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Rohtas News: दो ट्रैक के बीच फंसा मकान.. जानें रेलवे का अजीबोगरीब कारनामा - ईटीवी भारत बिहार

हमारा मकान दो पटरी के बीच फंस गया है. रेलवे ने ना तो मकान का अधिग्रहण किया और ना ही हमें आने-जाने के लिए कोई दूसरा रास्ता ही दिया है. जब ट्रेन यहां से गुजरती है तो पूरे घर में कंपन होने लगता है. हम डेंजर जोन में रह रहे हैं. यह कहना है रोहतास के सासाराम निवासी मनीष सिंह का. रेलवे का यह कारनामा लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

house between two railway tracks
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Published : Apr 19, 2023, 1:00 PM IST

दो ट्रैक के बीच फंसा मकान

रोहतास: बिहार के रोहतास में रेलवे विभाग ने बड़ा ही अजीबोगरीब कारनामा कर दिखाया है. दरअसल यहां रेलवे की दो पटरियों के बीच एक मकान फंस गया है. पूरा मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि डीडीयू मुगलसराय- गया रेल खंड के बगल से सासाराम-आरा रेलखंड को जोड़ने के लिए अलग से रेलवे ने पटरी बिछाने का काम शुरू किया. इसके लिए भूमि अधिग्रहण भी किया गया. लेकिन दोनों पटरी के बीच कई घरों का अधिग्रहण नहीं किया गया. अब समस्या सामने आ गई है कि रेलवे के दो पटरी के बीच आखिर लोग कैसे रहेंगे. ट्रेन के गुजरने के दौरान पूरा मकान हिलने लगता है.

पढ़ें- Land For Job Scam: 'रेलवे में नौकरी का झांसा देकर जमीन छीन ली, बिना नाम लिए PM मोदी का लालू पर निशाना

रेलवे का एक और बड़ा कारनामा: सासाराम के वार्ड नंबर 16 से जुड़ा मामला है. वार्ड नंबर 16 में माइको के पास रेलवे ने भूमि अधिग्रहण किया है, ताकि सासाराम से आरा की ओर जाने वाली ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो सके. लेकिन इन दोनों पटरी के बीच कई मकानों का अधिग्रहण नहीं किया गया. उसमें से एक-दो ऐसे मकान हैं जो पटरी के बेहद करीब हैं. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों के सामने विकट समस्या आ गई है. आए दिन अधिकारियों की टीम रेलवे पटरी बिछाने पहुंचती है. जिससे स्थानीय लोगों के साथ तनाव हो जाता है. हालांकि रेलवे ऐसे लोगों के लिए अंडरपास रास्ता दिए जाने की बात कहती है. लेकिन सवाल उठता है कि दो पटरी के बीच आखिर कुछ घरों का अधिग्रहण क्यों नहीं किया गया?

"इस इलाके में रेलवे ने भूमि का अधिग्रहण किया है. ऐसे में दो पटरियों के बीच हमारा मकान फंस गया है. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब ट्रेन दोनों पटरी पर से गुजरेगी तो हम मकान में कैसे रह सकेंगे. डेंजर जोन में मकान पड़ गया है. आने जाने का रास्ता नहीं है. कई बार रेल के अधिकारियों से बात की गई पर नतीजा सिफर रहा."- सरिता कुमारी, गृहस्वामी

दो रेल पटरी के बीच फंसा मकान: बड़ी बात है कि जब मकान के दोनों तरफ से हाई स्पीड ट्रेने गुजरेंगी, तो यह कितना खतरनाक होगा. परेशानी यह है कि रेलवे के दोनो ट्रैक से 15-15 फीट की दूरी के बीच मकान हैं. ट्रेनों की आवाजाही के दौरान मकान में कंपन होने लग रहा है जिससे लोग दहशत में हैं. अब यहां रह रहे लोगों का कहना है कि ऐसे हालात में लगता है कि पूरे परिवार की कभी भी यहां समाधि बन जाएगी और इसके लिए पूरे तौर पर जवाबदेही जिला प्रशासन व रेलवे प्रशासन की होगी. गृहस्वामी रेलवे प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि अगर हम पटरी से गुजरेंगे और कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन होगा.

"दो पटरी के बीच मेरा मकान फंस गया है. मेरे आने का रास्ता से लेकर नाली तक बंद हो गया है. इसके कारण पहले सुबह उठकर हम नहाने के बाद पानी निकालते हैं. हमें बोला गया है कि आप के लिए रास्ता नहीं है, आप पटरी से आवाजाही कीजिए. मेरे मकान का रेलवे ने अधिग्रहण भी नहीं किया. मकान में कंपन होता है. ऐसा लगता है कि अब गिरेगा तब गिरेगा. अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं."- मनीष सिंह, गृहस्वामी

"रेलवे की बड़ी लापरवाही के कारण यह परिवार परेशान है. कई बार अधिकारियों से मुलाकात कर रास्ते की मांग की गई. यही नहीं इतना भी कहा गया कि अगर आप रास्ता नहीं दे सकते तो कम से कम इस मकान का अधिग्रहण कर लें. बावजूद किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा. अब ऐसे में अगर इस परिवार को न्याय नहीं मिलता है तो तमाम पार्टियां आंदोलन करने को बाध्य होंगी. हमारी कई पार्टियों से इस मामले को लेकर बात हुई है."- लाल सिंह यादव,स्थानीय

