सासाराम: गांधी जयंती पर बिहार में जाति आधारित सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए गए हैं. जिसमें बताया गया है कि सूबे में पिछड़े वर्ग की आबादी 63 फीसदी है. जाति आधारित गणना पर पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सासाराम में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि इससे आने वाले समय में सभी वर्गों को लाभ होगा. विकास योजनाओं को लागू करने में इससे मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने सराहनीय काम किया है.
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"जाति आधारित गणना बहुत लाभकारी है, इसलिए बिहार में इसे किया गया है. देश के स्तर पर भी केंद्र सरकार को इसे कराना चाहिए. मुझे लगता है कि जो लोग पिछड़ गए हैं, जो दब गए हैं और जो आगे नहीं बढ़ पाएं हैं, सबको इससे लाभ मिलेगा"- मीरा कुमार, कांग्रेस नेता सह पूर्व लोकसभा अध्यक्ष
क्या बोलीं मीरा कुमार?: सासाराम के शेरशाह सूरी इंटर स्तरीय विद्यालय में आयोजित पूर्व जिलाध्यक्ष की मूर्ति अनावरण समारोह में शिरकत करने पहुंचीं पूर्व स्पीकर मीरा कुमार ने जातीय गणना की रिपोर्ट पर बयान देते हुए कहा है कि इस रिपोर्ट के सार्वजनिक हो जाने के बाद वैसे लोगों को फायदा होगा, जो विकास की रफ्तार में पीछे हो गए हैं. खासकर पिछड़ी जाति, अति पिछड़ी जाति और दलित वर्ग को फायदा होगा. उनके लिए विकास की योजनाओं को बनाने में सहूलियत होगी.
क्या है जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट?: जाति आधारित गणना के जारी डेटा के मुताबिक बिहार में कुल 13 करोड़ से अधिक की आबादी है. जिनमें सवर्ण (भूमिहार-2.89, राजपूत-3.45, ब्राह्मण-3.66 और कायस्थ-0.60%) की आबादी 15.52 प्रतिशत, 63 फीसदी ओबीसी (24 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा वर्ग), अनुसूचित जाति की आबादी 19 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति की आबादी 1.68 फीसदी है. बिहार में सबसे अधिक यादव जाति हैं, जिनकी आबादी 14 फीसदी है. वहीं, कुर्मी 2.8 और कुशवाहा 4.2 प्रतिशत हैं. वहीं मुसलमानों की आबादी 17.7 फीसदी है.