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सहरसा: बलुआहा पुल क्षतिग्रस्त होने से होगी परेशानी, विभागीय लापरवाही का नतीज भुगतेंगे ग्रामीण

सहरसा में बलुआहा पुल के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तटबंध के अंदर रह रहे लोगों की जिदगी ठहर जाएगी. विभागीय उदासीनता के कारण पुल टूटने की संभावना जताई जा रही है. पढ़ें पूरी खबर.

पुल क्षतिग्रस्त होने से होगी परेशानी
पुल क्षतिग्रस्त होने से होगी परेशानी
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Published : Oct 3, 2021, 1:32 PM IST

सहरसा: बिहार के सहरसा (Saharsa) जिले में बलुआहा पुल (Baluaaha Bridge) के मध्य भाग में बने गड्ढे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. विभाग द्वारा इस क्षतिग्रस्त स्थल का समय पर मरम्मत नहीं किए जाने से इस पुल को नुकसान (Damage to Bridge) पहुंच सकता है.

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ऐसे में पुल टूट जाने से सहरसा-दरभंगा पथ बाधित होगा. दूसरी ओर तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के लिए भी नई परेशानी खड़ी होगी. इस संबंध में जदयू नेता देवेन्द्र देव, तेलवा निवासी दीपक साह, गड़ौल निवासी मुन्ना चौधरी, अरविंद चौधरी सहित कई लोगों ने बताया कि बलुआहा पुल निर्माण के बाद तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों के जीवन में काफी बदलाव आया.

क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. ऐसे में अगर पुल के रखरखाव को लेकर विभाग सजग नहीं रहता है तो आने वाले समय में सरकार और जनता दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है. दिसंबर, 2013 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बलुआहा में करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से कोसी नदी पर बने इस दो किमी. लंबे पुल का उद्घाटन किया था.

ये भी पढ़ें- सहरसा में मतगणना को लेकर सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त, शुक्रवार को आएंगे दूसरे चरण के नतीजे

लोगों ने पुल निगम के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- 'इस पुल के रखरखाव को लेकर विभाग शुरू से ही लापरवाह दिख रहा है. पुल पर स्ट्रीट लाइट का इतने वर्षों बाद भी कभी नहीं जलना, उनकी पुल के प्रति उदासीनता को दर्शाता है.'

बलुआहा पुल के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तटबंध के अंदर रह रहे लोगों की जिदगी ठहर जाएगी. इस पुल के टूटने के बाद तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के सामने जहां आवागमन की समस्या खड़ी हो जाएगी. वहीं, तटबंध के अंदर चल रहे विकास योजनाओं पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा.

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सहरसा: बिहार के सहरसा (Saharsa) जिले में बलुआहा पुल (Baluaaha Bridge) के मध्य भाग में बने गड्ढे ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है. विभाग द्वारा इस क्षतिग्रस्त स्थल का समय पर मरम्मत नहीं किए जाने से इस पुल को नुकसान (Damage to Bridge) पहुंच सकता है.

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ऐसे में पुल टूट जाने से सहरसा-दरभंगा पथ बाधित होगा. दूसरी ओर तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के लिए भी नई परेशानी खड़ी होगी. इस संबंध में जदयू नेता देवेन्द्र देव, तेलवा निवासी दीपक साह, गड़ौल निवासी मुन्ना चौधरी, अरविंद चौधरी सहित कई लोगों ने बताया कि बलुआहा पुल निर्माण के बाद तटबंध के भीतर रहने वाले लोगों के जीवन में काफी बदलाव आया.

क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है. ऐसे में अगर पुल के रखरखाव को लेकर विभाग सजग नहीं रहता है तो आने वाले समय में सरकार और जनता दोनों को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है. दिसंबर, 2013 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बलुआहा में करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये की लागत से कोसी नदी पर बने इस दो किमी. लंबे पुल का उद्घाटन किया था.

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लोगों ने पुल निगम के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा- 'इस पुल के रखरखाव को लेकर विभाग शुरू से ही लापरवाह दिख रहा है. पुल पर स्ट्रीट लाइट का इतने वर्षों बाद भी कभी नहीं जलना, उनकी पुल के प्रति उदासीनता को दर्शाता है.'

बलुआहा पुल के क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में तटबंध के अंदर रह रहे लोगों की जिदगी ठहर जाएगी. इस पुल के टूटने के बाद तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों के सामने जहां आवागमन की समस्या खड़ी हो जाएगी. वहीं, तटबंध के अंदर चल रहे विकास योजनाओं पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा.

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