रोहतास: दीपावली का त्यौहार आते ही जिला मुख्यालय के सासाराम में कुम्हारों के चाक की रफ्तार तेज हो गई है. ताकि मिट्टी के दीये की रोशनी वह लोगों तक पहुंचा सके. लेकिन बदलती जीवन शैली और आधुनिक परिवेश में मिट्टी को आकार देने वाला कलाकार की कला आज की आधुनिकता की चकाचौंध में लुप्त होती जा रही है.
वहीं, सासाराम के शेरगंज के रहने वाले कुम्हार गोपाल प्रसाद भी 40 सालों से दीये बनाने का काम कर रहे हैं. लेकिन अब उन्हें इस दीये की रोशनी से मायूस होना पड़ रहा है.
चाइनीज लाइटों ने किया कब्जा
कुम्हार गोपाल प्रसाद ने बताया कि बाजार में चाइनीज लाइटों का कब्जा है. ऐसे में उनकी मिट्टी के दीये की डिमांड काफी कम हो गई है. उन्होंने बताया कि वह और उनका परिवार पिछले 40 सालों से मिट्टी का बर्तन बनाने का काम कर रहा है. दीपावली आते ही उन्हें एक उम्मीद रहती है कि मिट्टी के दीये से काफी आमदनी होगी. लेकिन बाजार पर चाइनीज लाइटों के कब्जों ने उनके इस व्यवसाय को धराशायी कर दिया है.
सरकार से भी नाराजगी
वहीं, कुम्हारों ने सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि प्रजापतियों के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इलेक्ट्रिक चाक देने की बात कही थी. लेकिन अब तक हम लोगों को इलेक्ट्रिक चाक नहीं मिले. अगर इलेक्ट्रिक चाक मिल जाते तो वे उत्पादन दोगुना बढ़ जाता, जिससे उनके व्यवसाय में फायदा होता.
'आने वाले पीढ़ी को रखेंगे दूर'
कुम्हारों ने कहा एक तरफ सरकार चाइना जैसे देशों से लड़ने की बात करता है. तो वहीं, बाजार में उसका सामान भी बिकने के लिए अनुमति देता है. ऐसे में हम कुम्हारों का क्या हाल होगा, यह तो वक्त बता ही रहा है. उन्होंने कहा कि वह महज इस व्यवस्था को परंपरा के तौर पर निभा रहे हैं. इससे दो वक्त की रोटी भी जुटाना मुश्किल हो गया है. साथ ही उन्होंने कहा कि वह अपने आने वाले पीढ़ी को ऐसे कामों से दूर रखेंगे.