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Rohtas News: डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन का आगाज, मशाल जुलूस निकाल कर जताया विरोध - etv bharat news

रोहतास जिले के डालमियानगर स्थित रोहतास उद्योग समूह (Rohtas Group of Industries) आवासीय परिसर को बचाने के लिए डालमियानगर के आवासीय क्वार्टर में रह रहे लोगों ने आशियाना बचाओ आंदोलन के तहत मशाल जुलूस निकाला. जुलूस में काफी संख्या में महिलाएं एवं पुरुष शामिल हुए. पढ़ें पूरी खबर...

डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन का आगाज
डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन का आगाज
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Published : Jan 22, 2023, 11:05 PM IST

डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन

रोहतास: बिहार के रोहतास में आशियाना बचाओ आंदोलन (Save House Movement In Rohtas) के तहत मशाल जुलूस निकाला गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग हाथों में मशाल लिए आवास बचाओ का नारा लगा रहे थे. अभियान समिति के अध्यक्ष बलराम सिंह, वार्ड पार्षद रितेश कुमार के नेतृत्व में डालमियानगर चावल मार्केट दुर्गा मंदिर से हाथों में मशाल लिए जुलूस की शक्ल में सैकड़ो लोग डी टाइप, एकता चौक, गोसाई जी की गुमटी, रोहतास क्लब, पोस्ट ऑफिस, जनरल ऑफिस होते हुए पुनः चावल मार्केट पहुंचे. जहां जुलूस समाप्त हो गया.

ये भी पढ़ें- भागलपुर में छात्र राजद का अनोखा विरोध प्रदर्शन, TMBU के कुलपति का निकाला अर्थी जुलूस

'वर्ष 1984 से रोहतास उद्योग बंद पड़ा है. क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारी अपने अधूरे कार्यकाल करने के बाद गरीबी और लाचारी के कारण प्राण त्याग दिए. लेकिन उनके परिजन इस आस में बैठे हैं कि आगे चलकर इस आशियाना को न्यायपालिका के जरिए उचित न्याय मिल जाएगा. आज कुछ कारणों की वजह से आशियाना गुजरता दिख रहा है. इसके लिए सभी लोगों को नोटिस भी मिल रहा है. अब ऐसे में वह लोग अपने घरों से बेघर हो रहे हैं.' - रितेश कुमार, वार्ड पार्षद

डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन का आगाज : गौरतलब है कि 1984 से डालमियानगर में रोहतास उद्योग समूह बंद होने के बाद सभी कर्मचारियों का वेतन आज तक बकाया है. कुछ लोग तो अब तक स्वर्ग सिधार गए हैं. लेकिन उनके परिजन अभी भी किसी तरह यहां जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में अब बेघर होने की नौबत आन पड़ी है. 30 से 35 हजार लोग आखिर कहां जाएंगे?.

'60 साल से यहीं पर हूं. बुढ़ापे की दहलीज आ गई है. किसी तरह जिंदगी गुजार रही हूं. अब इस उम्र में कहां जाऊं. बस प्रधानमंत्री मोदी जी से गुहार है कि अब आप ही हमें बेघर होने से बचाएं.'-
बागेश्वरी देवी, स्थानीय

एशिया का सबसे बड़ा उद्योग समूह इस इलाके में था : कभी एशिया का सबसे बड़ा उद्योग समूह इस इलाके में था. डालमियानगर का इलाका रोहतास उद्योग समूह के नाम से जाना जाता था. पर कारखाना बंद होने के बाद यहां के लोग यहां कम से कम क्वार्टर में तो रह रहे थे. लेकिन अब खाली करने के फरमान से सशंकित है. लोगों का कहना है कि अब हमारा क्या होगा. गौरतलब है कि साल 1984 में रोहतास उद्योग समूह पूरी तरह से बंद हो गया था.

