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समस्तीपुर: वाहन फिटनेस जांच में परिवहन विभाग का 'खेल', सड़क सुरक्षा फेल

संबंधित क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि जिले में बढ़ते दुर्घटना के आंकड़ें परिवहन विभाग की चुस्ती की पोल खोल रहा है. फिटनेस फेल गाड़ियां बड़ी दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं. ऐसे वाहनों से पर्यावरण को भी खतरा रहता है.

परिवहन विभाग
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Published : Jan 31, 2020, 7:23 PM IST

Updated : Jan 31, 2020, 8:05 PM IST

समस्तीपुर: सड़कों पर सुरक्षित परिचालन को लेकर परिवहन विभाग ने कई ठोस कदम उठाए हैं. लेकिन जिला परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण सड़कों पर सैकड़ों अनफिट वाहन बिना किसी रोक-टोक के दौड़ रहे हैं. जिस वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है.

'17 हजार से अधिक गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में फेल'
आंकड़ों के अनुसार केवल समस्तीपुर की सड़कों पर 17 हजार से ज्यादा फिटनेस फेल वाहन दौड़ रहे हैं. इन गाड़ियों की फिटनेस जांच को लेकर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिस वजह से सड़कों पर ये वाहन बेखौफ फर्राटा भर रहे हैं.

'कागजों पर होता है फिटनेस टेस्ट'
बताया जा रहा है कि विभाग की ओर से कोई माकूल व्यवस्था नहीं होने की वजह से विभाग सरकारी कागजों पर वाहनों का फिटनेस टेस्ट करती है. जिस वजह से ऐसी कई गाड़ियां सड़कों पर बेरोकटोक फर्राटा भर रही है. इस मामले पर जिले के डीटीओ का कहना है कि विभाग की ओर से समय-समय पर वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है. जिला परिवहन विभाग अनफिट गाड़ियों के परिचालन पर गंभीर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बड़ी दुर्घटनाओं का कारण है फिटनेस फेल गाड़ियां'
इस मामले पर संबंधित क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि जिले में बढ़ते दुर्घटना के आंकड़ें परिवहन विभाग की चुस्ती की पोल खोल रहा है. फिटनेस फेल गाड़ियां बड़ी दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं. ऐसे वाहनों से पर्यावरण को भी खतरा रहता है.

जिला परिवहन कार्यालय
जिला परिवहन कार्यालय

ऐसे होती है वाहनों की जांच
मोटरयान निरीक्षक निजी और व्यावसायिक ट्रक, बस, डंपर समेत अन्य वाहनों के इंजन, चेचिस और नंबर प्लेट की जांच करते हैं. जिसके बाद वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, धुंआ, टायर, ब्रेक, बॉडी की जांच की जाती है. इसके आलावा इंडीकेटर जलता हो, मोबिल आयल लीक न हो, हार्न बजता हो, इसकी जांच के बाद ही चालक को वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है.

ये है नियम
सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 1989, 62 (1) के मुताबिक निजी वाहनों के फिटनेस की जांच 15 साल पर और व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस की जांच हर साल की जानी है.

समस्तीपुर: सड़कों पर सुरक्षित परिचालन को लेकर परिवहन विभाग ने कई ठोस कदम उठाए हैं. लेकिन जिला परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण सड़कों पर सैकड़ों अनफिट वाहन बिना किसी रोक-टोक के दौड़ रहे हैं. जिस वजह से हादसे की आशंका बनी रहती है.

'17 हजार से अधिक गाड़ियां फिटनेस टेस्ट में फेल'
आंकड़ों के अनुसार केवल समस्तीपुर की सड़कों पर 17 हजार से ज्यादा फिटनेस फेल वाहन दौड़ रहे हैं. इन गाड़ियों की फिटनेस जांच को लेकर किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिस वजह से सड़कों पर ये वाहन बेखौफ फर्राटा भर रहे हैं.

