदा के जरिए पार्क को संवारा जाता है."- गणेश ठाकुर, ग्रामीण व पंचायत समिति सदस्य
प्रशासनिक उदासीनता की भेंट चढ़ा पार्क: बहरहाल जल जीवन हरियाली पार्क का वर्तमान हालात बताने के लिए काफी है कि यह प्रशासनिक उदासीनता का भेंट चढ़ गया. वहीं बड़ा सवाल है कि क्या पर्यावरण संरक्षण को लेकर बड़े तामझाम व करोड़ों की लागत से शुरू हुआ यह जल जीवन हरियाली योजना धरातल पर दम तोड़ रहा है ?
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