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एक रुपये किलो बिक रही थी गोभी, किसान ने हरे-भरे खेत पर चलवा दी ट्रैक्टर - Muktapur news

मुक्तापुर इलाके में एक किसान ने फूलगोभी की फसल से हरे-भरे खेत की जुताई करवा दी. वह गोभी के बाजार भाव से काफी निराश था. बाजार में गोभी की कीमत एक रुपये किलो मिल रही थी.

बिहार में खेती
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Published : Dec 16, 2020, 10:21 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 12:48 PM IST

समस्तीपुरः जिले के मुक्तापुर इलाके के रहने वाले किसान ओम प्रकाश यादव ने 4 बीघे में गोभी लगाई थी. उन्नत किस्म के बीज का उपयोग किया था. उत्पादन भी बहुत बढ़िया हुआ. लेकिन फूलगोभी का बाजार में भाव बिल्कुल नहीं था. बाजार में एक रुपये किलो फूलगोभी बिक रही है. जबकि उसे खेत से काट कर बाजार पहुंचाने में उससे ज्यादा खर्च आ रहा था.

बाजार में गोभी का भाव नहीं होने की वजह से नाराज किसान ओम प्रकाश फूलगोभी के हरे-भरे खेत की जुताई करवा दी. उन्होंने बताया कि खेती में 400 रुपये प्रति कट्टा लागत आई थी. कुल 4 बीघे में गोभी लगाई गई थी. जिसमें हजारों रुपये खर्च आए थे. उन्होंने इसके लिए बैंक से लोन भी लिया था.

देखें वीडियो

बैंक का है 3 लाख का कर्ज- किसान
ओम प्रकाश ने बताया कि उन्होंने जैविक विधि से खेती की थी. लेकिन बाजार में बेचने पर लागत मूल्य भी नहीं निकल रहे थे. इस से दूखी होकर फसल नष्ट करवा दी. उन्होंने बताया कि उन्होंने खाते के लिए बैंक से 3 लाख रुपये कर्ज लिया हुआ था. अब उन्हें खर्च चुकाने को लेकर चिंता हो रही है. उन्होंने बताया कि पिछली बार गेहूं की भी फसल नष्ट हो गई थी और अनुदान के नाम पर महज एक हजार रुपये ही मिले थे.

समस्तीपुरः जिले के मुक्तापुर इलाके के रहने वाले किसान ओम प्रकाश यादव ने 4 बीघे में गोभी लगाई थी. उन्नत किस्म के बीज का उपयोग किया था. उत्पादन भी बहुत बढ़िया हुआ. लेकिन फूलगोभी का बाजार में भाव बिल्कुल नहीं था. बाजार में एक रुपये किलो फूलगोभी बिक रही है. जबकि उसे खेत से काट कर बाजार पहुंचाने में उससे ज्यादा खर्च आ रहा था.

बाजार में गोभी का भाव नहीं होने की वजह से नाराज किसान ओम प्रकाश फूलगोभी के हरे-भरे खेत की जुताई करवा दी. उन्होंने बताया कि खेती में 400 रुपये प्रति कट्टा लागत आई थी. कुल 4 बीघे में गोभी लगाई गई थी. जिसमें हजारों रुपये खर्च आए थे. उन्होंने इसके लिए बैंक से लोन भी लिया था.

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बैंक का है 3 लाख का कर्ज- किसान
ओम प्रकाश ने बताया कि उन्होंने जैविक विधि से खेती की थी. लेकिन बाजार में बेचने पर लागत मूल्य भी नहीं निकल रहे थे. इस से दूखी होकर फसल नष्ट करवा दी. उन्होंने बताया कि उन्होंने खाते के लिए बैंक से 3 लाख रुपये कर्ज लिया हुआ था. अब उन्हें खर्च चुकाने को लेकर चिंता हो रही है. उन्होंने बताया कि पिछली बार गेहूं की भी फसल नष्ट हो गई थी और अनुदान के नाम पर महज एक हजार रुपये ही मिले थे.

Last Updated : Dec 17, 2020, 12:48 PM IST
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