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इस स्कूल में सालों भर जमीन पर होती है कक्षा 8 तक की पढ़ाई, बुनियादी सुविधाएं भी नदारद

करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय में सीनियर क्लास की लड़कियां आज भी क्लास के अंदर जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल के बच्चे सही से पहाड़ा तक नहीं पढ़ पाते हैं.

जमीन पर बैठे बच्चे
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Published : Jun 1, 2019, 2:27 PM IST

रोहतासः बिहार में सरकारी स्कूल की व्यवस्था बद से बदतर है. बच्चों को शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन उसमें गुणवत्ता ना के बराबर है. बच्चों को आज भी क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है. सुविधाओं की तो बात ही बेमानी है. कुछ ऐसा ही नजारा जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय का भी है.

क्लास में नहीं है बेंच
करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय में सीनियर क्लास की लड़कियां आज भी क्लास के अंदर जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल के बच्चे सही से पहाड़ा तक नहीं पढ़ पाते हैं. क्लास 8 की पढ़ने वाली एक छात्रा से जब सवाल किया गया तो वह मामूली से सवाल का जवाब देने में असमर्थ थी. जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है.

SCHOOL
जमीन में बैठ कर पढ़ते बच्चे

बेंच के लिए आवंटन नहीं
हालांकि इस मामले में जब प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आवंटन के अभाव में क्लास में अब तक बेंच और डेक्स नहीं लगा है. जिसके कारण बच्चे बच्चियां जमीन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यह सिलसिला इस स्कूल में पिछले कई सालों से चला आ रहा है. इस विद्यालय की जमीन अपनी नहीं है. गांव वालों की जमीन पर स्कूल बनाया गया है.

school
खेतों के बीच में स्कूल

डीईओ ने दिया जांच का आश्वासन
यहां के टीचर भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभाते हैं. इसका असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है. वहीं इस मामले में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी हमें अभी तक नहीं है. लेकिन आपने मुझे संज्ञान में दिया गया है. मैं इसकी जांच कराऊंगा और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

जमीन पर बैठे बच्चे और बयान देती प्रिंसिपल और डीईओ

ऐसी है स्कूल की स्थिति

  • खेत के बीचों-बीच है विद्यालय
  • ग्रामीणों की जमीन पर बना है स्कूल
  • जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं बच्चे
  • कई सालों से स्कूल की यही है स्थिति
  • लापरवाही बरतते हैं स्कूल के शिक्षक
  • बरसात और ठंडी में भी जमीन पर होती है पढ़ाई
  • जिला शिक्षा पदाधिकारी को नहीं है जानकारी
  • डीईओ ने दिया आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन

रोहतासः बिहार में सरकारी स्कूल की व्यवस्था बद से बदतर है. बच्चों को शिक्षा तो मिल रही है, लेकिन उसमें गुणवत्ता ना के बराबर है. बच्चों को आज भी क्वालिटी एजुकेशन नहीं मिल पा रहा है. सुविधाओं की तो बात ही बेमानी है. कुछ ऐसा ही नजारा जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय का भी है.

क्लास में नहीं है बेंच
करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय में सीनियर क्लास की लड़कियां आज भी क्लास के अंदर जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं. स्कूल के बच्चे सही से पहाड़ा तक नहीं पढ़ पाते हैं. क्लास 8 की पढ़ने वाली एक छात्रा से जब सवाल किया गया तो वह मामूली से सवाल का जवाब देने में असमर्थ थी. जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही से बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है.