हजारों लोगों के बेघर होने का खतरा : जिसे लेकर हजारों परिवार का रोजगार भी खत्म हो गया. लेकिन उद्योग समूह के आवासीय कॉलोनी में रह रहे लोग अब बेघर होने के कगार पर हैं. क्योंकि उन्हें अब लगभग चार दशकों के बाद रोहतास उद्योग समूह के द्वारा क्वार्टर खाली करने का नोटिस मिला है. ऐसे में अब इन परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, आवास खाली करने के नोटिस मिलने के बाद सभी लोग इस बात से आशंकित हैं कि अब वह जाएं तो जाएं कहां?.

डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन

रोहतास: बिहार के रोहतास में आशियाना बचाओ आंदोलन (Save House Movement In Rohtas) के तहत मशाल जुलूस निकाला गया. इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग हाथों में मशाल लिए आवास बचाओ का नारा लगा रहे थे. अभियान समिति के अध्यक्ष बलराम सिंह, वार्ड पार्षद रितेश कुमार के नेतृत्व में डालमियानगर चावल मार्केट दुर्गा मंदिर से हाथों में मशाल लिए जुलूस की शक्ल में सैकड़ो लोग डी टाइप, एकता चौक, गोसाई जी की गुमटी, रोहतास क्लब, पोस्ट ऑफिस, जनरल ऑफिस होते हुए पुनः चावल मार्केट पहुंचे. जहां जुलूस समाप्त हो गया.

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'वर्ष 1984 से रोहतास उद्योग बंद पड़ा है. क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारी अपने अधूरे कार्यकाल करने के बाद गरीबी और लाचारी के कारण प्राण त्याग दिए. लेकिन उनके परिजन इस आस में बैठे हैं कि आगे चलकर इस आशियाना को न्यायपालिका के जरिए उचित न्याय मिल जाएगा. आज कुछ कारणों की वजह से आशियाना गुजरता दिख रहा है. इसके लिए सभी लोगों को नोटिस भी मिल रहा है. अब ऐसे में वह लोग अपने घरों से बेघर हो रहे हैं.' - रितेश कुमार, वार्ड पार्षद

डालमियानगर में आशियाना बचाओ आंदोलन का आगाज : गौरतलब है कि 1984 से डालमियानगर में रोहतास उद्योग समूह बंद होने के बाद सभी कर्मचारियों का वेतन आज तक बकाया है. कुछ लोग तो अब तक स्वर्ग सिधार गए हैं. लेकिन उनके परिजन अभी भी किसी तरह यहां जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में अब बेघर होने की नौबत आन पड़ी है. 30 से 35 हजार लोग आखिर कहां जाएंगे?.

'60 साल से यहीं पर हूं. बुढ़ापे की दहलीज आ गई है. किसी तरह जिंदगी गुजार रही हूं. अब इस उम्र में कहां जाऊं. बस प्रधानमंत्री मोदी जी से गुहार है कि अब आप ही हमें बेघर होने से बचाएं.'-
बागेश्वरी देवी, स्थानीय

एशिया का सबसे बड़ा उद्योग समूह इस इलाके में था : कभी एशिया का सबसे बड़ा उद्योग समूह इस इलाके में था. डालमियानगर का इलाका रोहतास उद्योग समूह के नाम से जाना जाता था. पर कारखाना बंद होने के बाद यहां के लोग यहां कम से कम क्वार्टर में तो रह रहे थे. लेकिन अब खाली करने के फरमान से सशंकित है. लोगों का कहना है कि अब हमारा क्या होगा. गौरतलब है कि साल 1984 में रोहतास उद्योग समूह पूरी तरह से बंद हो गया था.

हजारों लोगों के बेघर होने का खतरा : जिसे लेकर हजारों परिवार का रोजगार भी खत्म हो गया. लेकिन उद्योग समूह के आवासीय कॉलोनी में रह रहे लोग अब बेघर होने के कगार पर हैं. क्योंकि उन्हें अब लगभग चार दशकों के बाद रोहतास उद्योग समूह के द्वारा क्वार्टर खाली करने का नोटिस मिला है. ऐसे में अब इन परिवारों पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है. वहीं, आवास खाली करने के नोटिस मिलने के बाद सभी लोग इस बात से आशंकित हैं कि अब वह जाएं तो जाएं कहां?.

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