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'इस गांव में ना सड़क है ना अस्पताल फिर भी चले आते हैं वोट मांगने' - लोगों को जनप्रतिनिधि का इंतजार

करगहर प्रखंड का टिकारी गांव में आजादी के बाद भी आज तक ना सड़क बन पाई और ना ही अस्पताल.

बदहाल सड़क
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Published : Apr 22, 2019, 5:16 PM IST

Updated : Apr 22, 2019, 7:32 PM IST

रोहतास: सरकार चाहे लाख अपनी उपलब्धियां गिना ले लेकिन हकीकत में आज भी सुदूर गांव के लोग विकास से कोसों दूर हैं. इसका जीता जागता उदाहरण है करगहर प्रखंड का टिकारी गांव. यहां आजादी के बाद भी आज तक ना सड़क बन पाई और ना ही अस्पताल.


इतना ही नहीं इस गांव में लोगों को इलाज में भी काफी दिक्कतें आती हैं. जाहिर है जब लोग बीमार पड़ते हैं तो उनके घरों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है, क्योंकि गांव में पक्की सड़क नहीं है. अभी जो रास्ता है वह भी ऐसी स्थिति में है जिस पर वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल है.

ग्रामीणों का बयान


बदहाल है सड़क
करगहर को नोखा से जोड़ने वाला यह मेन रोड की हालत खस्ता है. गांव के अधिकतर लोग इसी रोड का सहारा लेकर सासाराम पहुंचते हैं या फिर अपनी रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति के लिए करगहर पहुंचते हैं. लेकिन रोड सही नहीं होने से उन्हें खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.


ग्रामीण ने क्या कहा
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद अब तक गांव के सड़क नहीं बने हैं. लिहाजा कभी-कभी परिस्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन तक उपलब्ध नहीं हो पाता है. नतीजा रोगी रास्ते में ही दम तोड़ देता है.


लोगों को जनप्रतिनिधि का इंतजार
सबसे अहम सवाल यह है कि यहां ना तो कभी विधायक पहुंचे हैं और ना ही चुनाव जीतने के बाद सांसद ने ही इस गांव में कदम रखा है. फिलहाल यहां से छेदी पासवान सांसद है. गांव वालों ने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के बाद वह कभी इस गांव में नहीं आए हैं. लिहाजा गांव का विकास हो तो कैसे हो. वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ एक बार रोड पर मिट्टी गिराया गया था. उसके बाद से आज तक रोड में कोई काम नहीं हो सका है.


परेशानियों का करना पड़ता है सामना
लिहाजा स्थिति इतनी बद से बदतर है कि लोगों को 3 से 4 घंटों का सफर तय कर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में रोड होता तो मुख्यालय पहुंचने में महज कुछ ही वक्त लगते. लेकिन रोड नहीं होने की वजह से हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

रोहतास: सरकार चाहे लाख अपनी उपलब्धियां गिना ले लेकिन हकीकत में आज भी सुदूर गांव के लोग विकास से कोसों दूर हैं. इसका जीता जागता उदाहरण है करगहर प्रखंड का टिकारी गांव. यहां आजादी के बाद भी आज तक ना सड़क बन पाई और ना ही अस्पताल.


इतना ही नहीं इस गांव में लोगों को इलाज में भी काफी दिक्कतें आती हैं. जाहिर है जब लोग बीमार पड़ते हैं तो उनके घरों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है, क्योंकि गांव में पक्की सड़क नहीं है. अभी जो रास्ता है वह भी ऐसी स्थिति में है जिस पर वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल है.

ग्रामीणों का बयान


बदहाल है सड़क
करगहर को नोखा से जोड़ने वाला यह मेन रोड की हालत खस्ता है. गांव के अधिकतर लोग इसी रोड का सहारा लेकर सासाराम पहुंचते हैं या फिर अपनी रोजमर्रा की चीजों की आपूर्ति के लिए करगहर पहुंचते हैं. लेकिन रोड सही नहीं होने से उन्हें खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.


ग्रामीण ने क्या कहा
ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद अब तक गांव के सड़क नहीं बने हैं. लिहाजा कभी-कभी परिस्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन तक उपलब्ध नहीं हो पाता है. नतीजा रोगी रास्ते में ही दम तोड़ देता है.


