सहरसा: सदर अस्पताल में बना इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू खुद आईसीयू में है. इस यूनिट को गहन देखभाल की जरूरत है. यह गंभीर रूप से बीमार किसी मरीज के इलाज के काम नहीं आ रहा है. सदर अस्पताल आने वाले ऐसे मरीजों को सीधे दरभंगा या पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है. जबकि इस आईसीयू में सभी आवश्यक उपकरणों के अलावे डॉक्टर और नर्स भी पदस्थापित है.
गौरतलब है कि सदर अस्पताल में आईसीयू की शुरुआत लगभग छह साल पहले हुई थी. इस आईसीयू में सभी आवश्यक अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण के साथ ही छह बेड सजे हुए हैं. लेकिन बीते तीन वर्षों से अस्पताल आने वाले किसी भी गंभीर मरीज का यहां इलाज नहीं हो रहा. हमेशा ताला लगा रहता है. यहां न तो कभी डॉक्टर आते हैं और न ही नर्स. आईसीयू वॉर्ड के लगभग सभी बल्ब खराब हो चुके हैं. इसकी वजह से यहां हमेशा अंधेरा ही रहता है. वहीं, आइसीयू के सारे उपकरणों का कनेक्शन कटा हुआ है.
'अस्पताल को है इलाज की जरूरत'
आईसीयू के खराब हालात पर समाजसेवी अजय सिंह ने कहा कि इस सदर अस्पताल को शल्य चिकित्सा की जरूरत है. हमलोग अस्पताल के इस हालात के कारण दुखी है. कागजों में इसके दावे हैं कि यह कार्य कर रहा है. यहां नर्स और डॉक्टर की बहाली हुई है. यह एक गंभीर विषय है. इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिये.
सिविल सर्जन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंह ने बताया कि आईसीयू चालू स्थिति में है. वहां, पांच डॉक्टर और दो नर्स की नियुक्ति है. आईसीयू के इस स्थिति पर बोलते हुए उन्हों ने कहा कि गंभीर मरीज के नहीं आने के कारण ही आईसीयू का उपयोग वर्तमान में नहीं हो रहा है. साथ ही उन्होंने आईसीयू में हमेशा ताला बंद रहने की बात को नकारते हुए कहा कि यदि ऐसा है तो अस्पताल प्रबंधक और उपाधीक्षक पर कार्रवाई की जायेगी.