मसौढ़ी: कल तक जो काम सिर्फ पुरुषों के लिए था, अब वह काम महिलाओं ने अपने हाथों में ले लिया है. दरअसल राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी के भैसवां पंचायत में पशु सखी के रूप में प्रियंका पूजा भारती कमाल का काम कर रही हैं. वो गांव-गांव में घूमकर पशुओं का बंध्याकरण, टीकाकरण और इलाज करती है.
प्रियंका 4 साल पहले जीविका दीदी से जुड़ी: पशु सखी बनकर कई महिलाओं के जीवन में बदलाव दिख रहा है, वह अब आत्मनिर्भर बन गई हैं. ऐसे ही मसौढ़ी की रहने वाली प्रियंका 4 साल पहले जीविका दीदी से जुड़कर अपने जीवन में बदलाव लेकर आई हैं. पहले कभी महिलाएं जो सिर्फ घर में रहकर सपने देखा करती थीं, आज उन सपनों को वह जी रही हैं.
प्रियंका बनी पशु सखी: प्रियंका पशु सखी बनाकर पशुओं सेवा कर रही हैं, वो उनकी देखभाल का हिस्सा बन गया है. यह सेवा का जज्बा और उनकी मेहनत का नतीजा है कि तकरीबन 15 गांव के 500 से अधिक छोटे मवेशियों के लिए वह पशु सखी है. प्रियंका की माने तो बकरी, भेड़, गाय का टीकाकरण, बंध्याकरण समेत कई बीमारियों का इलाज करती है.
![Pashu Sakhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23511288_mmm.jpg)
एक पशु को इलाज का कितना लेती हैं पैसा?: यह बदलाव की कहानी प्रियंका की है, जिनके पति बाहर मजदूरी किया करते हैं. ऐसे में वह जीविका से जुड़कर प्रशिक्षण लेकर मवेशियों का इलाज करती हैं. खास कर बकरी पालन करने वाले पालकों की गांवो में ज्यादा संख्या है, इस लिए ज्यादा फोकस बकरी पर ही है. बहरहाल कल तक जो काम सिर्फ पुरुषों के हाथों में था जैसे बंध्याकरण, सीमेन फिलिग वह अब महिलाओं ने अपने हाथों में संभाल लिया है. पशुओं के इलाज के बदले में उन्हें एक मवेशी का पहले 50 रुपया मिलता था, जो अब 100 रुपया हो गया है.
![Pashu Sakhi](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-02-2025/23511288_mas.jpg)
प्रियंका के जिम्मे 15 गांव: यह न केवल चंद पैसों कि बल्कि महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की कहानी है. महिलाएं अपने मेहनत के बदौलत आगे बढ़ रही हैं और अब स्वावलम्बी बन रही हैं. प्रियंका बताती हैं एक दिन में कम से कम दो गांव रोजाना घुमती हैं और पशुओं की देखभाल करती हैं. प्रियंका पंद्रह गांव की पशु सखी हैं.
"पिछले 4 साल से तकरीबन 15 गांव में पशु सखी बनकर भेड़, बकरी और मवेशियों का बंध्याकरण, टीकाकरण और इलाज कर रही हूं. जीविका से जुड़कर आत्मनिभर बन रही हूं और अब गांव में पशु सखी के रूप में काम कर रही हूं."- प्रियंका पूजा भारती, पशु सखी, भैंसवां मसौढ़ी
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