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समस्तीपुर की 70 वर्षीय नजमूनिशा बनीं मिशाल, गरीब महिलाओं को बना रहीं आत्मनिर्भर - समस्तीपुर की नजमूनिशा बनीं मिशाल

जिले के वारसिनगर के रहने वाली 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला नजमूननिशा एक बेहतरीन उदाहरण बन चुकी हैं. खिलौना कारोबार के जरिए उन्होंने अपना एक अलग मुकाम बनाया है. साथ ही वह आसपास की गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाकर बेहतरीन मिसाल पेश कर रही है.

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Published : Mar 28, 2021, 12:00 PM IST

समस्तीपुर: जिले के वारिसनगर की रहने वाली 70 वर्ष से अधिक उम्र की नजमूनिशा महिला सशक्तिकरण मिशाल बन गई हैं. नजमूनिशा जो आज गरीब महिलाओं के स्वरोजगार का सशक्त जरिया बनी हैं. यहीं, नहीं आज पूरे प्रदेश में अपने खास खिलौने के कारोबार के जरिये अलग मुकाम बनाया है. इनके बनाये गये खिलौनों की मांग भारत के अलावा नेपाल मे भी है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें : कोरोना को लेकर समस्तीपुर रेल डिवीजन अलर्ट, जारी दिशा-निर्देश

महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. जी हां, इस कहावत को चरितार्थ का दिखाया है जिले के वारिसनगर प्रखंड के रामनगर की रहने वाली नजमूननिशा. 70 वर्ष से अधिक उम्र की यह महिला आज सैंकड़ो गरीब महिलाओं के लिए एक उम्मीद व स्वरोजगार का जरिया हैं. दरअसल, बेबसी व गरीबी के खिलाफ इस बुजुर्ग महिला ने खिलौना निर्माण के बूते कमाल कर दिखाया.

इसे भी पढ़ें : समस्तीपुर में होली और शब-ए-बरात को लेकर प्रशासन अलर्ट, शांति समिति की बैठक हुई

देशभर में खिलौनों की मांग
वारिसनगर प्रखंड के रामनगर की रहने वाली नजमूननिशा के हाथों के बने खिलौनों ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी खास पहचान बनायी है. वर्तमान में नेपाल से लेकर अन्य जगहों पर इनके खिलौनों की मांग है. यही नहीं, वर्तमान में इनके यहां सैंकड़ो गरीब महिलाएं खिलौना बनाना सीखा रही हैं. वहीं उन्हें इस स्वरोजगार से जोड़ भी रही है. वैसे तो इनके यहां आस-पास की सैंकड़ों महिलाएं व युवतियां खिलौने के इस कारोबार से जुड़ी हैं. उसमें ऐसी बहुत महिलाएं है, जो इस कोरोना संकट काल में विभिन्न राज्यों से लौटी हैं.

समस्तीपुर: जिले के वारिसनगर की रहने वाली 70 वर्ष से अधिक उम्र की नजमूनिशा महिला सशक्तिकरण मिशाल बन गई हैं. नजमूनिशा जो आज गरीब महिलाओं के स्वरोजगार का सशक्त जरिया बनी हैं. यहीं, नहीं आज पूरे प्रदेश में अपने खास खिलौने के कारोबार के जरिये अलग मुकाम बनाया है. इनके बनाये गये खिलौनों की मांग भारत के अलावा नेपाल मे भी है.

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कौन कहता है आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो. जी हां, इस कहावत को चरितार्थ का दिखाया है जिले के वारिसनगर प्रखंड के रामनगर की रहने वाली नजमूननिशा. 70 वर्ष से अधिक उम्र की यह महिला आज सैंकड़ो गरीब महिलाओं के लिए एक उम्मीद व स्वरोजगार का जरिया हैं. दरअसल, बेबसी व गरीबी के खिलाफ इस बुजुर्ग महिला ने खिलौना निर्माण के बूते कमाल कर दिखाया.

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