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Vijya Dashmi 2023 : रोहतास में सिंदूर खेला के साथ मां दुर्गा की विदाई, ढाक की थाप पर खूब झूमी महिलाएं

रोहतास में मंगलवार को विजयादशमी के दिन बंगाली समाज के लोगों ने मां दुर्गा को अंतिम विदाई दी. इस मौके पर महिलाओं ने मां दुर्गे को सिंदूर लगाकर विदा किया और सिंदूर की होली खेली. साथ ही कि हे मां अगले बरस आप फिर आना. पढ़ें पूरी खबर..

एक दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं
एक दूसरे को सिंदूर लगाती महिलाएं
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 24, 2023, 11:01 PM IST

रोहतास में सिंदूर खेला

रोहतास : बिहार के रोहतास स्थित डेहरी के पाली रोड स्थित श्री श्री रामकृष्ण आश्रम में मंगलवार को बंगाली समुदाय के लोग इकट्ठा हुए तथा मां दुर्गा को नम आंखों से विदाई दी. इस अवसर पर महिला ने सिंदूर खेलकर माता को विदाई दी. इस दिन बंगाली समाज में सिंदूर खेले का पुराना रस्म है. बंगाली हिंदू महिलाएं इस रस्म को निभाती हैं. इसके साथ मां से अगले साल भी आने का अह्वान किया.

ये भी पढ़ें : Rawan Dahan : धू-धू कर जला रावण, बुराई पर अच्छाई की जीत का दिया संदेश

मां की विदाई से पहले होता है सिंदूर खेला : बंगाली समुदाय की महिला स्नेहा ने बताया कि दुर्गा पूजा उत्सव के अंतिम दिन यानी दशहरा पर मां की विदाई के पहले सिंदूर खेला का रस्म निभाया जाता है. ऐसे में बंगाली हिंदू महिलाएं इस रस्म को निभाती हैं. सिंदूर खेला यानी सिंदूर का खेल या सिंदूर से खेले जाने वाली होली भी कहा जाता है. वह बताती है कि यह सौभाग्य का यह प्रतीक माना जाता है. सिंदूर खेला से पति की आयु भी बढ़ती है.सिंदूर खेला की यह परंपरा करीब 450 साल से भी अधिक पुरानी है. बंगाल से इसकी शुरुआत हुई थी.

"विजया दशमी मां दुर्गा के कैलाश पर्वत में लौट जाने का दिन है. हमलोग माता की पान और मिठाई से आरती उतारती है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए माता से प्रार्थना करती हैं."- स्नेहा

बेटी की तरह होती है माता की विदाई : संगीता घोष बताती है कि बंगाली समाज के लोग माता की विदाई से पहले वह सभी रस्में निभाते हैं, जो बेटी की विदाई के वक्त मायका में निभाया जाता है. इसी के तहत बंगाली समुदाय की महिलाएं देवी को सिंदूर चढ़ती हैं उसके बाद दही पेड़ा और जल अर्पण करती हैं. माता को चढ़ाया गया यही सिंदूर महिला खुद लगती है. फिर इस सिंदूर को एक दूसरे को भी लगती हैं और सिंदूर की होली खेलती हैं. सिंदूर खेला से देवी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

रोहतास में सिंदूर खेला

रोहतास : बिहार के रोहतास स्थित डेहरी के पाली रोड स्थित श्री श्री रामकृष्ण आश्रम में मंगलवार को बंगाली समुदाय के लोग इकट्ठा हुए तथा मां दुर्गा को नम आंखों से विदाई दी. इस अवसर पर महिला ने सिंदूर खेलकर माता को विदाई दी. इस दिन बंगाली समाज में सिंदूर खेले का पुराना रस्म है. बंगाली हिंदू महिलाएं इस रस्म को निभाती हैं. इसके साथ मां से अगले साल भी आने का अह्वान किया.

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मां की विदाई से पहले होता है सिंदूर खेला : बंगाली समुदाय की महिला स्नेहा ने बताया कि दुर्गा पूजा उत्सव के अंतिम दिन यानी दशहरा पर मां की विदाई के पहले सिंदूर खेला का रस्म निभाया जाता है. ऐसे में बंगाली हिंदू महिलाएं इस रस्म को निभाती हैं. सिंदूर खेला यानी सिंदूर का खेल या सिंदूर से खेले जाने वाली होली भी कहा जाता है. वह बताती है कि यह सौभाग्य का यह प्रतीक माना जाता है. सिंदूर खेला से पति की आयु भी बढ़ती है.सिंदूर खेला की यह परंपरा करीब 450 साल से भी अधिक पुरानी है. बंगाल से इसकी शुरुआत हुई थी.

"विजया दशमी मां दुर्गा के कैलाश पर्वत में लौट जाने का दिन है. हमलोग माता की पान और मिठाई से आरती उतारती है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के दीर्घायु होने के लिए माता से प्रार्थना करती हैं."- स्नेहा

बेटी की तरह होती है माता की विदाई : संगीता घोष बताती है कि बंगाली समाज के लोग माता की विदाई से पहले वह सभी रस्में निभाते हैं, जो बेटी की विदाई के वक्त मायका में निभाया जाता है. इसी के तहत बंगाली समुदाय की महिलाएं देवी को सिंदूर चढ़ती हैं उसके बाद दही पेड़ा और जल अर्पण करती हैं. माता को चढ़ाया गया यही सिंदूर महिला खुद लगती है. फिर इस सिंदूर को एक दूसरे को भी लगती हैं और सिंदूर की होली खेलती हैं. सिंदूर खेला से देवी भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं.

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