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इन सरकारी शिक्षकों के आगे कॉन्वेंट स्कूल भी फेल, पढ़ाने की स्टाइल देखकर आप भी कहेंगे वाह!

सहरसा में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका (Unique Style of Teaching Government Teacher In saharsa) लोगों को खूब भा रहा है. शिक्षक का नाम अरुण कुमार और रीना कुमारी शिक्षिका है. वो निराले ढंग से संगीत और खेल-खेल में पढ़ाने की कोशिश कर रहें है. वे नाच-गाकर बच्चों को आसानी से पहाड़ा और हिंदी वर्ण का ज्ञान छात्रों को करा देंते हैं. नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नव प्राथमिक विद्यालय बेला बथान और नव प्रथमिक विद्यालय गढ़िया का है. शिक्षक के पढ़ाने के इस स्टाइल को लोगों खूब सराहा रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

सहरसा में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका
सहरसा में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका
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Published : Jan 1, 2023, 8:49 PM IST

सहरसा में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका

सहरसा: बिहार के सहरसा में शिक्षक-शिक्षिका संगीत के धुन पर ककहरा सिखा रहे हैं. बच्चे खेलकूद छोड़कर पढ़ाई करने में मग्न हैं. कहते हैं कि बचपन में अगर आपने पढ़ाई सही से नहीं की तो आगे चलकर वो अपना असर जरूर दिखाता है. इसलिए बच्चों के माता-पिता और शिक्षक छात्रों को बेस मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. परिजन से लेकर स्कूल टीचर तक उन्हें पढ़ाने के लिए कोई न कोई अनोखा तरीका ढूंढ ही लेते हैं. आपको याद होगा कि बचपन में पहाड़ा याद रखने के लिए आपने भी कभी न कभी गा कर ही उसे सीखा होगा. कुछ इसी के तर्ज पर नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नव प्राथमिक विद्यालय बेला बथान और नव प्रथमिक विद्यालय गढ़िया के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं.

ये भी पढ़ें : सहरसा में रेड लाइट एरिया में छापेमारी, आधा दर्जन लोग गिरफ्तार

इस तरह बच्चों को पढ़ने में आता है आनंद : शिक्षक अरुण कुमार ने बताया कि बच्चों को नाच-गाकर ही बैसिक अक्षर एंव संख्या का ज्ञान दे रहे हैं. इस प्रकार से शिक्षा देने पर बच्चे बड़ी आसानी से अक्षरों को पहचान लेते हैं. गीत के माध्यम से पूरी मात्रा सहित अंग्रेजी के अल्फाबेट सहित अन्य संख्यात्मक ज्ञान भी हो जाता है. शिक्षक ने बताया कि इस प्रकार बच्चों को पढ़ने में बड़ा ही आनंद आता है. साथ ही बच्चों को भी इस प्रकार शिक्षा लेने में आसानी रहती है. जल्द ही इन लोगों को बेसिक ज्ञान भी मिल जाता है.


"विद्यालय में चहक के माध्यम से गतिविधि करवाया जाता है. खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाया जाता है. चहक गतिविधि कराने से विद्यालय में बच्चों को पढ़ने में मन भी लगता है. इससे बच्चे सीखते भी हैं. हमलोगों को बिहार सरकार के माध्यम से 5 दिन का प्रशिक्षण जिले के सुलिन्दाबाद में करवाया गया था. प्रशिक्षण लेकर हमलोग बच्चे के बीच चहक गतिविधि कराकर बच्चे को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं." -रीना कुमारी, शिक्षिका

"मेडम हमलोग को गीत संगीत और खेल-खेल के माध्यम से पढ़ातीं हैं. उसमें हमलोगों को काफी मन लगता है और हमलोग पढ़ाई भी करते हैं".-अमित कुमार, छात्र

चहक प्रशिक्षण कार्यक्रम : जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेशानुसार प्रत्येक विद्यालय में चहक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी शिक्षक और शिक्षिका भाग लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद सभी शिक्षक और शिक्षिका अब अपने-अपने विद्यालय में बच्चों सबको गीत संगीत के माध्यम से पढ़ाई करवा रहे है. बतातें चले कि यह वीडियो बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नव प्राथमिक विद्यालय बेला बथान और नव प्रथमिक विद्यालय गढ़िया का है. जहां बच्चे सब गीत संगीत और खेल खेल के माध्यम से पढ़ाई करते नजर आ रहे हैं. इस तरह के चहक गतिविधि से बच्चे काफी लाभान्वित हो रहे हैं.

