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सासाराम: टेक्नीशियन के अभाव में 3 सालों से बंद है सदर अस्पताल का अल्ट्रासाउंड मशीन, मरीज परेशान - बिहार स्वास्थ्य विभाग

सदर अस्पताल में 3 साल पहले अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई. लेकिन, टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण मशीन बंद पड़ा है. जिस कारण मरीजों को निजी अस्पताल में जाकर जांच कराना पड़ रहा हैं.

सदर अस्पताल
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Published : Oct 18, 2019, 6:52 AM IST

रोहतास: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हालत में है. स्वास्थ्य के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. सासाराम सदर अस्पताल में सालों पहले लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन का अब तक इस्तेमाल में नहीं हो रहा है. जिससे मरीजों को दूसरे निजी अस्पताल में जाकर जांच कराना पड़ रहा है.

sasaram
बंद पड़ा अल्ट्रासाउंड कक्ष

दरअसल, अस्पताल में करोड़ों रुपये खर्च कर के मरीजों की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन लाई जाती है. इसके बाद भी मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. जिले के सदर अस्पताल में 3 साल पहले अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई. लेकिन, टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण मशीन बंद पड़ी है. जिस कारण मरीजों को निजी अस्पताल में जाकर जांच कराना पड़ रहा है. जो साफ तौर पर उनकी जेबों पर असर डालता है. वहीं, इस अस्पताल में कर्मियों का भी काफी अभाव है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

पेश है रिपोर्ट

'जल्द होगी टेक्नीशियन की नियुक्ति'
इस संबंध में सदर अस्पताल के सिविल सर्जन जनार्दन शर्मा ने कहा कि टेक्नीशियन की कमी से अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वरीय अधिकारी को सूचित कर दिया गया है. सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि इसके बावजूद 5 दिनों के अंदर प्राइवेट टेक्नीशियन को ट्रेंनिंग देकर बहाल किया जाएगा. जिससे मरीजों को दूसरे अस्पताल में जाकर जांच न कराना पड़े.

रोहतास: बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर हालत में है. स्वास्थ्य के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है. सासाराम सदर अस्पताल में सालों पहले लगाई गई अल्ट्रासाउंड मशीन का अब तक इस्तेमाल में नहीं हो रहा है. जिससे मरीजों को दूसरे निजी अस्पताल में जाकर जांच कराना पड़ रहा है.

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बंद पड़ा अल्ट्रासाउंड कक्ष

दरअसल, अस्पताल में करोड़ों रुपये खर्च कर के मरीजों की जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन लाई जाती है. इसके बाद भी मरीजों की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. जिले के सदर अस्पताल में 3 साल पहले अल्ट्रासाउंड मशीन लगाई गई. लेकिन, टेक्नीशियन के नहीं होने के कारण मशीन बंद पड़ी है. जिस कारण मरीजों को निजी अस्पताल में जाकर जांच कराना पड़ रहा है. जो साफ तौर पर उनकी जेबों पर असर डालता है. वहीं, इस अस्पताल में कर्मियों का भी काफी अभाव है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

पेश है रिपोर्ट

'जल्द होगी टेक्नीशियन की नियुक्ति'
इस संबंध में सदर अस्पताल के सिविल सर्जन जनार्दन शर्मा ने कहा कि टेक्नीशियन की कमी से अल्ट्रासाउंड कक्ष बंद है. उन्होंने कहा कि इसके लिए वरीय अधिकारी को सूचित कर दिया गया है. सिविल सर्जन ने यह भी बताया कि इसके बावजूद 5 दिनों के अंदर प्राइवेट टेक्नीशियन को ट्रेंनिंग देकर बहाल किया जाएगा. जिससे मरीजों को दूसरे अस्पताल में जाकर जांच न कराना पड़े.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय के सदर अस्पताल इन दिनों रामभरोसे चलने को मजबूर है। सदर अस्पताल में सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति हो रही है।


Body:गौरतलब है कि बिहार में लगातार स्वास्थ्य विभाग को लेकर सुशासन बाबू की फ़ज़ीहतें हो रही है। ऐसे में जिला मुख्यालय का सदर अस्पताल भी इन दिनों कई सुविधाओं से जूझ रहा है। जाहिर है करोड़ों रुपए का बजट खर्च होने के बाद भी गरीब मरीजों को सदर अस्पताल में सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति किया जा रहा है। गौरतलब है कि सदर अस्पताल में पिछले 3 साल पहले सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड की मशीनें लगाई गई थी। लेकिन अफसोस मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल सका। गौरतलब है कि टेक्नीशियन के अभाव में 3 सालों से सदर अस्पताल का अल्ट्रासाउंड इस्तेमाल नहीं हो रहा है। जाहिर है अल्ट्रासाउंड की लाखों रुपए की मशीन इसी तरह सदर अस्पताल में शोभा की वस्तु बन कर पड़ी है। वही इस बारे में जब सदर अस्पताल के सिविल सर्जन जनार्दन शर्मा से अल्ट्रासाउंड के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने बोला कि पिछले 3 सालों से टेक्नीशियन के अभाव में सदर अस्पताल का अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल नहीं हुआ है। बहुत जल्दी 5 दिनों का ट्रेनिंग देकर प्राइवेट टेक्नीशियन को बहाल किया जाएगा। जिसके बाद अस्पताल में अल्ट्रासाउंड का लाभ मरीजों को दिया जाएगा। वहीं अस्पताल में कर्मियों का घोर अभाव है। सदर अस्पताल के कई विभाग में कर्मियों का घोर अभाव है। ज़ाहिर है अस्पताल की बदइंतज़ामी से बिहार में सुशासन बाबू के स्वास्थ्य विभाग के किरकिरी हो रही है। उसका नतीजा है कि सदर अस्पताल में सुविधा के नाम पर महज खानापूर्ति की जाती है।


Conclusion:जाहिर है अस्पताल में सुविधा होने के बाद भी मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। जिससे अस्पताल प्रशासन पर सवाल खड़ा होना लाजमी है। सदर अस्पताल में अस्पताल में अक्सर गरीब मरीन ही इलाज कराने पहुंचते हैं। ऐसे में गरीबों को प्राइवेट अस्पताल का सहारा लेना पड़ता है। जहां उनसे भारी भरकम रकम वसूल किया जाता है।

बाइट। सिविल सर्जन
पीटीसी
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