समस्तीपुर: सड़कों पर सुरक्षित परिचालन को लेकर परिवहन विभाग ने कई ठोस कदम उठाए हैं. लेकिन जिला परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण सड़कों पर सैकड़ों अनफिट वाहन बिना किसी रोक-टोक के दौड़ रहे हैं. जिस वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है.
'17 हजार से अधिक गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में फेल'
आंकड़ों के अनुसार केवल समस्तीपुर की सड़कों पर 17 हजार से ज्यादा फिटनेस फेल वाहन दौड़ रहे हैं. इन गाड़ियों की फिटनेस जांच को लेकर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिस वजह से सड़कों पर ये वाहन बेखौफ फर्राटा भर रहे हैं.
'कागजों पर होता है फिटनेस टेस्ट'
बताया जा रहा है कि विभाग की ओर से कोई माकूल व्यवस्था नहीं होने की वजह से विभाग सरकारी कागजों पर वाहनों का फिटनेस टेस्ट करती है. जिस वजह से ऐसी कई गाड़ियां सड़कों पर बेरोकटोक फर्राटा भर रही है. इस मामले पर जिले के डीटीओ का कहना है कि विभाग की ओर से समय-समय पर वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है. जिला परिवहन विभाग अनफिट गाड़ियों के परिचालन पर गंभीर है.
'बड़ी दुर्घटनाओं का कारण है फिटनेस फेल गाड़ियां'
इस मामले पर संबंधित क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि जिले में बढ़ते दुर्घटना के आंकड़ें परिवहन विभाग की चुस्ती की पोल खोल रहा है. फिटनेस फेल गाड़ियां बड़ी दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं. ऐसे वाहनों से पर्यावरण को भी खतरा रहता है.
ऐसे होती है वाहनों की जांच
मोटरयान निरीक्षक निजी और व्यावसायिक ट्रक, बस, डंपर समेत अन्य वाहनों के इंजन, चेचिस और नंबर प्लेट की जांच करते हैं. जिसके बाद वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, धुंआ, टायर, ब्रेक, बॉडी की जांच की जाती है. इसके आलावा इंडीकेटर जलता हो, मोबिल आयल लीक न हो, हार्न बजता हो, इसकी जांच के बाद ही चालक को वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है.
ये है नियम
सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 1989, 62 (1) के मुताबिक निजी वाहनों के फिटनेस की जांच 15 साल पर और व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस की जांच हर साल की जानी है.