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सासाराम: 394 पदों पर कार्यरत हैं सिर्फ 153 डॉक्टर, कैसे रखेंगे 32 लाख की आबादी को स्वस्थ?

डॉक्टरों को लेकर अस्पताल प्रशासन भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं देता. अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों के पास भी डॉक्टर नहीं आते. मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर के पास जाकर दवा लिखावानी पड़ती है.

रोहतास
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Published : Aug 11, 2019, 10:21 AM IST

रोहतास: चमकी बुखार ने हाल ही में पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी थी. कुछ ऐसी ही हालत जिले के सदर अस्पताल की है. यहां डॉक्टरों की घोर कमी है. साथ ही अस्पताल में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

इस जिले में लगभग 32 लाख की आबादी है. लेकिन अस्पताल में महज 16 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. यहां ईसीजी टेस्ट से लेकर आईसीयू तक की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके साथ ही पोस्टमार्टम भवन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

रोहतास
पोस्टमार्टम भवन

'यहां डॉक्टर ही नहीं मिलते'
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का कहना है कि यहां सुबह से डॉक्टर देखने तक नहीं आये हैं. वहीं डॉक्टरों को लेकर अस्पताल प्रशासन भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं देता. अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों के पास भी डॉक्टर नहीं आते. मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर के पास जाकर दवा लिखावानी पड़ती है.

मरीज और सिविल सर्जन का बयान

'डॉक्टरों की है भारी कमी'
डॉक्टरों की कमी को लेकर सिविल सर्जन डॉ जनार्दन शर्मा ने कहा कि पूरे जिले में 394 पदों में सिर्फ 153 डॉक्टर ही यहां तैनात हैं. इसके साथ ही सदर अस्पताल में 80 पदों में सिर्फ 16 डॉक्टर की ही तैनाती की गई है. वहीं, उन्होंने कहा कि यहां आईसीयू की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके टेक्निकल कर्मियों की अभी तक भर्ती नहीं हो सकी है.

रोहतास: चमकी बुखार ने हाल ही में पूरे प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी थी. कुछ ऐसी ही हालत जिले के सदर अस्पताल की है. यहां डॉक्टरों की घोर कमी है. साथ ही अस्पताल में आज भी बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है.

इस जिले में लगभग 32 लाख की आबादी है. लेकिन अस्पताल में महज 16 डॉक्टर ही कार्यरत हैं. यहां ईसीजी टेस्ट से लेकर आईसीयू तक की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके साथ ही पोस्टमार्टम भवन में गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

रोहतास
पोस्टमार्टम भवन

'यहां डॉक्टर ही नहीं मिलते'
अस्पताल में इलाज कराने आए मरीजों का कहना है कि यहां सुबह से डॉक्टर देखने तक नहीं आये हैं. वहीं डॉक्टरों को लेकर अस्पताल प्रशासन भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं देता. अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों के पास भी डॉक्टर नहीं आते. मरीज की हालत बिगड़ने पर डॉक्टर के पास जाकर दवा लिखावानी पड़ती है.

मरीज और सिविल सर्जन का बयान

'डॉक्टरों की है भारी कमी'
डॉक्टरों की कमी को लेकर सिविल सर्जन डॉ जनार्दन शर्मा ने कहा कि पूरे जिले में 394 पदों में सिर्फ 153 डॉक्टर ही यहां तैनात हैं. इसके साथ ही सदर अस्पताल में 80 पदों में सिर्फ 16 डॉक्टर की ही तैनाती की गई है. वहीं, उन्होंने कहा कि यहां आईसीयू की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके टेक्निकल कर्मियों की अभी तक भर्ती नहीं हो सकी है.

Intro:रोहतास। बिहार में गिरते स्वास्थ व्यवस्था को लेकर सकरकर की खूब किरकिरी होती है। वहीं रोहतास जिला मुख्यालय का सदर अस्पताल इन दिनों भगवान भरोसे चलने को मजबूर है।


Body:गौरतलब है कि रोहतास जिले की कुल आबादी स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार 32 लाख के करीब है। जिले में कुल 19 प्रखंड है इसमें 320 विभिन्न प्रकार के सरकारी अस्पताल हैं। इन 320 अस्पतालों में 394 एमबीबीएस नियमित डॉक्टर के अलावे एमबीबीएस कांट्रेक्चुअल आयुष व डेंटल के डॉक्टरों के लिए पद सृजित है। इन 394 पदों के विरुद्ध जिले में मात्र 153 डॉक्टर ही पूरे जिले में काम करने को मजबूर है। जबकि 241 पद भी खाली पड़े हुए हैं। जिले में 21000 लोगों पर एक डॉक्टर ही कार्य कर रहे हैं। वही सासाराम की भी आबादी लगभग डेढ़ लाख के करीब है। ऐसे में सासाराम के सदर अस्पताल में कुल 80 डॉक्टरों का पद है।

एक तिहाई से अधिक खाली है पद

सासाराम सदर अस्पताल की बात करें तो यहां डेढ़ लाख की आबादी पर महज 16 डॉक्टर ही सदर अस्पताल में काम कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि सदर अस्पताल सासाराम में 80 डॉक्टरों का पद निर्धारित किया गया है। लेकिन सरकार की उदासीनता की वजह से यह महज़ 16 डॉक्टर ही कार्य कर रहे हैं।

बुनियादी सुविधाओं की कमियां

वैसे तो सरकारी अस्पताल का नाम आते ही यह ख्याल आता है कि सरकारी अस्पताल में इलाज बस खानापूर्ति के लिए की जाती है। यह बात हकीकत भी है क्योंकि सासाराम के सदर अस्पताल में वह बुनियादी सुविधाएं नदारद है। यहां कई तरह की जांच की सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। ईसीजी तक इतने बड़े अस्पताल में नहीं है। इसके सदर अस्पताल में आईसीयू तक की व्यवस्था नहीं है।

बदहाल है पोस्टमार्टम हाउस
सासाराम सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम की स्थिति ऐसी है कि आप वहां जाने में संकोच करेंगे। हालांकि नए पोस्टमार्टम भवन का निर्माण कई वर्षों पहले हो चुका है। उसके बावजूद उसका इस्तेमाल अब तक नहीं हुआ है। लिहाजा पुराने और गंदे पोस्टमार्टम का ही इस्तेमाल आज भी सदर अस्पताल करता है।

क्या कहते है सिविल सर्जन

इस मामले में जब सिविल सर्जन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है। पूरे जिले में ही डॉक्टरों के कई पद खाली है साथ ही उन्होंने कहा कि कई ऐसे पीएचसी भी है जहां डॉक्टर नहीं है।


Conclusion:बहरहाल सदर अस्पताल की गिरती व्यवस्था पर सरकार पर सवालिया निशान लगना लाजमी है। क्योंकि बिहार में स्वास्थ्य को लेकर सरकार की आय दिन किरकिरी होती रहती है।

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