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सहरसा: सदर अस्पताल का ICU बीमार, इलाज की सख्त जरूरत - nurse

सदर अस्पताल में आईसीयू की शुरुआत लगभग छह साल पहले हुई थी. इस आईसीयू में सभी आवश्यक अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण के साथ ही छह बेड का भी इंतजाम है. लेकिन अभी ICU की हालत खस्ता है. यहां सारी सुविधाएं सिर्फ कागज पर उपलब्ध हैं. सतही तौर पर ये सारी सुविधाएं नजर नहीं आ रही हैं. लेकिन, सिवल सर्जन साहब को ये बदइंतजामी नजर ही नहीं आ रही है.

सहरसा सदर अस्पताल का आईसीयू है बंद
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Published : Jul 7, 2019, 12:30 PM IST

सहरसा: सदर अस्पताल में बना इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू खुद आईसीयू में है. इस यूनिट को गहन देखभाल की जरूरत है. यह गंभीर रूप से बीमार किसी मरीज के इलाज के काम नहीं आ रहा है. सदर अस्पताल आने वाले ऐसे मरीजों को सीधे दरभंगा या पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है. जबकि इस आईसीयू में सभी आवश्यक उपकरणों के अलावे डॉक्टर और नर्स भी पदस्थापित है.

सदर अस्पताल का आईसीयू है बंद

गौरतलब है कि सदर अस्पताल में आईसीयू की शुरुआत लगभग छह साल पहले हुई थी. इस आईसीयू में सभी आवश्यक अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण के साथ ही छह बेड सजे हुए हैं. लेकिन बीते तीन वर्षों से अस्पताल आने वाले किसी भी गंभीर मरीज का यहां इलाज नहीं हो रहा. हमेशा ताला लगा रहता है. यहां न तो कभी डॉक्टर आते हैं और न ही नर्स. आईसीयू वॉर्ड के लगभग सभी बल्ब खराब हो चुके हैं. इसकी वजह से यहां हमेशा अंधेरा ही रहता है. वहीं, आइसीयू के सारे उपकरणों का कनेक्शन कटा हुआ है.

'अस्पताल को है इलाज की जरूरत'
ईसीयू के खराब हालात पर समाजसेवी अजय सिंह ने कहा कि इस सदर अस्पताल को शल्य चिकित्सा की जरूरत है. हमलोग अस्पताल के इस हालात के कारण दुखी है. कागजों में इसके दावे हैं कि यह कार्य कर रहा है. यहां नर्स और डॉक्टर की बहाली हुई है. यह एक गंभीर विषय है. इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिये.

सिविल सर्जन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंह ने बताया कि आईसीयू चालू स्थिति में है. वहां, पांच डॉक्टर और दो नर्स की नियुक्ति है. आईसीयू के इस स्थिति पर बोलते हुए उन्हों ने कहा कि गंभीर मरीज के नहीं आने के कारण ही आईसीयू का उपयोग वर्तमान में नहीं हो रहा है. साथ ही उन्होंने आईसीयू में हमेशा ताला बंद रहने की बात को नकारते हुए कहा कि यदि ऐसा है तो अस्पताल प्रबंधक और उपाधीक्षक पर कार्रवाई की जायेगी.

सहरसा: सदर अस्पताल में बना इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू खुद आईसीयू में है. इस यूनिट को गहन देखभाल की जरूरत है. यह गंभीर रूप से बीमार किसी मरीज के इलाज के काम नहीं आ रहा है. सदर अस्पताल आने वाले ऐसे मरीजों को सीधे दरभंगा या पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है. जबकि इस आईसीयू में सभी आवश्यक उपकरणों के अलावे डॉक्टर और नर्स भी पदस्थापित है.

सदर अस्पताल का आईसीयू है बंद

गौरतलब है कि सदर अस्पताल में आईसीयू की शुरुआत लगभग छह साल पहले हुई थी. इस आईसीयू में सभी आवश्यक अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण के साथ ही छह बेड सजे हुए हैं. लेकिन बीते तीन वर्षों से अस्पताल आने वाले किसी भी गंभीर मरीज का यहां इलाज नहीं हो रहा. हमेशा ताला लगा रहता है. यहां न तो कभी डॉक्टर आते हैं और न ही नर्स. आईसीयू वॉर्ड के लगभग सभी बल्ब खराब हो चुके हैं. इसकी वजह से यहां हमेशा अंधेरा ही रहता है. वहीं, आइसीयू के सारे उपकरणों का कनेक्शन कटा हुआ है.

