रोहतास: कोरोना वायरस का कहर पूरी दुनिया में जारी है. जिसको लेकर पिछले कई महीनों से पूरे देश को लॉकडाउन कर दिया गया है. जिसका सबसे अधिक प्रभाव दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों पर पड़ा है. जो राज्य के बाहर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर करते हैं. लॉक डाउन के बाद उन्हें अपने घर जाने की चिंता सता रही है. लेकिन लॉकडाउन होने के कारण उन्हें घर जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
कुछ ऐसी ही तस्वीर सासाराम के नेशनल हाईवे-2 पर दिखी जहां जौनपुर में काम करने वाले कई मजदूर पैदल ही रेलवे ट्रैक पकड़कर झारखंड जाने का सफर तय करने लगे. लिहाजा कई दिनों तक चलने के बाद जब वह सासाराम पहुंचे तो उन्हें एक वक्त का भोजन मिला.
पैदल ही निकले घर
वहीं, मौके पर पहुचें ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब झारखंड के रहने वाले इन मजदूरों का हाल-चाल जना तो इन मजदूरों ने अपनी आपबीती सुनाई. जौनपुर में रोड निर्माण कंपनी में ये सभी मजदूर काम करते थे. लेकिन लॉक डाउन के बाद रोड निर्माण कंपनी का ठेकेदार कई महीनों का पैसा लेकर भाग गया. जिसके बाद इन मजदूरों के खाने के लाले पड़ने लगे. नतीजा इन बेबस मजदूरों के पास घर जाने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा था. जिसके बाद उन मजदूरों ने झारखंड तक के सफर को पैदल ही तय करने का मन बना लिया और रेलवे ट्रैक के सहारे झारखंड अपने घर की ओर निकल पड़े.
लंगर में खाना खिलाया गया
यह मजदूर सासाराम के लाइन होटल पर पहुंचे, तो सिख समुदाय की ओर से लंगर में खाना खिलाया गया. नेशनल हाईवे-2 पर जमशेदपुर जा रहे एक ट्रक ड्राइवर से ईटीवी भारत के संवादाता इन मजदूरों को झारखंड के जमशेदपुर ले जाने की गुजारिश की. जिसके बाद ड्राइवर ने जमशेदपुर छोड़ने का वादा किया और मजदूरों को अपने ट्रक पर बैठाकर जमशेदपुर के लिए रवाना हो गया.