SCHOOL
जमीन में बैठ कर पढ़ते बच्चे

बेंच के लिए आवंटन नहीं
हालांकि इस मामले में जब प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आवंटन के अभाव में क्लास में अब तक बेंच और डेक्स नहीं लगा है. जिसके कारण बच्चे बच्चियां जमीन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं. यह सिलसिला इस स्कूल में पिछले कई सालों से चला आ रहा है. इस विद्यालय की जमीन अपनी नहीं है. गांव वालों की जमीन पर स्कूल बनाया गया है.

school
खेतों के बीच में स्कूल

डीईओ ने दिया जांच का आश्वासन
यहां के टीचर भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभाते हैं. इसका असर बच्चों की शिक्षा पर पड़ रहा है. वहीं इस मामले में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसकी जानकारी हमें अभी तक नहीं है. लेकिन आपने मुझे संज्ञान में दिया गया है. मैं इसकी जांच कराऊंगा और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

जमीन पर बैठे बच्चे और बयान देती प्रिंसिपल और डीईओ

ऐसी है स्कूल की स्थिति

  • खेत के बीचों-बीच है विद्यालय
  • ग्रामीणों की जमीन पर बना है स्कूल
  • जमीन पर बैठ कर पढ़ते हैं बच्चे
  • कई सालों से स्कूल की यही है स्थिति
  • लापरवाही बरतते हैं स्कूल के शिक्षक
  • बरसात और ठंडी में भी जमीन पर होती है पढ़ाई
  • जिला शिक्षा पदाधिकारी को नहीं है जानकारी
  • डीईओ ने दिया आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन
Intro:रोहतास. बिहार में सरकारी स्कूल की व्यवस्था का आलम बद से बदतर है. कुछ ऐसा ही नजारा जिला मुख्यालय के करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय का भी है.


Body:गौरतलब है कि एक तरफ राज्य सरकार जहां शिक्षा के नाम पर करोडों रुपये खर्च करने का दावा करती है। लेकिन हकीकत में इस दावे की सच्चाई स्कूल के अंदर बैठे बच्चों को देखकर ही पता लगाया जा सकता है। जिला के कई ऐसे ही स्कूल है जहां आज भी बच्चे खुले जमीन पर बैठने को मजबूर है। ऐसा ही नजारा करगहर प्रखंड के दिभियां मध्य विद्यालय में भी देखने को मिला। जहां सीनियर क्लास की लड़कियां आज भी क्लास के अंदर जमीन पर बैठकर पढ़ने को मजबूर है। लिहाजा शिक्षा के नाम पर सरकार जितनी अपनी वाहवाही लुटती है उतना धरातल पर होता दिख नहीं रहा है। सरकारी स्कूल का आलम यह है कि बच्चे सही से पहाड़ा तक नहीं पढ़ पाते है। क्लास 8 की पढ़ने वाली एक छात्रा से जब सवाल किया गया तो वह मामूली से सवाल का जवाब देने में असमर्थ दिखी। जाहिर है शिक्षकों की लापरवाही से बच्चों के भविष्य का कला बनता जा रहा है। लिहाज़ा अगर शिक्षकों का यही आलम रहा तो आने वाले समय में इस नन्हे और मासूम बच्चों का भविष्य कोरा होता चला जाएगा। जाहिर है सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द शिक्षा की व्यवस्था में सुधार लाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की व्यवस्था करें। हालांकि इस मामले में जब प्रिंसिपल से पूछा गया तो उन्होंने कहा की आवंटन के अभाव में क्लास में अब तक बेंच और डेक्स नहीं लगा है। जिसके कारण बच्चे बच्चियां जमीन में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह सिलसिला इस स्कूल में पिछले कई सालों से चला आ रहा है। गर्मी हो या बरसात या फिर कड़ाके की सर्दी खुली जमीन पर बच्चे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। साथी ही टीचर भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी नहीं निभाते हैं। इसका रिजल्ट बच्चों की तालीम को देखकर ही लगाया जा सकता है। वहीं इस मामले में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बोला कि इसका संज्ञान हमें अभी तक नहीं था। लेकिन आपके द्वारा मुझे संज्ञान में दिया गया है लिहाजा मैं इसकी जांच कराऊंगा और जांच के बाद आवश्यक कार्रवाई करूंगा।


Conclusion:बहरहाल बदहाल शिक्षा व्यवस्था की फिक्र शायद किसी को नहीं है। नतीजा आलम यह है कि आज भी कई स्कूलों के बच्चे जमीनों पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं। जाहिर है सरकारी स्कूलों की बदइंतज़ामी का ही नतीजा है कि लोग निजी स्कूलों में अपने बच्चों का दाखिला करा देते हैं।

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