सहरसा में सरकारी शिक्षक का पढ़ाने का अनोखा तरीका

सहरसा: बिहार के सहरसा में शिक्षक-शिक्षिका संगीत के धुन पर ककहरा सिखा रहे हैं. बच्चे खेलकूद छोड़कर पढ़ाई करने में मग्न हैं. कहते हैं कि बचपन में अगर आपने पढ़ाई सही से नहीं की तो आगे चलकर वो अपना असर जरूर दिखाता है. इसलिए बच्चों के माता-पिता और शिक्षक छात्रों को बेस मजबूत करने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं. परिजन से लेकर स्कूल टीचर तक उन्हें पढ़ाने के लिए कोई न कोई अनोखा तरीका ढूंढ ही लेते हैं. आपको याद होगा कि बचपन में पहाड़ा याद रखने के लिए आपने भी कभी न कभी गा कर ही उसे सीखा होगा. कुछ इसी के तर्ज पर नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नव प्राथमिक विद्यालय बेला बथान और नव प्रथमिक विद्यालय गढ़िया के शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं.

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इस तरह बच्चों को पढ़ने में आता है आनंद : शिक्षक अरुण कुमार ने बताया कि बच्चों को नाच-गाकर ही बैसिक अक्षर एंव संख्या का ज्ञान दे रहे हैं. इस प्रकार से शिक्षा देने पर बच्चे बड़ी आसानी से अक्षरों को पहचान लेते हैं. गीत के माध्यम से पूरी मात्रा सहित अंग्रेजी के अल्फाबेट सहित अन्य संख्यात्मक ज्ञान भी हो जाता है. शिक्षक ने बताया कि इस प्रकार बच्चों को पढ़ने में बड़ा ही आनंद आता है. साथ ही बच्चों को भी इस प्रकार शिक्षा लेने में आसानी रहती है. जल्द ही इन लोगों को बेसिक ज्ञान भी मिल जाता है.


"विद्यालय में चहक के माध्यम से गतिविधि करवाया जाता है. खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाया जाता है. चहक गतिविधि कराने से विद्यालय में बच्चों को पढ़ने में मन भी लगता है. इससे बच्चे सीखते भी हैं. हमलोगों को बिहार सरकार के माध्यम से 5 दिन का प्रशिक्षण जिले के सुलिन्दाबाद में करवाया गया था. प्रशिक्षण लेकर हमलोग बच्चे के बीच चहक गतिविधि कराकर बच्चे को आगे बढ़ाने में मदद करते हैं." -रीना कुमारी, शिक्षिका

"मेडम हमलोग को गीत संगीत और खेल-खेल के माध्यम से पढ़ातीं हैं. उसमें हमलोगों को काफी मन लगता है और हमलोग पढ़ाई भी करते हैं".-अमित कुमार, छात्र

चहक प्रशिक्षण कार्यक्रम : जिला शिक्षा पदाधिकारी के आदेशानुसार प्रत्येक विद्यालय में चहक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया गया. इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी शिक्षक और शिक्षिका भाग लिया. प्रशिक्षण लेने के बाद सभी शिक्षक और शिक्षिका अब अपने-अपने विद्यालय में बच्चों सबको गीत संगीत के माध्यम से पढ़ाई करवा रहे है. बतातें चले कि यह वीडियो बिहार के सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड अंतर्गत नव प्राथमिक विद्यालय बेला बथान और नव प्रथमिक विद्यालय गढ़िया का है. जहां बच्चे सब गीत संगीत और खेल खेल के माध्यम से पढ़ाई करते नजर आ रहे हैं. इस तरह के चहक गतिविधि से बच्चे काफी लाभान्वित हो रहे हैं.

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