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पारंपरिक गीत गाकर रोपनी कर रही महिलाएं, इंद्रदेव से अच्छी फसल की कर रही प्रार्थना

रोहतास जिले के खेतों में किसान धान की रोपनी में जुट गए हैं. घुटने भर पानी में उतरकर रोपनी कर रही महिलाएं पारंपरिक गीत गा रही हैं. गीत के माध्यम से भगवान इंद्र से जिले में अच्छी बारिश और फसल होने की प्रर्थना कर रही हैं.

पारंपरिक गीत गाकर रोपनी कर रही महिलाएं
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Published : Jul 19, 2019, 3:07 PM IST

रोहतास: मानसून आते ही किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठते हैं. हर साल मानसून आने का किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है. धान की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में लगातार हो रही बारिश से किसान खुश हैं. रोहतास में ग्रामीण महिलाएं खेतों में रोपनी करते हुए गीत गा रही हैं.

पारंपरिक गीत गाकर रोपनी कर रही महिलाएं
इन दिनों रोहतास जिले के खेतों में किसान धान की रोपनी कर रहे हैं. इसमें ग्रामीण महिलाएं भी रोपनी में जुटी हैं. घुटने भर पानी में उतरकर रोपनी कर रही महिलाएं पारंपरिक गीत भी गाती हैं. इस गीत में घर परिवार की कहानियां होती हैं. गीत के माध्यम से भगवान इंद्र से प्रार्थना की जाती है कि मौसम सुहाना बना रहे. पूरे जिले में अच्छी बारिश हो ताकि फसलें अच्छी हो.

पारंपरिक गीत गाकर धान की रोपनी कर रही महिलाएं

इंद्रदेव से अच्छी बारिश के लिए प्रार्थना
भारतीय संस्कृति में हर मौसम के गीत हैं. फाल्गुन में फगुआ, चैत में चैता और सावन में कजरी के गीत गाए जाते हैं. ठीक वैसे ही रोपनी के दौरान महिलाएं गीत गाती हैं. गीत गाने से उन्हें थकान का एहसास भी नहीं होता और काम का निपटारा भी हो जाता है. खेती में पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं का योगदान होता है. रोपनी कर रही महिलाएं कहती हैं कि धान की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में वर्षा होना बेहद जरूरी है. यदि बारिश नहीं होगी तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी.

रोहतास: मानसून आते ही किसानों के चेहरे खुशी से खिल उठते हैं. हर साल मानसून आने का किसानों को बेसब्री से इंतजार रहता है. धान की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है. ऐसे में लगातार हो रही बारिश से किसान खुश हैं. रोहतास में ग्रामीण महिलाएं खेतों में रोपनी करते हुए गीत गा रही हैं.

पारंपरिक गीत गाकर रोपनी कर रही महिलाएं
इन दिनों रोहतास जिले के खेतों में किसान धान की रोपनी कर रहे हैं. इसमें ग्रामीण महिलाएं भी रोपनी में जुटी हैं. घुटने भर पानी में उतरकर रोपनी कर रही महिलाएं पारंपरिक गीत भी गाती हैं. इस गीत में घर परिवार की कहानियां होती हैं. गीत के माध्यम से भगवान इंद्र से प्रार्थना की जाती है कि मौसम सुहाना बना रहे. पूरे जिले में अच्छी बारिश हो ताकि फसलें अच्छी हो.

पारंपरिक गीत गाकर धान की रोपनी कर रही महिलाएं

इंद्रदेव से अच्छी बारिश के लिए प्रार्थना
भारतीय संस्कृति में हर मौसम के गीत हैं. फाल्गुन में फगुआ, चैत में चैता और सावन में कजरी के गीत गाए जाते हैं. ठीक वैसे ही रोपनी के दौरान महिलाएं गीत गाती हैं. गीत गाने से उन्हें थकान का एहसास भी नहीं होता और काम का निपटारा भी हो जाता है. खेती में पुरुषों से कहीं ज्यादा महिलाओं का योगदान होता है. रोपनी कर रही महिलाएं कहती हैं कि धान की खेती के लिए पर्याप्त मात्रा में वर्षा होना बेहद जरूरी है. यदि बारिश नहीं होगी तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी.

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भारतीय संस्कृति में हर मौसम के गीत हैं फागुन में फगुआ चैत में चैता सावन में कजरी के गीत गाए जाते हैं उसी तरह गृहस्थ जीवन में जन्म से लेकर मृत्यु तक के गीत है ठीक वैसे ही इन दिनों रोहतास में ग्रामीण महिलाएं खेतों में रोपनी करते हुए गीत गा रही हैं


Body:दरअसल इन दिनों धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास जिले के खेतों में किसान धान की रोपनी कर रहे हैं जिसमें ग्रामीण महिलाएं भी रोपनी कर रही हैं धान की रोपनी करने वाले रोपनी हार महिलाएं घुटने भर पानी में उतरकर रोपनी के पारंपरिक गीत गाती हैं इस गीत में घर परिवार की कहानियां होती हैं अपने पराए ओ का सुख दुख होता है साथ ही भगवान से प्रार्थना की जाती है कि मौसम सुहाना बना रहे

महिलाएं कहती हैं इंद्र से प्रार्थना करती है कि वर्षा हो ताकि धान की रोपनी बढ़िया तरीके से हो सके जब खेतों में वह लोग रोकने के लिए उतरती हैं तो एक साथ परंपरिक गीत गाती हैं जिससे उन्हें थकान नहीं होती और काम का निपटारा भी हो जाता है


Conclusion:गौरतलब है कि रोहतास धान का कटोरा कहा जाता है यहां धान की उन्नत नस्ल की खेती होती है इस खेती में पुरुषों से कहीं बढ़ चढ़कर महिलाओं का योगदान होता है

बाइट - पार्वती देवी रोपनी हार महिला
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