'अस्पताल को है इलाज की जरूरत'
ईसीयू के खराब हालात पर समाजसेवी अजय सिंह ने कहा कि इस सदर अस्पताल को शल्य चिकित्सा की जरूरत है. हमलोग अस्पताल के इस हालात के कारण दुखी है. कागजों में इसके दावे हैं कि यह कार्य कर रहा है. यहां नर्स और डॉक्टर की बहाली हुई है. यह एक गंभीर विषय है. इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिये.

सिविल सर्जन ने दिया कार्रवाई का आश्वासन
सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंह ने बताया कि आईसीयू चालू स्थिति में है. वहां, पांच डॉक्टर और दो नर्स की नियुक्ति है. आईसीयू के इस स्थिति पर बोलते हुए उन्हों ने कहा कि गंभीर मरीज के नहीं आने के कारण ही आईसीयू का उपयोग वर्तमान में नहीं हो रहा है. साथ ही उन्होंने आईसीयू में हमेशा ताला बंद रहने की बात को नकारते हुए कहा कि यदि ऐसा है तो अस्पताल प्रबंधक और उपाधीक्षक पर कार्रवाई की जायेगी.

Intro:सहरसा..सदर अस्पताल में बना इंटेंसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू खुद आईसीयू में है।इस यूनिट को गहन देखभाल की जरूरत है।यह गंभीर रूप से बीमार किसी मरीज के काम नही आ रहा है।सदर अस्पताल आने वाले ऐसे मरीजों को सीधे दरभंगा या पटना मेडिकल कॉलेज रेफर कर देने की परंपरा बानी हुई है।जबकि इस आईसीयू में सभी आवयशक उपकरणों के अलावे डॉक्टर एवं नर्स का पदस्थापन भी है।


Body:सदर अस्पताल में आईसीयू यानी इंटेंसिव केयर यूनिट की शुरुआत लगभग छह साल पूर्व हुई थी।इस आईसीयू में सभी आवयशक अत्याधुनिक स्वास्थ्य उपकरण के साथ छह बेड सजे हुए है।लेकिन बीते तीन वर्षों से यह सदर अस्पताल आने वाले किसी भी गंभीर मरीज के काम नही आ रहा है।आईसीयू में हमेशा ताला लगा रहता है।यहां न तो कभी डॉक्टर आते है,और न ही नर्स।हालात यह है कि कई महीनों से इस आईसीयू में झाड़ू तक नंगी दिया गया है।आईसीयू के लगभग सभी बल्ब खराब हो चुके है।जिसके वजह से यह हमेशा अंधेरे में रहता है।आइसीयू के लगभग सारे उपकरण के कनेक्शन कटा हुआ है,मतलब स्पष्ट है कि यह बंद पड़ा हुआ है।यह आईसीयू को देखने से ही समझ मे आता है कि यह इलाज करने में सक्षम नही है।इस बाबत समाजसेवी अजय सिंह ने कहा कि इस सदर अस्पताल को शल्य चिकित्सा की जरूरत है। सहरसा का नागरिक होने के नाते बहुत ही दुःखी हूँ।यह आईसीयू आज तक फंक्शनल नही हो पाया है।हालांकि कागजो में इसके दावे है कि यह फंक्शनल है।यहां नर्स और डॉक्टर की बहाली है।सारा सामान पड़ा हुआ है,बेड लगा हुआ है लेकिन यह हमेशा बंद रहता है।कई बार इस पर सवाल उठाया जा चुका है लेकिन कौन सी परिस्थिति में यह कागज पर चल रहा है यह एक गंभीर विषय है इस पर तुरंत कार्रवाई होनी चाहिये।


Conclusion:वही सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंगज बताते है कि आईसीयू चालू स्थिति में है,वहां पांच डॉक्टर और दो नर्स की नियुक्ति है।ऐसे गंभीर मरीज के नही आने के कारण ही इस ICU का उपयोग नहीहो रहा है।सिविल सर्जन ने हमेशा ताला बंद रहने की बात को नकारते हुए कहते है कि यदि ऐसा है तो अस्पताल प्रबंधक और उपाधीक्षक पर कार्रवाई करेंगे।
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