समस्तीपुर: बाजारवाद में गुम होते कुम्हारों के पुस्तैनी काम को अब आधुनिकता से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. जिले में खादी ग्रामोद्योग आयोग ने पारंपरिक चाक से इतर, बिजली से चलने वाले चाक से लेकर इस क्षेत्र में अन्य नई विधा के ट्रेंनिग के जरिये कुम्हारों को एक अलग ही कला से जोड़ने का प्रयास शुरू किया है.
बिजली चलित आधुनिक चाक की ट्रेनिंग
अधिक मेहनत और कम मुनाफा जैसी मूल समस्याओं के कारण जिले में चाक से मिट्टी को खूबसूरती से गढ़ने वाले कुम्हार अपने पुस्तैनी धंधे से दूर होते जा रहे हैं. लेकिन अब इस क्षेत्र में बड़े बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हुई है. बदलते बाजारवाद में इस कला को अब नई उड़ान देने के साथ-साथ इस क्षेत्र को रोजगार का सशक्त जरिया भी बनाया जा रहा है. इसी कड़ी में इन कुम्हारों के पारम्परिक चाक की जगह बिजली चलित आधुनिक चाक की ट्रेंनिग जिले में शुरू की गई है.
जिले के कई पंचायतों में दी जा रही है ट्रेनिंग
खादी ग्रामोद्योग आयोग जिले की कई पंचायतों में बकायदा इसकी ट्रेनिंग दे रहा है. आयोग के सदस्यों के अनुसार कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत चयनित लोगों को बिजली स्वचालित चाक से जुड़ी ट्रेनिंग दी जा रही है. जिससे वे बदलते वक्त में अपने इस पुस्तैनी काम को बाजार के अनुरूप गढ़ सकें. वहीं ट्रेंनिग ले रहे इन लोगों का भी मानना है कि ऐसी सरकारी सहायता के जरिये वे अपने इस पुस्तैनी काम में बहुत कुछ नया कर सकते हैं.
90 सरकारी अनुदान पर लोग ले सकते हैं चाक
बता दें कि जिले के मुक्तापुर पंचायत में इस कड़ी में 40 लोगों को ट्रेनिंग दी जा रही है. यही नहीं इच्छुक लोग 90 फीसदी सरकारी अनुदान पर यह बिजली से चलने वाले चाक को ले सकते हैं. जिससे वे कम वक्त और कम लागत में अधिक से अधिक मिट्टी से बर्तन या अन्य चीजें गढ़ सकते हैं.