रोहतास: 'बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है'. यह टैग लाइन लगा बैनर और तस्वीर सूबे के हर जिले के गली-मुहल्ले में दिखने को मिल जाती है. लेकिन बहार का आलम यह है कि जिस विकास की बयार की बात नीतीश कुमार और उनकी पार्टी इन तस्वीरों के जरिए कर रही है. उस विकास के पायदान में बिहार का स्थान सबसे नीचे है. बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था दम तोड़ चुकी है. स्वास्थ्य व्यवस्था अब खाट के सहारे चल रही है. जिस पर मरीज को अस्पताल से टांग कर तीरमारदार 7 किलोमीटर पैदल चलकर घर ले जा रहे हैं.
यह भी पढ़ें:खतरे में मोक्षदायिनी फल्गु , शव दाह और नाले का गंदा पानी कर रहा नदी को प्रदूषित
एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण खाट पर घर पहुंची महिला
कोरोना वैक्सीनेशन और जांच पर स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ताल ठोकते रहते हैं. लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि मरीज आज भी खाट के सहारे घर से अस्पताल लाए और भिजवाये जाते हैं. जिले से आई यह तस्वीर सरकार, सीएम और स्वास्थ्य मंत्री के दावों की पोल खोल रही है. जहां बंध्याकरण के ऑपरेशन के बाद एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण परिजन मरीज को खटिया पर उठाकर सात किलोमीटर पैदल चल कर गांव ले गए.
यह भी पढ़ें:रांची में लालू प्रसाद के जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में टली सुनवाई, 5 मार्च को अगली सुनवाई
सिविल सर्जन की सफाई
इस संबंध में सासाराम के सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार ने बताया कि मरीज का घर पहाड़ पर स्थित है. जहां एंबुलेंस जाने के रास्ता नहीं है. अमूमन ऐसे गांव में मरीजों को खटिए या फिर अन्य तरीके से उठाकर ही ले जाया जाता है. सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि 7 किलोमीटर तक कुछ इसी तरह से मरीज के परिजन खटिया में टांग कर मरीज को घर तक ले गए हैं.
गौरतलब है कि रोहतास के कैमूर पहाड़ी के इलाके में इस तरह की तस्वीरें आम है. लेकिन इन तस्वीरों के बाद भी रोहतास के स्वास्थ्य सिस्टम में कोई मुलभूत सुधार नहीं हुआ है. वहीं, इस संबंध में सिविल सर्जन ने पीएचसी प्रभारी से जानकारी मांगी है.