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रोहतास: खनाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं दमकलकर्मी, अधिकारी बेपरवाह

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Published : Sep 13, 2019, 10:53 PM IST

Updated : Sep 14, 2019, 9:57 PM IST

इन कर्मियों के लिए पत्थर का बेड बनाया गया है. उनके नहाने के लिए न तो सही से स्नानघर बना है, न हीं शौच के लिए शौचालय है.

कमरा

रोहतास: जिले के सासाराम में मौजूद अग्निशमन केंद्र के कर्मी खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. कर्मी नर्क से भी बदतर जगह पर रहने को मजबूर हैं. यहां सोने के लिए बेड तक नहीं है. इस कारण उन्हें पत्थर के बेड पर सोना पड़ता है. कई लोग नीचे सो कर रात बिताते हैं. इन कर्मियों की रहने की व्यवस्था ऐसी जगह पर की गई है, जहां कभी भी करैत जैसे खतरनाक सांपों के आने का खतरा रहता है, जिसके डंसने के कुछ मिनट बाद ही जान चली जाती है.

खनाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर दमकलकर्मी

नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर हैं फायर कर्मी
कहा जाता है कि सुशासन बाबू के बिहार में बहार है. लेकिन सासाराम के इन कर्मचारियों की स्थिति की किसी भी वरीय अधिकारी को परवाह नहीं है. इन कर्मियों के लिए पत्थर का बेड बनाया गया है. उनके नहाने के लिए न तो सही से स्नानघर बना है, न हीं शौच के लिए शौचालय है. इस कारण वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं. मकान में ऐसी खिड़कियां है, जिससे कोई भी अंदर आ सकता है. वहीं, मकान के चारों ओर जंगल ही जंगल है. जिस वजह से हमेशा जानलेवा सांप आते रहते हैं. कर्मियों को हमेशा अपनी जान-माल की परवाह सताती रहती है.

रोहतास
पत्थर की बेड पर सोने को मजबूर

वहीं, विभाग के अधिकारी मखमल के कंबल में आराम की नींद लेते हैं. इन्हें इन कर्मियों के हालात की थोड़ी भी परवाह नहीं है. इन कर्मियों को भी समझ नहीं आ रहा कि उनके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है.

रोहतास
कमरा या कूड़ादान?

भवन में निकल चुका है करैत सांप
कुछ दिन पहले हीं कर्मियों के कमरे के अंदर करैत सांप निकला था. जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल हो गया. कहा जाता है कि यह इतना जहरीला सांप है कि यदि एक बार इसने किसी इंसान को डंस लिया, तो कुछ हीं मिनटों में उसकी मौत तय है. कई बार इसकी शिकायत बड़े अधिकारी से की गई. फिर भी फायर स्टेशन कर्मियों को अपना भवन नसीब नहीं हुआ. इस कारण फायर कर्मी खनाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

रोहतास
खराब पड़े टेलीफोन

मनरेगा के भवन का है ये हाल
आपको बता दें कि यह नर्क जैसा हाल मनरेगा के भवन का है. अपना भवन नहीं होने की वजह से फायर कर्मी मनरेगा के भवन में रहने को मजबूर हैं. अब मनरेगा की तरफ से भी बार-बार इस भवन को खाली करने का आदेश दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सरकार इन फायर कर्मियों की दुर्दशा पर कब ध्यान देगी?

रोहतास: जिले के सासाराम में मौजूद अग्निशमन केंद्र के कर्मी खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं. कर्मी नर्क से भी बदतर जगह पर रहने को मजबूर हैं. यहां सोने के लिए बेड तक नहीं है. इस कारण उन्हें पत्थर के बेड पर सोना पड़ता है. कई लोग नीचे सो कर रात बिताते हैं. इन कर्मियों की रहने की व्यवस्था ऐसी जगह पर की गई है, जहां कभी भी करैत जैसे खतरनाक सांपों के आने का खतरा रहता है, जिसके डंसने के कुछ मिनट बाद ही जान चली जाती है.

खनाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर दमकलकर्मी

नर्क की जिंदगी जीने को मजबूर हैं फायर कर्मी
कहा जाता है कि सुशासन बाबू के बिहार में बहार है. लेकिन सासाराम के इन कर्मचारियों की स्थिति की किसी भी वरीय अधिकारी को परवाह नहीं है. इन कर्मियों के लिए पत्थर का बेड बनाया गया है. उनके नहाने के लिए न तो सही से स्नानघर बना है, न हीं शौच के लिए शौचालय है. इस कारण वह खुले में शौच करने को मजबूर हैं. मकान में ऐसी खिड़कियां है, जिससे कोई भी अंदर आ सकता है. वहीं, मकान के चारों ओर जंगल ही जंगल है. जिस वजह से हमेशा जानलेवा सांप आते रहते हैं. कर्मियों को हमेशा अपनी जान-माल की परवाह सताती रहती है.

