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समस्तीपुरः गंडक नदी के तटबंध के अंदर धड़ल्ले से हो रहा है अवैध निर्माण, बेपरवाह बना प्रशासन

जिले से होकर बहने वाली गंडक नदी का दोनों छोड़ अतिक्रमण की चपेट में है. भू माफिया नदी में प्लाटिंग कर धड़ल्ले से जमीन बेच रहे हैं. तटबंध के अंदर बड़े-बड़े मकान बने हैं.

गंडक नदी
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Published : Aug 16, 2019, 11:56 AM IST

समस्तीपुरः हाल ही में आए भीषण बाढ़ से प्रदेश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. समस्तीपुर जिले का भी एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में होने से लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं. बरसात के बाद लगभग हर साल यहां बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं. बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन बाढ़ के मानव निर्मित कारणों पर विचार करना जरूरी नहीं समझती.

समस्तीपुर
गंडक नदी

नदी में हो रही प्लाटिंग
जिले से होकर बहने वाली गंडक नदी का दोनों छोड़ अतिक्रमण की चपेट में है. भूृ-माफिया नदी में प्लाटिंग कर धड़ल्ले से जमीन बेच रहे हैं. तटबंध के अंदर बड़े-बड़े मकान बने हैं. जिससे नदी में पानी बढ़ने पर इसकी धार अवरुद्द होती है. इसी कारण कई बार धारा बहकती है और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है.

पूरी रिपोर्ट

'अवैध निर्माण के लिए हो रहा नक्शा पास'
सामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर सिंह ने कहा कि नगर परिषद के इंजीनियरों की मिलीभगत से तटबंध के अंदर बिके जमीन पर निर्माण के लिए नक्शा पास हो रहा है और गंडक की गोद में बड़े-बड़े होटल और घर बन रहे हैं. वहीं, इस मामले के जानकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद कहते हैं कि यह बहुत गंभीर विषय है. यदि तटबंध के अंदर का इलाका अतिक्रमण मुक्त हो जाता है तो निश्चित रूप से बाढ़ का खतरा कम हो जाएगा. सरकार को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

समस्तीपुरः हाल ही में आए भीषण बाढ़ से प्रदेश में जान-माल का भारी नुकसान हुआ है. समस्तीपुर जिले का भी एक बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में होने से लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं. बरसात के बाद लगभग हर साल यहां बाढ़ जैसे हालात हो जाते हैं. बाढ़ के बाद राहत और बचाव कार्य पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती है. लेकिन बाढ़ के मानव निर्मित कारणों पर विचार करना जरूरी नहीं समझती.

समस्तीपुर
गंडक नदी

नदी में हो रही प्लाटिंग
जिले से होकर बहने वाली गंडक नदी का दोनों छोड़ अतिक्रमण की चपेट में है. भूृ-माफिया नदी में प्लाटिंग कर धड़ल्ले से जमीन बेच रहे हैं. तटबंध के अंदर बड़े-बड़े मकान बने हैं. जिससे नदी में पानी बढ़ने पर इसकी धार अवरुद्द होती है. इसी कारण कई बार धारा बहकती है और बाढ़ की स्थिति पैदा हो जाती है.

पूरी रिपोर्ट

'अवैध निर्माण के लिए हो रहा नक्शा पास'
सामाजिक कार्यकर्ता जयशंकर सिंह ने कहा कि नगर परिषद के इंजीनियरों की मिलीभगत से तटबंध के अंदर बिके जमीन पर निर्माण के लिए नक्शा पास हो रहा है और गंडक की गोद में बड़े-बड़े होटल और घर बन रहे हैं. वहीं, इस मामले के जानकार डॉ सुरेंद्र प्रसाद कहते हैं कि यह बहुत गंभीर विषय है. यदि तटबंध के अंदर का इलाका अतिक्रमण मुक्त हो जाता है तो निश्चित रूप से बाढ़ का खतरा कम हो जाएगा. सरकार को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

Intro:कई वर्षों बाद इस साल गंडक की धारा काफी बेकाबू दिखी । वर्षो से इसके गोद मे बसे कच्चे मकानों का जंहा आस्तित्व खत्म हो गया , वंही इसके गोद मे नियमों को दरकिनार कर खड़े हो रहे बड़े मकानों की नींव तक हिल गयी । सवाल क्या इस बेकाबू धारा की एक वजह इसके राह में आने वाले ये रुकावट तो नही , और क्या इस बार इसके प्रकोप को देख , चेतेंगे इसके राह में अतिक्रमण कर कंक्रीट का जाल बिछाने वाले ।


Body:बीते कई वर्षों से शांत तटबंध से काफी दूर बहती बूढ़ी गंडक को सचमुच लोगों ने बूढ़ा समझ , इसके तटबन्ध के अंदर बड़े बड़े मकान बनाने शुरू कर दिए थे । नियमों को दरकिनार कर , बांध के अंदर झुग्गी झोपड़ी व कच्चे मकान तो जाने दे , बड़े बड़े कंस्ट्रक्शन इसके अंदर हो गए । यही नही सरकारी सांठगांठ का नतीजा यह हुआ की , इस बांध के अंदर प्लाटिंग कर जमीन तक बिकने लगे । लेकिन इस साल प्रकृति ने जिस तरह अपना प्रकोप दिखाया , गंडक की धारा जिस तरह बिकराल होकर तटबन्ध के अंदर गदर मचाया । शायद इन अतिक्रमणकारियों की आंख जरूर खुली होगी । वैसे इस वर्ष गंडक के इस रौद्र रूप के पीछे जंहा नेपाल में हुई भारी बारिश रही , वंही जानकर के अनुसार , उससे कंही ज्यादा इसके राह में होने वाले अतिक्रमण ने इसे विनाशकारी बना दिया । अगर इसके तटबन्ध के अंदर इसी अनुरूप छेड़छाड़ हुआ तो , अगले कुछ वर्षों में यह एक बड़े प्राकृतिक आपदा की वजह बन सकती है ।

बाईट - जयशंकर सिंह , समाजिक कार्यकर्ता ।
बाईट - डॉ सुरेंद्र प्रसाद , विशेषज्ञ ।


Conclusion:गौरतलब है की , शहर से सटे गुजरने वाली इस नदी के दोनों तटों पर , सरकारी सांठगांठ से बड़े भूमाफियाओं ने इस गंडक के गोद को बेचना शुरू कर दिया है । अगर यही हाल रहा तो , नदी की राह धीरे धीरे और भी संकुचित होते जायेगी ।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
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