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ग्रांउड रिपोर्ट : रोजगार नहीं मिलने से बेबस हजारों लोग कर रहे पलायन - frustraited framers

बिहार में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए बेरोजगारों ने पलायन करना शुरू कर दिया है. यहां सरकार की अनदेखी के कारण लोग अपने घर से दूर जाने को मजबूर हैं.

भेड़-बकरी की तरह भरे जा रहे हैं लोग
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Published : Jun 12, 2019, 11:08 AM IST

Updated : Jun 12, 2019, 12:58 PM IST

सहरसा: दो वक्त की रोटी के लिए बेरोजगारी का दंश झेल रहे मजदूर पलायन करने के लिए मजबूर हैं. पूरा मामला जिले के कोशी इलाके की है. यहां हजारों मजदूर घर छोड़कर बाहर काम करने के लिए जा रहे हैं. सहरसा स्टेशन पर लोग भेड़-बकरी की तरह ट्रेन में भरकर रोजगार के लिए पंजाब पलायन कर रहे हैं.

saharsa
मजदूर


सरकार विफल
पलायन कर रहे लोगों का कहना है कि बिहार सरकार ने रोड मैप में कहा था की यहां रोजगार का सृजन करेंगे और बिहार से हो रहे पलायन को कम करेंगे. लेकिन, आज भी स्थिति जस के तस बनी हुई है. एक मजदूर ने कहा कि बिहार में रोजगार नहीं होने के कारण वह पंजाब में काम करने के लिए जा रहा है. वहां जाकर किसानी करेंगे. इस मंहगाई में घर नहीं चल पा रहा है.

भूख मिटाने के लिए सहरसा से परदेश पलायन कर रहे है मजदूर

बच्चों के भविष्य के लिए हो रहे दूर
पलायनकर्ता ने बताया कि वह पंजाब जाकर मजदूरी करेंगे. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. अगर काम नहीं करेंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे बनाएंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चुनाव में सिर्फ वादा करती है. लेकिन, चुनाव जीतते ही सबकुछ भूल जाती है. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं.

saharsa
स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे लोग


गरीबी ने किया जीना मुहाल
कोशी क्षेत्र में गरीबी और बेरोजगार ने लोगों को अन्य प्रांतों की ओर पलायन करने के लिए लोगों को विवश कर दिया हैं. यहां हर दिन हजारो की संख्या में लोग अन्य शहरों में पलायन कर रहे हैं. बेरोजगार गरीबी से त्रस्त होकर सडक पर आ गए है. वहीं, किसी के घर में दो वक्त का चुल्हा तक नहीं जुट रहा है. यहां तक कि सरकार की योजनाओं से भी कई लोग वंचित हैं.

सहरसा: दो वक्त की रोटी के लिए बेरोजगारी का दंश झेल रहे मजदूर पलायन करने के लिए मजबूर हैं. पूरा मामला जिले के कोशी इलाके की है. यहां हजारों मजदूर घर छोड़कर बाहर काम करने के लिए जा रहे हैं. सहरसा स्टेशन पर लोग भेड़-बकरी की तरह ट्रेन में भरकर रोजगार के लिए पंजाब पलायन कर रहे हैं.

saharsa
मजदूर


सरकार विफल
पलायन कर रहे लोगों का कहना है कि बिहार सरकार ने रोड मैप में कहा था की यहां रोजगार का सृजन करेंगे और बिहार से हो रहे पलायन को कम करेंगे. लेकिन, आज भी स्थिति जस के तस बनी हुई है. एक मजदूर ने कहा कि बिहार में रोजगार नहीं होने के कारण वह पंजाब में काम करने के लिए जा रहा है. वहां जाकर किसानी करेंगे. इस मंहगाई में घर नहीं चल पा रहा है.

भूख मिटाने के लिए सहरसा से परदेश पलायन कर रहे है मजदूर

बच्चों के भविष्य के लिए हो रहे दूर
पलायनकर्ता ने बताया कि वह पंजाब जाकर मजदूरी करेंगे. घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं. अगर काम नहीं करेंगे तो बच्चों का भविष्य कैसे बनाएंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार चुनाव में सिर्फ वादा करती है. लेकिन, चुनाव जीतते ही सबकुछ भूल जाती है. बेरोजगारी का आलम ऐसा है कि लोगों को दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पा रहे हैं.

saharsa
स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे लोग


गरीबी ने किया जीना मुहाल
कोशी क्षेत्र में गरीबी और बेरोजगार ने लोगों को अन्य प्रांतों की ओर पलायन करने के लिए लोगों को विवश कर दिया हैं. यहां हर दिन हजारो की संख्या में लोग अन्य शहरों में पलायन कर रहे हैं. बेरोजगार गरीबी से त्रस्त होकर सडक पर आ गए है. वहीं, किसी के घर में दो वक्त का चुल्हा तक नहीं जुट रहा है. यहां तक कि सरकार की योजनाओं से भी कई लोग वंचित हैं.

Intro:सहरसा..उद्योगविहीन कोशी इलाके से हजारों मजदूर पलायन कर परदेश जाने को मजबूर है।सहरसा स्टेशन पर जिधर देखे,उधर मजदूर यात्रियों की भीड़ नज़र आती है।बिहार सरकार ने रोड मेप में कहा था की यहाँ रोजगार का सृजन करेंगे,और बिहार से हो रहे पलायन को कम करेंगे।लेकिन आज भी तश्वीर नही बदली है।


Body:दरअसल कोशी क्षेत्र में व्याप्त गरीबी और बेरोजगारी लोगो को अन्य प्रांतों की और पलायन करने को विवश करता है।प्रत्येक दिन हजारो की संख्या में हो रहे पलायन देख खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकारी योजना कितना कारगर है।सहरसा स्टेशन पर खड़ी जनसेवा एक्सप्रेस में भेड़ बकरी की तरह गाड़ी में सवार होकर सफर करने को मजबूर मजदूर है जो गरीबी और बेरोजगारी से त्रस्त हो. अपने वो अपने परिवार की पेट की भूख की जरूरत को पूरा करने के लिए पंजाब कमाने जा रहा है।आप खुद देखिये किस तरह से ट्रेन में जगह नही मिलने पर शौचालय में बैठकर,ट्रैन की बोगी में कपड़े बांधकर सफर करने को विवश है,इस तरह से यह तीन दिन का सफर तय कर मंजिल तक जायेंगे।सहरसा से अन्य प्रान्त मजदूरी करने जा रहे मजदूर की माने तो बिहार में कोई रोजगार नही है,और न ही सरकारी योजना का कोई लाभ मिल पाता है,परिवार और बच्चे की पेट की खातिर बिहार से बाहर जाकर कामना पड़ता है अगर यहां रोजगार मिल जाता तो फिर बाहर जाने की को जरूरत नही थी।


Conclusion:सच मायने में सरकार व जिला प्रशासन को पलायन रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रदत्त योजनाओ को कागज के बजाय धरातल पर उतरना होगा।,एवं रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध करवानी होगी।
Last Updated : Jun 12, 2019, 12:58 PM IST
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