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कभी घर चलाना होता था मुशकिल, आज बटेर ने बदल दी प्रेमचंद की किस्मत

प्रेमचंद जिले में अपनी अलग पहचान बनाते हुए बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहें हैं. एक वक्त ऐसा था, जब प्रेमचंद को खेती में काफी नुकसान हुआ करता था.

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Published : Mar 26, 2019, 1:10 PM IST

बटेरों का झुंड

रोहतास: जिला मुख्यालय से तकरीबन तीस किलोमीटर दूर तिलौथू प्रखंड के प्रेमचंद ने बटेर पालन कर एक मिसाल कायम किया है. प्रेमचंद ने इस दौरान काफी परेशानियों का सामना किया. लेकिन वक्त ने करवट ली और उनकी किस्मत बदल डाली. आज प्रेमचंद का कारोबार इतना बड़ा है कि वह दूसरे को रोजगार दे रहे है.

प्रेमचंद जिले में अपनी अलग पहचान बनाते हुए बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहें हैं. एक वक्त ऐसा था, जब प्रेमचंद को खेती में काफी नुकसान हुआ करता था. जिससे उनके परिवार का पालन पोषण तक नहीं हो पाता था. लेकिन वक्त ने उन्हें उत्तर प्रदेश के बरैली के इज्जत नगर पहुंचा दिया, जहां से उन्हेंने बटेर पालन की ट्रेनिंग ली. उसके बाद वो गांव में आकर बटेर पालन का काम करने लगे.

बटेरों का झुंड और बयान देते प्रेमचंद्र

समस्यों से होना पड़ा रू-ब-रू
शुरवाती दौर में प्रेमचंद्र को कई तरह की समस्यों से रू-ब-रू होना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य होता चला गया. आज वह बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. साथ ही दूसरों को भी इसके जरिये रोजगार दे रहें हैं. प्रेमचंद आज खुद हैचरी के माध्यम से बटेर के अंडे से उनका बच्चा पैदा करते हैं. बिहार समेत दूसरे राज्यों में उसकी सप्लाईहोती है.

quail
बटेरों का झुंड

क्या है प्रेमचंद्र का सपना
प्रेमचंद ने बताया कि बटेर बिल्कुल मुर्गी के किस्म की होती है. इसे पालने में भी आसानी होती है. बहरहाल, प्रेमचंद की सफलता ने एक मिसाल कायम किया है. वहीं प्रेमचंद का अब यही सपना है कि इस तरह का उधोग और लोगों को भी बताया जाए, ताकि लोग बिहार में ही रह कर अपना काम करें उन्हें बाहर जाने की जरूरत न पड़े.

रोहतास: जिला मुख्यालय से तकरीबन तीस किलोमीटर दूर तिलौथू प्रखंड के प्रेमचंद ने बटेर पालन कर एक मिसाल कायम किया है. प्रेमचंद ने इस दौरान काफी परेशानियों का सामना किया. लेकिन वक्त ने करवट ली और उनकी किस्मत बदल डाली. आज प्रेमचंद का कारोबार इतना बड़ा है कि वह दूसरे को रोजगार दे रहे है.

प्रेमचंद जिले में अपनी अलग पहचान बनाते हुए बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहें हैं. एक वक्त ऐसा था, जब प्रेमचंद को खेती में काफी नुकसान हुआ करता था. जिससे उनके परिवार का पालन पोषण तक नहीं हो पाता था. लेकिन वक्त ने उन्हें उत्तर प्रदेश के बरैली के इज्जत नगर पहुंचा दिया, जहां से उन्हेंने बटेर पालन की ट्रेनिंग ली. उसके बाद वो गांव में आकर बटेर पालन का काम करने लगे.

बटेरों का झुंड और बयान देते प्रेमचंद्र

समस्यों से होना पड़ा रू-ब-रू
शुरवाती दौर में प्रेमचंद्र को कई तरह की समस्यों से रू-ब-रू होना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य होता चला गया. आज वह बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे हैं. साथ ही दूसरों को भी इसके जरिये रोजगार दे रहें हैं. प्रेमचंद आज खुद हैचरी के माध्यम से बटेर के अंडे से उनका बच्चा पैदा करते हैं. बिहार समेत दूसरे राज्यों में उसकी सप्लाईहोती है.

quail
बटेरों का झुंड

क्या है प्रेमचंद्र का सपना
प्रेमचंद ने बताया कि बटेर बिल्कुल मुर्गी के किस्म की होती है. इसे पालने में भी आसानी होती है. बहरहाल, प्रेमचंद की सफलता ने एक मिसाल कायम किया है. वहीं प्रेमचंद का अब यही सपना है कि इस तरह का उधोग और लोगों को भी बताया जाए, ताकि लोग बिहार में ही रह कर अपना काम करें उन्हें बाहर जाने की जरूरत न पड़े.

Intro:रोहतास। जिला मुख्यालय से तक़रीबन तीस किलोमीटर दूर तिलौथू प्रखंड के प्रेमचंद ने बटेर पालन कर मिसाल मिसाल कायम कर दिया है।


Body:ग़ालिब ने एक मशहूर शायरी कही थी कि अपने हौसले को ये मत बताओ कि तुम्हारी परेशानी कितनी बड़ी है बल्के अपने परेशानी को बताओ कि तुम्हारे हौसले कितने बड़े है। ग़ालिब की ये शायरी प्रेमचंद पर एक दम फिट बैठती है। जी है प्रेमचंद ने काफी परेशानियों का सामना किया है। लेकिन वक़्त ने करवट लिया और किस्मत बदल डाली। क्यों आज प्रेमचंद के पास बटेर का इतना बड़ा कारोबार है कि वो अब दूसरे को रोजगार देने का काम कर रहे है। जिले में अपनी अलग पहचान बनाते हुए आज बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहें है। एक वक्त ओस था जब प्रेमचंद को खेती में काफी नुकसान हुआ करता था जिससे उनके परिवार का पालन पोषड़ पर लाले पड़ने लगे थे। लेकिन वक़्त ने उन्हें उत्तर प्रदेश के बरैली के इज़्ज़त नगर पहुचा दिया। जहां से उन्हेंने बटेर पालन की बारीकी से ट्रेनिंग लिया। उसके बाद वो गांव पर आकर बटेर पालन करना शुरू किया। शुरवाती दौर में उन्हें कई तरह की समस्यों से रूबरू होना पड़ा लेकिन धीरे धीरे सबकुछ सामान्य होता चला गया। लिहाज़ा आज की तारिक़ बटेर पालन कर लाखों रुपयों की आमदनी कर रहे है साथ ही दूसरों को भी इसके जरिये रोजगार दे रहें है। प्रेमचंद आज खुद हैचरी के माध्यम से बटेर के अंडे से उनका बच्चा पैदा करते है और बिहार समेत दूसरे राज्यों में उसका सप्लाय करते है। प्रेमचंद ने बताया कि बटेर बिल्कुल मुर्गी के किस्म की होती है इसे पालने में भी आसान होता है।


Conclusion:बहरहाल प्रेमचंद की सफलता ने एक मिसाल कायम किया है। वहीं प्रेमचंद का अब यही सपना इस तरह का उधोग और लोगों को भी बताया जाए ताकि लोग बिहार में ही रह कर धंधा कर सके उन्हें बाहर जाने की ज़रूरत न पड़े।

बाइट। प्रेमचंद
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