'कागजों पर होता है फिटनेस टेस्ट'
बताया जा रहा है कि विभाग की ओर से कोई माकूल व्यवस्था नहीं होने की वजह से विभाग सरकारी कागजों पर वाहनों का फिटनेस टेस्ट करती है. जिस वजह से ऐसी कई गाड़ियां सड़कों पर बेरोकटोक फर्राटा भर रही है. इस मामले पर जिले के डीटीओ का कहना है कि विभाग की ओर से समय-समय पर वाहन चेकिंग अभियान चलाया जाता है. जिला परिवहन विभाग अनफिट गाड़ियों के परिचालन पर गंभीर है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'बड़ी दुर्घटनाओं का कारण है फिटनेस फेल गाड़ियां'
इस मामले पर संबंधित क्षेत्र के जानकार बताते हैं कि जिले में बढ़ते दुर्घटना के आंकड़ें परिवहन विभाग की चुस्ती की पोल खोल रहा है. फिटनेस फेल गाड़ियां बड़ी दुर्घटनाओं का शिकार होती हैं. ऐसे वाहनों से पर्यावरण को भी खतरा रहता है.

जिला परिवहन कार्यालय
जिला परिवहन कार्यालय

ऐसे होती है वाहनों की जांच
मोटरयान निरीक्षक निजी और व्यावसायिक ट्रक, बस, डंपर समेत अन्य वाहनों के इंजन, चेचिस और नंबर प्लेट की जांच करते हैं. जिसके बाद वाहन का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, धुंआ, टायर, ब्रेक, बॉडी की जांच की जाती है. इसके आलावा इंडीकेटर जलता हो, मोबिल आयल लीक न हो, हार्न बजता हो, इसकी जांच के बाद ही चालक को वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है.

ये है नियम
सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 1989, 62 (1) के मुताबिक निजी वाहनों के फिटनेस की जांच 15 साल पर और व्यावसायिक वाहनों के फिटनेस की जांच हर साल की जानी है.

Intro:जिले के सड़को पर सुरक्षित परिचालन को लेकर देखिये परिवहन विभाग की उदासीनता । नियमों को ताख पर रख जिले के सड़कों पर दौड़ रही कई हजार फिटनेस फेल गाड़ियां । सबसे विडंबना यह है की , फिटनेश जांच को लेकर विभाग के पास माकूल व्यवस्था की भी कमी ।


Body:हर रोज जिले के सड़कों पर होने वाले दुर्घटनाओं के आंकड़े बताने को काफी है की , किस प्रकार सड़कों पर मौत दौड़ रहा । वंही एक आंकड़े के अनुसार जिले के सड़को पर करीब 17 हजार से ज्यादा फिटनेस फेल गाड़ियां चल रही । यही नही गाड़ियों के फिटनेस को लेकर होने वाले जांच को लेकर वाजिब व्यवस्था से ज्यादा विभाग कागजों पर ही इस सर्टिफिकेट को लेकर काम कर रहा , जिसके वजह से यैसी बहुत की गाड़ियां जो पूरी तरह अनफिट है , उसका भी फिटनेस सर्टिफिकेट बन गया । वैसे इस मामले पर जिले के परिवहन अधिकारी ने कहा की , इसको लेकर समय समय पर विभाग के तरफ से जांच किया जा रहा , अनफिट गाड़ियों के परिचालन पर विभाग गंभीर है ।

बाईट - राजेश कुमार , जिला परिवहन पदाधिकारी ।

वीओ - वैसे विभागीय जांच व उससे जुड़ी हकीकत , जिले में बढ़ते फिटनेस फेल गाड़ियों के आंकड़े बता रहे । जानकर का भी मानना है की , यैसी गाड़ियां सड़कों पर जंहा बड़े दुर्घटनाओं के वजह बन रहे , वंही इससे होने वाले प्रदूषण भी काफी खतरनाक है ।

बाईट - डॉ भोला चौरसिया , विशेषज्ञ ।


Conclusion:गौरतलब है की , जिले के सड़को पर सिर्फ फिटनेस फेल गाड़ियां ही नही , रजिस्ट्रेशन फेल गाड़ियां भी खुलेआम फर्राटे भर रहा , लेकिन विभाग इससे अंजान हैं।

अमित कुमार की रिपोर्ट ।
Last Updated : Jan 31, 2020, 8:05 PM IST
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