सासाराम: काराकाट से जेडीयू सांसद महाबली सिंह ने कहा कि बिहार में जातीय गणना पर सवाल उठाने वाले नेताओं को जनता आने वाले चुनाव में सबक सिखाएगी. कोचस में एक निजी कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सन् 1931 में जब जनगणना हुई थी, तब कुशवाहा जाति की संख्या महज 10 लाख के करीब थी. उस समय बिहार और झारखंड साथ थे. अब यह आबादी 55 लाख से भी अधिक हो गई है तो ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा का सवाल उठाना वाजिब नहीं है.
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"जाति आधारित गणना पर सवाल उठाना ठीक नहीं है. जब तक शिक्षा के स्तर में सुधार नहीं होगा, जनसंख्या पर नियंत्रण संभव नहीं है. जिन जातियों की शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है, उनकी संख्या कम हुई है. जिनकी जनसंख्या बढ़ रही है, ऐसा देखा जा रहा है कि उनमें शिक्षा का अभाव है"- महाबली सिंह, जेडीयू सांसद, काराकाट
उपेंद्र कुशवाहा पर महाबली सिंह का तंज: जेडीयू सांसद ने आरएलजेडी चीफ उपेंद्र कुशवाहा पर तंज कसते हुए कहा कि उनके किसी मार्च से उन्हें कोई फायदा होने वाला नहीं है. अगर उन्हें बिहार सरकार की जाति गणना की रिपोर्ट सही नहीं लगती तो अपने केंद्र सरकार से कह कर क्यों नहीं करवा लेते.
गांधी जयंती पर रिपोर्ट जारी: आपको बताएं कि गांधी जयंती पर बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना की रिपोर्ट जारी की है. जिसके तहत बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ हो गई है. वहीं यादव जाति की आबादी सबसे अधिक 14 फीसदी है. इसके अलावे कुर्मी 2.8 प्रतिशत और कुशवाहा 4.2 फीसदी है. अनारक्षित वर्ग की आबादी 15.52, इनमें भूमिहार-2.89, राजपूत-3.45, ब्राह्मण-3.66 और कायस्थ-0.60 फीसदी है. वहीं मुसलमान की आबादी 17.7 प्रतिशत है.