रोहतास
पत्थर की बेड पर सोने को मजबूर

वहीं, विभाग के अधिकारी मखमल के कंबल में आराम की नींद लेते हैं. इन्हें इन कर्मियों के हालात की थोड़ी भी परवाह नहीं है. इन कर्मियों को भी समझ नहीं आ रहा कि उनके साथ ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है.

रोहतास
कमरा या कूड़ादान?

भवन में निकल चुका है करैत सांप
कुछ दिन पहले हीं कर्मियों के कमरे के अंदर करैत सांप निकला था. जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल हो गया. कहा जाता है कि यह इतना जहरीला सांप है कि यदि एक बार इसने किसी इंसान को डंस लिया, तो कुछ हीं मिनटों में उसकी मौत तय है. कई बार इसकी शिकायत बड़े अधिकारी से की गई. फिर भी फायर स्टेशन कर्मियों को अपना भवन नसीब नहीं हुआ. इस कारण फायर कर्मी खनाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं.

रोहतास
खराब पड़े टेलीफोन

मनरेगा के भवन का है ये हाल
आपको बता दें कि यह नर्क जैसा हाल मनरेगा के भवन का है. अपना भवन नहीं होने की वजह से फायर कर्मी मनरेगा के भवन में रहने को मजबूर हैं. अब मनरेगा की तरफ से भी बार-बार इस भवन को खाली करने का आदेश दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सरकार इन फायर कर्मियों की दुर्दशा पर कब ध्यान देगी?

Intro:रोहतास। सासाराम में मौजूद अग्निशमन केंद्र के गर्मियां खानाबदोश की जिंदगी गुजारने को मजबूर हो रहे हैं। लेकिन इसकी परवाह किसी वरीय अधिकारी को नहीं है।


Body:कहा जाता है कि सुशासन बाबू के बिहार में बहार है लेकिन सासाराम के अग्निशमन कर्मियों की बाहर कितनी है इसकी तस्वीर आप देखकर अंदाजा लगा सकते हैं। इन कर्मियों के लिए पत्थर का बेड बनाया गया है ताकि वह अपनी रात इसी पत्थर के बेड पर गुजार सकें। वहीं अधिकारियों को इनकी कोई परवाह नहीं क्योंकि उन्हें मखमल वाली चादर पर सोने की आदत है। अग्निशमन कर्मी के साथ सौतेला व्यवहार आखिर क्यों किया जा रहा है इन कर्मियों को भी समझ में नहीं आ रहा है। अपना भवन ना होने की वजह से इन्हें दूसरे के भवन में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं मनरेगा के भवन में रहने के बाद मनरेगा की तरफ से बार-बार इन भवन खाली करने का आदेश भी दिया जाता है। लेकिन अपनी बेसब जिंदगी गुजारने को मजबूर फायर स्टेशन के कर्मी लाचार और बेबस है। फायर स्टेशन कर्मी अपनी जानवर जैसी जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं क्योंकि उन्हें नहाने के लिए ना तो सही से स्नानघर कर दिया गया है और ना ही शौचालय जाने के लिए एक शौचालय ही नसीब है। वही बिल्डिंग भी सुरक्षा के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। बिल्डिंग के चारों तरफ खिड़कियों में दरवाजा ना होना कहीं ना कहीं असुरक्षा का संकेत साफ दिख रहा है। वहीं फायर कर्मी ने बताया कि चारों तरफ जंगल होने की वजह से हमेशा सांप आते रहता है। महज़ चन्द दिन पहले ही सांप निकल जाने से भवन में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया था। लिहाज़ा इसकी शिकायत कई बार बड़े अधिकारी से की गई हैं। उसके बावजूद फायर स्टेशन कर्मियों को अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। जहीर है अपने गुमनामी की जिंदगी जीने को मजबूर हो रहे हैं सासाराम फायर स्टेशन के कर्मी।


Conclusion:अब ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर सरकार इन फायर कर्मियों के भवन पर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है जाहिर है भवन ना होने की वजह से इन फायर कर्मियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

बाइट। कॉन्स्टेबल सुनील कुमार
बाइट। फायर स्टेशन प्रभारी पंकज कुमार अग्नि
पीटीसी
Last Updated : Sep 14, 2019, 9:57 PM IST
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