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कोटा से लौटे छात्रों का आरोप- बस में ठूंस-ठूंसकर लाया गया, सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हुआ पालन - Rohtas DM Pankaj Dixit

स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही जिले में कोविड-19 के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. वहीं पूरे मामले पर रोहतास के डीएम पंकज दीक्षित का कहना है कि जिला प्रशासन अपने स्तर से बेहतर व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है.

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Published : May 12, 2020, 4:39 PM IST

रोहतासः बिहार के बाहर फंसे छात्र-छात्राओं के लौटने का सिलसिला जारी है. लेकिन लॉक डाउन के दौरान इन छात्रों को गंभीर समस्या से गुजरना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी तब हुई जब रोहतास के छात्रों को किसी तरह से घर लाया गया. कोटा से लेकर घर पहुंचने तक इन छात्रों को कई विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ा.

छात्र-छात्राओं के लौटने का सिलसिला जारी
दरअसल तस्वीरों में दिखने वाले यह वही छात्र हैं, जो पिछले डेढ़ महीना से अधिक समय तक कोटा में फंसे हुए थे. लाखों सपने लेकर गए इन छात्र-छात्राओं को जब कोरोना बंदी में घर लौटना पड़ा, तो इन्हें गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ा. राजस्थान के कोटा प्रशासन ने तो छात्र-छात्राओं को बिहार आने वाली ट्रेनों पर बिठाकर यहां भेज दिया. लेकिन ट्रेन से उतरने के बाद घर पहुंचने तक काफी परेशानी हुई.

देखें पूरी रिपोर्ट

छात्र-छात्राओं को हुई परेशानी
सासाराम आने वाले छात्रों को आरा रेलवे स्टेशन से बस से लाया गया. आरा से सासाराम की दूरी 100 किलोमीटर है. लेकिन इस सौ किलोमीटर की दूरी को तय करने में प्रशासन के बसों को 8 घंटे लगे. इस दौरान ना कोई नाश्ता मिला ना ही पानी. वहीं, सासाराम उतरते ही सदर अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए इन लोगों ने अपना स्क्रीनिंग कराया. लेकिन बस में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं किया.

कोविड-19 के मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा
बहरहाल स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही जिले में कोविड-19 के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. वहीं पूरे मामले पर रोहतास के डीएम पंकज दीक्षित का कहना है कि जिला प्रशासन अपने स्तर से बेहतर व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है.

रोहतासः बिहार के बाहर फंसे छात्र-छात्राओं के लौटने का सिलसिला जारी है. लेकिन लॉक डाउन के दौरान इन छात्रों को गंभीर समस्या से गुजरना पड़ रहा है. सबसे अधिक परेशानी तब हुई जब रोहतास के छात्रों को किसी तरह से घर लाया गया. कोटा से लेकर घर पहुंचने तक इन छात्रों को कई विषम परिस्थितियों से गुजरना पड़ा.

छात्र-छात्राओं के लौटने का सिलसिला जारी
दरअसल तस्वीरों में दिखने वाले यह वही छात्र हैं, जो पिछले डेढ़ महीना से अधिक समय तक कोटा में फंसे हुए थे. लाखों सपने लेकर गए इन छात्र-छात्राओं को जब कोरोना बंदी में घर लौटना पड़ा, तो इन्हें गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ा. राजस्थान के कोटा प्रशासन ने तो छात्र-छात्राओं को बिहार आने वाली ट्रेनों पर बिठाकर यहां भेज दिया. लेकिन ट्रेन से उतरने के बाद घर पहुंचने तक काफी परेशानी हुई.

देखें पूरी रिपोर्ट

छात्र-छात्राओं को हुई परेशानी
सासाराम आने वाले छात्रों को आरा रेलवे स्टेशन से बस से लाया गया. आरा से सासाराम की दूरी 100 किलोमीटर है. लेकिन इस सौ किलोमीटर की दूरी को तय करने में प्रशासन के बसों को 8 घंटे लगे. इस दौरान ना कोई नाश्ता मिला ना ही पानी. वहीं, सासाराम उतरते ही सदर अस्पताल में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए इन लोगों ने अपना स्क्रीनिंग कराया. लेकिन बस में सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं किया.

कोविड-19 के मरीजों की संख्या में हो रहा इजाफा
बहरहाल स्थानीय लोगों का भी आरोप है कि अधिकारियों की लापरवाही के कारण ही जिले में कोविड-19 के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. वहीं पूरे मामले पर रोहतास के डीएम पंकज दीक्षित का कहना है कि जिला प्रशासन अपने स्तर से बेहतर व्यवस्था करने की कोशिश कर रही है.

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