रोहतास: वैश्विक महामारी कोरोना का संक्रमण जिले में तेजी से बढ़ रहा है. बेड कम होने से कई लोगों का अस्पताल में इलाज नहीं हो पाता है. इसके बावजूद यहां संसाधनों का सदुपयोग नहीं हो पा रहा है. जिला मुख्यालय सासाराम स्थित सदर हस्पताल में 13 साल पहले आईसीयू का भवन बन कर तैयार हुआ था. भवन में सामान भी हैं. लेकिन विशेषज्ञों के अभाव में इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है.
मरीजों को जाना पड़ता है निजी अस्पताल
बता दें कि सदर अस्पताल में 6 वेंटिलेटर भी मौजूद है. लेकिन रखरखाव और उपयोग नहीं होने के कारण अब वो चालू हालत में नहीं हैं. इन दिनों आईसीयू भवन का उपयोग सिजेरियन मरीजों को रखने में हो रहा है. वही स्वास्थ विभाग के पास जहां संसाधन है, वहीं मानव संसाधन और कर्मियों के आभाव में मशीनों को ऑपरेट करने वाले नहीं हैं. जिस कारण मरीजों को बेहद परेशानी होती है. उन्हें निजी हस्पतालों का रुख करना पड़ता है.
ऑपरेटर का अभाव
इस मामले पर सिविल सर्जन डॉ. सुधीर कुमार कहते हैं कि उनके पास जितने भी वेंटिलेटर हैं, सब बंद पड़े हैं. जिसका कारण है कि वेंटिलेटर के ऑपरेटर नहीं है. ऑपरेटर के अभाव में वेंटिलेटर का उपयोग नहीं हो पा रहा है. आज से 13 साल पहले 2007 में जब यह आईसीयू बनकर तैयार हुआ था, तो लोगों को आस जगी थी कि इस 'गहन चिकित्सा केंद्र' से उनको फायदा मिलेगा. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. कोरोना काल में भी जहां इनकी सख्त जरुरत है ऐसे समय में भी ये बंद पड़े हैं.