लोगों को जनप्रतिनिधि का इंतजार
सबसे अहम सवाल यह है कि यहां ना तो कभी विधायक पहुंचे हैं और ना ही चुनाव जीतने के बाद सांसद ने ही इस गांव में कदम रखा है. फिलहाल यहां से छेदी पासवान सांसद है. गांव वालों ने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के बाद वह कभी इस गांव में नहीं आए हैं. लिहाजा गांव का विकास हो तो कैसे हो. वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ एक बार रोड पर मिट्टी गिराया गया था. उसके बाद से आज तक रोड में कोई काम नहीं हो सका है.


परेशानियों का करना पड़ता है सामना
लिहाजा स्थिति इतनी बद से बदतर है कि लोगों को 3 से 4 घंटों का सफर तय कर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है. वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में रोड होता तो मुख्यालय पहुंचने में महज कुछ ही वक्त लगते. लेकिन रोड नहीं होने की वजह से हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

Intro:रोहतास। सरकार चाहे लाख अपनी उपलब्धियां गिना ले लेकिन हकीकत में आज भी सुदूर गांव के लोग विकास से कोसों दूर है। इसकी तस्वीर प्रखंड मुख्यालय के करगहर प्रखंड के टिकारी गांव में बखूबी देखी जा सकती है।


Body:गौरतलब है कि जहां एक तरफ भारत को गावों का देश कहा जाता है। वहीं दूसरी तरफ आज भी कई गांव ऐसे हैं जहां बुनियादी सुविधाओं तक लोगों को नसीब नहीं है। आज भी गांव के लोग विकास के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। कुछ ऐसी ही कहानी करगहर प्रखंड के टिकारी गांव में भी देखने को मिली जहां आजादी के बाद अब तक लोगों को रोड तक नसीब नहीं हुआ है। इतना ही नहीं इस गांव में लोगों को सरकारी अस्पताल तक नसीब नहीं है जहां वह अपना इलाज करा सके। जाहिर है जब लोग बीमार पड़ते हैं तो उनके घरों तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है। क्योंकि उनके गांव में रोड नहीं है। जो रोड है वह भी ऐसी स्थिति में है जिस पर वाहन तो क्या पैदल चलना भी मुश्किल है। बहरहाल करगहर और नोखा को जोड़ने वाला यह मुख्य पथ आज इतना बदहाल हो चुका है किस पर पैदल चलना मुश्किल हो गया है। गांव के अधिकतर लोग इसी रोड का सहारा लेकर सासाराम पहुंचते हैं या फिर अपने रोजमर्रा की चीजों के आपूर्ति के लिए करगहर पहुंचते हैं। लेकिन रोड सही नहीं होने से उन्हें खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद अब तक गांव के सड़क नहीं बने हैं। लिहाजा कभी-कभी परिस्थिति इतनी खतरनाक हो जाती है कि जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए कोई वाहन तक उपलब्ध नहीं हो पाता है। नतीजा रोगी रास्ते में ही दम तोड़ देता है। सबसे अहम सवाल यह है कि यहां ना तो कभी विधायक पहुंचे हैं और ना ही चुनाव जीतने के बाद सांसद ने ही इस गांव में कदम रखा है। फिलहाल यहां से सांसद छेदी पासवान है। वहीं गांव वालों ने आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के बाद वह कभी इस गांव में नहीं आए हैं। लिहाजा गांव का विकास हो तो कैसे हो। वहीं ग्रामीणों ने कहा कि सिर्फ एक बार रोड पर मिट्टी गिराया गया था। उसके बाद से आज तक रोड में कोई काम नहीं हो सका है।


Conclusion:लिहाजा स्थिति इतनी बद से बदतर है कि लोगों को 3 से 4 घंटे का सफर तय कर मुख्यालय पहुंचना पड़ता है। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि अगर गांव में रोड होता तो मुख्यालय पहुंचने में महज कुछ ही वक्त लगता। लेकिन रोड नहीं होने की वजह से हर तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

बाइट। ग्रामीण
बाइट। पीटीसी
Last Updated : Apr 22, 2019, 7:32 PM IST

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