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इस महादलित इलाके में नहीं है एक भी आंगनवाड़ी, खेल में गुजर रहा बच्चों का बचपन

इस इलाके के लोग कई सालों से एक आंगनवाड़ी केंद्र की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अबतक यह इलाके में एक भी आंगनवाड़ी नहीं खुल पाया है.

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Published : Jan 23, 2020, 2:53 PM IST

रोहतास: एक ओर राज्य सरकार महादलितों के कई तरह की योजनाएं लाने की बात करती है. वहीं, दूसरी ओर जिले के इंद्रपुरी इलाके में स्थित महादलित टोला में एक भी आंगनवाड़ी नहीं है. इस वजह से यहां के बच्चों का बचपन सिर्फ खेल में गुजर रहा है.

कई सालों से आंगनवाड़ी की मांग
इस इलाके के लोग कई सालों से एक आंगनवाड़ी केंद्र की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अबतक यह इलाके में एक भी आंगनवाड़ी नहीं खुल पाया है. ऐसे हालात में बच्चों का अधिकांश समय खेलने में बीत जाता है, जिस वजह से माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते हैं.

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अपनी इच्छा बताता गांव का चुनमुन

बच्चों में है कुछ बनने की इच्छा
ईटीवी भारत ने जब इस गांव के बच्चों से बात की, तो पता चला कि यहां के बच्चों में पढ़-लिखकर कुछ बनने की इच्छा है. गांव के ही बच्चे चुनमुन का कहना है कि वह बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहता है. बता दें कि इस इलाके में लगभग साठ से सत्तर परिवार अपना गुजर-बसर करते हैं. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां से विद्यालय भी काफी दूर है. इस वजह से यहां के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. यदि इस इलाके में एक आंगनवाड़ी केंद्र होता, तो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज पाते.

पेश है रिपोर्ट

विधायक ने दिया आश्वासन
इस संबंध में जब स्थानीय विधायक सत्य नारायण यादव से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि जमीन नगर परिषद की है. साथ ही उन्होंने आश्वासन भी दिया कि उनका प्रयास होगा कि महादलित टोले में बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी केंद्र खुल जाए, ताकि यहां के बच्चे पढ़ सकें. अब देखना है कि कब तक यहां के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र नसीब हो पाता है.

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जानकारी देते विधायक

यह भी पढ़ें- 'पीले पंजे' ने उजाड़ दिया आशियाना, अब सड़क किनारे गुजर-बसर के लिए मजबूर हैं लोग

रोहतास: एक ओर राज्य सरकार महादलितों के कई तरह की योजनाएं लाने की बात करती है. वहीं, दूसरी ओर जिले के इंद्रपुरी इलाके में स्थित महादलित टोला में एक भी आंगनवाड़ी नहीं है. इस वजह से यहां के बच्चों का बचपन सिर्फ खेल में गुजर रहा है.

कई सालों से आंगनवाड़ी की मांग
इस इलाके के लोग कई सालों से एक आंगनवाड़ी केंद्र की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण अबतक यह इलाके में एक भी आंगनवाड़ी नहीं खुल पाया है. ऐसे हालात में बच्चों का अधिकांश समय खेलने में बीत जाता है, जिस वजह से माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित रहते हैं.

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अपनी इच्छा बताता गांव का चुनमुन

बच्चों में है कुछ बनने की इच्छा
ईटीवी भारत ने जब इस गांव के बच्चों से बात की, तो पता चला कि यहां के बच्चों में पढ़-लिखकर कुछ बनने की इच्छा है. गांव के ही बच्चे चुनमुन का कहना है कि वह बड़े होकर डॉक्टर बनना चाहता है. बता दें कि इस इलाके में लगभग साठ से सत्तर परिवार अपना गुजर-बसर करते हैं. यहां रहने वाले लोगों का कहना है कि यहां से विद्यालय भी काफी दूर है. इस वजह से यहां के बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. यदि इस इलाके में एक आंगनवाड़ी केंद्र होता, तो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज पाते.

पेश है रिपोर्ट

विधायक ने दिया आश्वासन
इस संबंध में जब स्थानीय विधायक सत्य नारायण यादव से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि जमीन नगर परिषद की है. साथ ही उन्होंने आश्वासन भी दिया कि उनका प्रयास होगा कि महादलित टोले में बच्चों के लिए एक आंगनवाड़ी केंद्र खुल जाए, ताकि यहां के बच्चे पढ़ सकें. अब देखना है कि कब तक यहां के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्र नसीब हो पाता है.

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जानकारी देते विधायक

यह भी पढ़ें- 'पीले पंजे' ने उजाड़ दिया आशियाना, अब सड़क किनारे गुजर-बसर के लिए मजबूर हैं लोग

Intro:desk bihar
report _ravi kumar /ssm
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राज्य सरकार ने महा दलितों के लिए कई तरह की योजनाएं लागू कर रखी है लेकिन यह योजनाएं धरातल पर कितनी खरी उतरती हैं इसकी बानगी हम आपको रोहतास जिले में दिखाते हैं यहां सरकारी अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का आलम है कि महादलित टोले के लोग अदद एक आंगनबाड़ी केंद्र के लिए पिछले कई सालों से तरस रहे हैं वही आंगनबाड़ी के अभाव में बच्चे पढ़ाई की चाहत रखते हुए पढ़ाई नही कर पा रहें जिस कारण इनका बचपन खेल में गुजरता है।


Body:दरअसल यह तस्वीरें हैं जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर इंद्रपुरी इलाके स्थित महादलित टोले की इस महादलित टोले में लगभग साठ से सत्तर परिवार अपना गुजर-बसर करते हैं लेकिन इस टोले के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उनके बच्चे आंगनबाड़ी केंद्र के अभाव में पढ़ नही पा रहे हैं लिहाजा बच्चों का पूरा समय खेल में गुजर जाता है जिस कारण माता-पिता के बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है

महादलित टोले के लोगों का कहना है कि स्कूल दूर होने के कारण उनके बच्चे पढ़ने नहीं जा पाते हैं अगर उनके टोले में ही आंगनबाड़ी केंद्र होता है तो अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज पाते आंगनबाड़ी केंद्र के लिए कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक गुहार लगाई गई लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात वाली है वहीं सरोजा देवी कहती हैं यह समस्या पिछले कई सालों से बनी हुई है पहले बच्चों को नजदीक के स्कूल में भेजा जाता था लेकिन अब डर की वजह से वह भी भेजना बंद कर दिया गया है बच्चों को भेजने में अक्सर डर बना रहता है बच्चे पढ़ना भी चाहते हैं पढ़ लिखकर डॉक्टर भी बनना चाहते हैं लेकिन वह मजबूर हैं
हालांकि इस संबंध में जब स्थानीय विधायक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जमीन नगर परिषद की है लेकिन उनका प्रयास होगा किस महादलित टोले में बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्र खुल जाए ताकि यहां के बच्चे पढ़ सकें


Conclusion:बाहर हाल स्थानीय विधायक के आश्वासन के बाद देखना दिलचस्प होगा कि कब तक महादलित टोले के लोगों को आंगनबाड़ी केंद्र नसीब हो पाता है और उनके बच्चे कब तक आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने के लिए जा पाते हैं
बाइट- रामपति भुईया
बाइट -सरोज देवी
बाइट- चुनमुन
बाइट - सत्य नारायण यादव स्थानीय विधायक
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