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रोहतास: पुलिस ने शराब माफियाओं के खिलाफ नहीं की कार्रवाई तो धरने पर बैठ गया पूरा गांव - रोहतास का अठखम्बवा गांव

ग्रामीणों ने गांव में ही पोस्टर बैनर लगाकर रोड के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया है. इसमें महिलाओं से लेकर पुरुष तक शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महिलाएं इसका विरोध करने सड़क पर उतरी हैं

protest against alcohal prohibition in rohtas
शराबबंदी के खिलाफ धरने पर बैठा पूरा गांव
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Published : Dec 7, 2019, 9:24 PM IST

रोहतास: बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. लिहाजा शराब माफियाओं पर जब पुलिस नकेल कसने में नाकामयाब रही, तो ग्रामीणों ने शराब तस्करों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. इसके बावजूद अब तक बिहार में शराब माफियाओं का दबदबा कायम है.

पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई
मामला सासाराम के अठखम्बवा गांव का है. यहां शराब माफियाओं ने गांव में शराब तस्करी का कारोबार शुरू कर दिया है. जिसके बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और पुलिस को इसकी सूचना दी. लेकिन ग्रामीणों के सूचना देने के बाद भी पुलिस ने शराब माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. तब खुद ग्रामीणों ने शराब माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

पेश है रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: पर्यटन का औपचारिक शुभारंभ करने वाल्मीकिनगर पहुंचे सुशील मोदी, अधिकारियों के साथ की बैठक

शराब माफियाओं के खिलाफ धरना
ग्रामीणों ने गांव में ही पोस्टर-बैनर लगाकर सड़क के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया. इसमें महिलाओं से लेकर पुरुष तक शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महिलाएं इसका विरोध करने सड़क पर उतरी हैं. रोड के किनारे ही तंबू गाड़कर महिला शराब माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही हैं. गांव की एक महिला ने बताया कि यहां पर शराब का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है. कई बार प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

protest against alcohal prohibition in rohtas
शराबबंदी के खिलाफ लगा पोस्टर

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग शराब माफिया से तंग आकर सड़क के किनारे धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि जब तक शराब माफिया पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती, तब तक गांव के लोग इसी तरह सड़क के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते रहेंगे.

रोहतास: बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. लिहाजा शराब माफियाओं पर जब पुलिस नकेल कसने में नाकामयाब रही, तो ग्रामीणों ने शराब तस्करों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था. इसके बावजूद अब तक बिहार में शराब माफियाओं का दबदबा कायम है.

पुलिस ने नहीं की कोई कार्रवाई
मामला सासाराम के अठखम्बवा गांव का है. यहां शराब माफियाओं ने गांव में शराब तस्करी का कारोबार शुरू कर दिया है. जिसके बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और पुलिस को इसकी सूचना दी. लेकिन ग्रामीणों के सूचना देने के बाद भी पुलिस ने शराब माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. तब खुद ग्रामीणों ने शराब माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.

पेश है रिपोर्ट

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शराब माफियाओं के खिलाफ धरना
ग्रामीणों ने गांव में ही पोस्टर-बैनर लगाकर सड़क के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठाना शुरू कर दिया. इसमें महिलाओं से लेकर पुरुष तक शामिल हैं. लेकिन सबसे ज्यादा महिलाएं इसका विरोध करने सड़क पर उतरी हैं. रोड के किनारे ही तंबू गाड़कर महिला शराब माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही हैं. गांव की एक महिला ने बताया कि यहां पर शराब का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है. कई बार प्रशासन को इसकी जानकारी दी गई, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.

protest against alcohal prohibition in rohtas
शराबबंदी के खिलाफ लगा पोस्टर

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग शराब माफिया से तंग आकर सड़क के किनारे धरने पर बैठ गए हैं. उनका कहना है कि जब तक शराब माफिया पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती, तब तक गांव के लोग इसी तरह सड़क के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते रहेंगे.

Intro:रोहतास। बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बावजूद शराब का कारोबार खूब पहल फूल रहा है। लिहाज़ा शराब माफियाओं पर जब पुलिस नकेल कसने में नाकामयाब रही तो ग्रामीणों ने शराब माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।


Body:गौरतलब है कि सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया था। लेकिन शराब बंदी कानून लागू होने के बाद अब तक बिहार में शराब माफियाओं की चांदी कट रही है। तो वहीं शराब माफियाओं के खिलाफ पुलिस भी अब कहीं ना कहीं विफल दिखाई पड़ती है। कुछ ऐसा ही मामला सासाराम के अठखम्बवा का है। यहां शराब माफियाओं ने गांव में शराब तस्करी का कारोबार करना शुरू कर दिया। जिसके बाद ग्रामीणों ने इसका विरोध किया और पुलिस को सूचना दी। लेकिन ग्रामीणों के सूचना देने के बाद भी पुलिस जब शराब माफियाओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की तब खुद ग्रामीणों ने शराब माफियाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सासाराम के अठखम्बवा गांव पहले से ही बदनाम जगह में शुमार है। शराब माफियाओं का सुरक्षित ठिकाना इस गांव को माना जाता था
यहां शराब बंदी के बाद भी शराब माफियाओं का सबसे महफूज़ ठिकाना अठखम्बवा गांव ही होता था। लिहाज़ा देखते ही देखते अठखम्बवा गांव में शराब माफियाओं ने पैर पसारना शुरू कर दिया। लिहाजा ग्रामीणों ने इनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। जिसके बाद गांव में ही पोस्टर बैनर लगाकर रोड के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो गई। इसमें महिलाओं से लेकर पुरुष तक शामिल रहे। सबसे ज्यादा महिलाएं इसका विरोध करने सड़क पर उतरी। वहीं रोड के किनारे ही तंबू गाड़ कर महिला शराब माफियाओं के खिलाफ धरने प्रदर्शन दे रही थी। गांव की एक महिला ने बताया कि यहां पर शराब का कारोबार धड़ल्ले से फल-फूल रहा है कई बार प्रशासन को इसकी जानकारियां दी गई लेकिन प्रशासन आता है और इसी रास्ते से गुजर जाता है। लेकिन शराब माफियाओं पर करवाई नहीं करती है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि गांव के लोग शराब माफिया से तंग आकर रोड के किनारे धरने पर बैठ गए हैं। जब तक शराब माफिया पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती तब तक गांव के लोग इसी तरह से सड़क के किनारे शराब माफियाओं के खिलाफ धरना प्रदर्शन करते रहेंगे।


Conclusion:गौरतलब है कि शराबबंदी कानून की ढोल नीतीश कुमार सरेआम रैलियों में पीटते हैं। उसकी तस्वीर और हकीकत इस गांव में नितीश कुमार के बयान की पोल खोलती है। अपराध को रोकने के लिए पुलिस को जिम्मेदारी दी गई है लेकिन पुलिस अपराध रोकने में जब नकाम साबित हो गई तो गांव के लोगों ने ही मोर्चा संभाल लिया।

बाइट। ग्रमीण
पीटीसी
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