सहरसा: बाढ़ पीड़ितों को हर संभव मदद देने का सरकार दावा कर रही है पर हकीकत कुछ और ही है. सहरसा के नवहट्टा प्रखंड के करीब 12 गांव बाढ़ की चपेट में है. हजारों लोगों ने तटबंध पर अपना आशियाना बना लिया है. पीड़ितों का कहना है कि प्रशासन की ओर से इन्हें कोई भी व्यवस्था नहीं दी जा रहा है. तंबू लगाकर जैसै तैसे ये लोग अपना गुजारा कर रहे हैं. अभी तक कोई अधिकारी देखने भी नहीं आए हैं.
समाजसेवी प्रशांत ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों की सुध लेने जिला प्रशासन का एक भी नुमाइंदा नहीं आया है. किसी तरह से यह सभी लोग अपना जीवन यापन कर रहे हैं. सरकार के निर्देश पर रविवार को तटबंध के भीतर नवहट्टा के केदली में सामुदायिक रसोई की शुरूआत की गई. लेकिन शाम होते होते रसोई को बंद कर दिया गया. बाढ़ पीड़ितों के अलावे वहां तैनात सुरक्षाकर्मी को भी भूखा रहना पड़ा.
सामुदायिक रसोई बंद
पूर्वी व पश्चिमी कोशी तटबंध के बीच नवहट्टा प्रखंड के केदली स्थित उत्क्रमित उच्च विद्यालय में सरकार की और से सामुदायिक रसोई चलाई जा रही थी. केदली सहित आसपास के बाढ़ग्रस्त इलाके के लोग यहां भोजन कर रहे थे. लेकिन रविवार को शुरू की गई रसोई को सोमवार के दोपहर का खाना बनाने के बाद बंद कर दिया गया. शाम का खाना खाने पहुंचे लोगों को वहां से भूखे पेट ही लौटना पड़ा.
प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी
रसोई बंद होने से आक्रोशित बाढ़ पीड़ितों ने स्कूल परिसर में प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि मात्र तीन बार ही यहां हमलोगों को खाना दिया गया. और बिना बताये ही सामुदायिक रसोई बंद कर दिया गया. मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मी ने बताया की रसोई बंद होने की वजह से वो लोग भी भूखे हैं.
क्या कहते हैं एडीएम साहब
इस बाबत जब एडीएम धीरेंद्र झा से बात की गई तो उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया. एडीएम ने बताया कि दो शिविर लगाया गया था. एक मोहम्मदपुर में और दूसरा केदली में. मोहम्मदपुर में पानी की कमी हो जाने से लोग वापस लौट गए तो उसे बंद कर दिया गया. लेकिन केदली में सामुदायिक रसोई रविवार से लगातार चल रही है. सोमवार की शाम को भी बाढ़ पीड़ितों को भोजन कराया गया है. प्रशासन के पास भोजन खाते हुए लोगों का वीडियो फुटेज उपलब्ध है.
नवहट्टा प्रखंड के सात पंचायतों में घुसा पानी
बता दें कि कोशी बराज से काफी अधिक मात्रा में हुए डिस्चार्ज से रविवार को सहरसा जिले के नवहट्टा प्रखंड के सात पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया. लोगों में अफरा तफरी मच गई. घरों में तीन से चार फुट पानी घुसने की वजह से उन्हें घर द्वार छोड़ कर ऊंचे स्थान पर शरण लेना पड़ा.