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अब मिक्सर ग्राइंडर ने ले ली है मसाला पीसने वाले सिलबट्टे की जगह, इस धंधे से जुड़े लोग चिंतित - कैमूर पहाड़ी से निकलने वाले पत्थर

बाजार में मिक्सर के आ जाने के बाद सिलबट्टे उद्योग पर बड़ा प्रभाव पड़ा है. बदलते वक्त और हालात के कारण सिलबट्टा की डिमांड मार्केट से कम होने लगी. इस धंधे से जुड़े मजदूरों की मानें तो उनके सामने अब रोजी रोटी की चिंता है.

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Published : May 29, 2020, 8:40 PM IST

रोहतासः जिले में कैमूर पहाड़ी से निकलने वाले पत्थरों से बनने वाले सिलबट्टा यानी सील बनाने का उद्योग ठप होता जा रहा है. लिहाजा इससे जुड़े लोगों के लिए रोजी-रोटी भी जुटाना मुश्किल हो गया है. बदलते दौर और भाग दौड़ की जिंदगी में लोगों ने सिलबट्टे की जगह मिक्सर ग्राइंडर को अपनी पसंद बना लिया है. जिसका असर ये हुआ कि आज सिलबट्टा बनाने वाले मजदूरों की आमदनी पर ही बट्टा लग गया है.

सिलबट्टे की जगह अब मिक्सर ग्राइंडर ने ली
सासाराम में कैमूर पहाड़ी से निकलने वाले पत्थरों से बनने वाले सिलबट्टे की डिमांड काफी कम हो गई है. जिसके कारण सील बनाने वाले मजदूरों पर अब रोजी रोटी का संकट भी मंडराने लगा है. सिलबट्टा यानी सील मसाला पीसने के काम में आता है. जिससे बेहद स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन बदलते वक्त और हालात के कारण सिलबट्टा की डिमांड मार्केट से कम होने लगी. क्योंकि सिलबट्टे की जगह अब मिक्सर ग्राइंडर ने ले ली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

ये भी पढ़ेंः जिंदा होने का सबूत लेकर भटक रहा है ये बुजुर्ग, 10 साल पहले मृत बताकर कफन की भी ले ली गई है राशि

'पत्थर खनन पर पूरी तरीके से लगी रोक'
सासाराम में सिलबट्टी का उधोग बड़े पैमाने पर फल फूल रहा था. लेकिन अब सिलबट्टे बनाने वाले मजदूरों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. क्योंकि जिले में पत्थर खनन पर पूरी तरीके से रोक लग जाने से उन्हें पत्थर नहीं मिल पाते हैं. जिससे दूसरे राज्यों से पत्थर मंगाया जाता है, जो काफी मंहगा साबित होता है. मसाला पीसने के लिए अब लोग अपने घरों में सिल बट्टे की जगह मिक्सर का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि सिल बट्टे की आज भी एक अलग पहचान है. मन मुताबिक मसाला पीसने के लिए कई लोग आज भी सिलबट्टे का इस्तेमाल करते हैं.

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सिलबट्टा बनाता मजदूर

'किसी तरह पेशे को रख रहें जिंदा'
सिलबट्टे बनाने वाले मजदूर ने बताया कि उन्हें सील बनाने में 1 से 2 दिन का समय लगता है. लेकिन मेहनत के हिसाब से उन्हें मजदूरी नहीं मिल पाती है. एक सील के कीमत ढाई सौ से तीन सौ तक ही मिल पाती है. मजदूरों ने बताया कि पर्व त्योहार से लेकर घरेलू उपयोग में सिलबट्टे का अधिक इस्तेमाल होता था. लेकिन मिक्सर के आ जाने से सिलबट्टी का डिमांड ना के बराबर हो गई है. लिहाजा अब वह अपने पेशे को जिंदा रखने के लिए इसका निर्माण करते हैं.

रोहतासः जिले में कैमूर पहाड़ी से निकलने वाले पत्थरों से बनने वाले सिलबट्टा यानी सील बनाने का उद्योग ठप होता जा रहा है. लिहाजा इससे जुड़े लोगों के लिए रोजी-रोटी भी जुटाना मुश्किल हो गया है. बदलते दौर और भाग दौड़ की जिंदगी में लोगों ने सिलबट्टे की जगह मिक्सर ग्राइंडर को अपनी पसंद बना लिया है. जिसका असर ये हुआ कि आज सिलबट्टा बनाने वाले मजदूरों की आमदनी पर ही बट्टा लग गया है.

सिलबट्टे की जगह अब मिक्सर ग्राइंडर ने ली
सासाराम में कैमूर पहाड़ी से निकलने वाले पत्थरों से बनने वाले सिलबट्टे की डिमांड काफी कम हो गई है. जिसके कारण सील बनाने वाले मजदूरों पर अब रोजी रोटी का संकट भी मंडराने लगा है. सिलबट्टा यानी सील मसाला पीसने के काम में आता है. जिससे बेहद स्वादिष्ट खाना बनाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है. लेकिन बदलते वक्त और हालात के कारण सिलबट्टा की डिमांड मार्केट से कम होने लगी. क्योंकि सिलबट्टे की जगह अब मिक्सर ग्राइंडर ने ले ली.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

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'पत्थर खनन पर पूरी तरीके से लगी रोक'
सासाराम में सिलबट्टी का उधोग बड़े पैमाने पर फल फूल रहा था. लेकिन अब सिलबट्टे बनाने वाले मजदूरों पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा है. क्योंकि जिले में पत्थर खनन पर पूरी तरीके से रोक लग जाने से उन्हें पत्थर नहीं मिल पाते हैं. जिससे दूसरे राज्यों से पत्थर मंगाया जाता है, जो काफी मंहगा साबित होता है. मसाला पीसने के लिए अब लोग अपने घरों में सिल बट्टे की जगह मिक्सर का इस्तेमाल कर रहे हैं. हालांकि सिल बट्टे की आज भी एक अलग पहचान है. मन मुताबिक मसाला पीसने के लिए कई लोग आज भी सिलबट्टे का इस्तेमाल करते हैं.

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सिलबट्टा बनाता मजदूर

'किसी तरह पेशे को रख रहें जिंदा'
सिलबट्टे बनाने वाले मजदूर ने बताया कि उन्हें सील बनाने में 1 से 2 दिन का समय लगता है. लेकिन मेहनत के हिसाब से उन्हें मजदूरी नहीं मिल पाती है. एक सील के कीमत ढाई सौ से तीन सौ तक ही मिल पाती है. मजदूरों ने बताया कि पर्व त्योहार से लेकर घरेलू उपयोग में सिलबट्टे का अधिक इस्तेमाल होता था. लेकिन मिक्सर के आ जाने से सिलबट्टी का डिमांड ना के बराबर हो गई है. लिहाजा अब वह अपने पेशे को जिंदा रखने के लिए इसका निर्माण करते हैं.

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