दो ट्रैक के बीच फंसा मकान

रोहतास: बिहार के रोहतास में रेलवे विभाग ने बड़ा ही अजीबोगरीब कारनामा कर दिखाया है. दरअसल यहां रेलवे की दो पटरियों के बीच एक मकान फंस गया है. पूरा मामला भूमि अधिग्रहण से जुड़ा हुआ है. बताया जाता है कि डीडीयू मुगलसराय- गया रेल खंड के बगल से सासाराम-आरा रेलखंड को जोड़ने के लिए अलग से रेलवे ने पटरी बिछाने का काम शुरू किया. इसके लिए भूमि अधिग्रहण भी किया गया. लेकिन दोनों पटरी के बीच कई घरों का अधिग्रहण नहीं किया गया. अब समस्या सामने आ गई है कि रेलवे के दो पटरी के बीच आखिर लोग कैसे रहेंगे. ट्रेन के गुजरने के दौरान पूरा मकान हिलने लगता है.

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रेलवे का एक और बड़ा कारनामा: सासाराम के वार्ड नंबर 16 से जुड़ा मामला है. वार्ड नंबर 16 में माइको के पास रेलवे ने भूमि अधिग्रहण किया है, ताकि सासाराम से आरा की ओर जाने वाली ट्रेनों का परिचालन सामान्य हो सके. लेकिन इन दोनों पटरी के बीच कई मकानों का अधिग्रहण नहीं किया गया. उसमें से एक-दो ऐसे मकान हैं जो पटरी के बेहद करीब हैं. ऐसे में यहां रहने वाले लोगों के सामने विकट समस्या आ गई है. आए दिन अधिकारियों की टीम रेलवे पटरी बिछाने पहुंचती है. जिससे स्थानीय लोगों के साथ तनाव हो जाता है. हालांकि रेलवे ऐसे लोगों के लिए अंडरपास रास्ता दिए जाने की बात कहती है. लेकिन सवाल उठता है कि दो पटरी के बीच आखिर कुछ घरों का अधिग्रहण क्यों नहीं किया गया?

"इस इलाके में रेलवे ने भूमि का अधिग्रहण किया है. ऐसे में दो पटरियों के बीच हमारा मकान फंस गया है. अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब ट्रेन दोनों पटरी पर से गुजरेगी तो हम मकान में कैसे रह सकेंगे. डेंजर जोन में मकान पड़ गया है. आने जाने का रास्ता नहीं है. कई बार रेल के अधिकारियों से बात की गई पर नतीजा सिफर रहा."- सरिता कुमारी, गृहस्वामी

दो रेल पटरी के बीच फंसा मकान: बड़ी बात है कि जब मकान के दोनों तरफ से हाई स्पीड ट्रेने गुजरेंगी, तो यह कितना खतरनाक होगा. परेशानी यह है कि रेलवे के दोनो ट्रैक से 15-15 फीट की दूरी के बीच मकान हैं. ट्रेनों की आवाजाही के दौरान मकान में कंपन होने लग रहा है जिससे लोग दहशत में हैं. अब यहां रह रहे लोगों का कहना है कि ऐसे हालात में लगता है कि पूरे परिवार की कभी भी यहां समाधि बन जाएगी और इसके लिए पूरे तौर पर जवाबदेही जिला प्रशासन व रेलवे प्रशासन की होगी. गृहस्वामी रेलवे प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहते हैं कि अगर हम पटरी से गुजरेंगे और कोई हादसा होता है तो इसकी जिम्मेदारी कौन होगा.

"दो पटरी के बीच मेरा मकान फंस गया है. मेरे आने का रास्ता से लेकर नाली तक बंद हो गया है. इसके कारण पहले सुबह उठकर हम नहाने के बाद पानी निकालते हैं. हमें बोला गया है कि आप के लिए रास्ता नहीं है, आप पटरी से आवाजाही कीजिए. मेरे मकान का रेलवे ने अधिग्रहण भी नहीं किया. मकान में कंपन होता है. ऐसा लगता है कि अब गिरेगा तब गिरेगा. अधिकारी कुछ नहीं कर रहे हैं."- मनीष सिंह, गृहस्वामी

"रेलवे की बड़ी लापरवाही के कारण यह परिवार परेशान है. कई बार अधिकारियों से मुलाकात कर रास्ते की मांग की गई. यही नहीं इतना भी कहा गया कि अगर आप रास्ता नहीं दे सकते तो कम से कम इस मकान का अधिग्रहण कर लें. बावजूद किसी के कानों पर जूं नहीं रेंग रहा. अब ऐसे में अगर इस परिवार को न्याय नहीं मिलता है तो तमाम पार्टियां आंदोलन करने को बाध्य होंगी. हमारी कई पार्टियों से इस मामले को लेकर बात हुई है."- लाल सिंह यादव,स्थानीय

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