सहरसा: बिहार में कोसी नदी हर साल बाढ़ की तबाही का मंजर (Every Year Destruction Of Kosi River In Saharsa) लाती है. जिससे लोग वर्षों से जूझते आ रहे हैं. हर साल कोसी में बाढ़ तबाही मचाती है ना जाने कितने लोगों का घर नदी में समा जाता है. कोसी इलाके में बसे लोगों को दो-दो मुसीबत झेलनी पड़ती है. एक मुसीबत तब होती है जब कोसी नदी में पानी का जलस्तर बढ़ता है, तब इलाके के लोगों की परेशानी बढ़ जाती है. दूसरा जब कोसी में पानी का जलस्तर घटने से कटाव तेज होता है. तब लोगों का घर कोसी में समा जाता है.
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सहरसा में कोसी नदी से हर साल तबाही : आलम यह होता है कि बाढ़ प्रभावित इलाके में बसे लोग अपने आशियाने को उजाड़ कर ऊंचे स्थान पर जाने को विवश हो जाते हैं. ऐसी ही तस्वीर सहरसा जिले के नौहट्टा प्रखंड क्षेत्र के सत्तोर पंचायत के बिजलपुर गांव से निकलकर सामने आई है. जहां नोहटा प्रखंड के सत्तोर पंचायत में तकरीबन 20 घर कोसी में समा चुका है. नोहटा प्रखंड क्षेत्र के ऐसे कई पंचायत हैं, जहां अब तक 60 से 70 घर कोसी में समा चुका है.
कोसी नदी के पानी में 20 घर समाए : इलाके के लोग खाने के लिए दाने-दाने को मोहताज हो चुके हैं. मीडिया के सामने बाढ़ प्रभावित इलाके के लोगों का दर्द छलका उठा. उन्होंने कहा कि- 'हम लोग क्या कर सकते हैं कोसी में जब बाढ़ आती है तो हम लोग दिन-रात डरे रहते हैं. ना जाने कब किसका घर कोसी में समा जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. शासन-प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं होती है, सरकार का कोई ध्यान भी नहीं जाता. हम सभी परिवार अपने घर को उजाड़ कर ऊंचे स्थान को ढूंढने का प्रयास करते हैं.'
'50-60 घर कोसी की धारा से कट चुकी है. अब देखने वाली बात यह होगी कि शासन-प्रशासन की नींद कब तक खुलती है और कब ऐसे इलाकों में व्यवस्था मुहैया कराया जाता है.' - सकलदेव यादव, पूर्व मुखिया पति