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रोहतासः बदहाली की कगार पर है गुरु तेग बहादुर महाराज का चबूतरा

महंत ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष देश और विदेश से सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे पर माथा टेकने आते हैं, तो वहीं, अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान जैसे मुल्क से भी सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे को देखने के लिए आते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी की वजह से ये गुरुद्वारा आज उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

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Published : Jan 3, 2020, 10:04 AM IST

रोहतासः पूरे देश में जहां गुरु गोविंद सिंह के जन्म दिवस के मौके पर प्रकाश उत्सव का पर्व मनाया जा रहा है. वहीं, सासाराम स्थित गुरु तेग बहादुर महाराज के ऐतिहासिक जगह की अनदेखी हो रही है. गुरुद्वारा बाग में गुरु तेग बहादुर महाराज के चबूतरे की स्थिति बदहाल बनी हुई है और प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

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गुरु तेग बहादुर का चबूतरा

क्या कहते हैं गुरुद्वारे के महंत
गुरुद्वारे के महंत ने बताया कि सासाराम में स्थित गुरुतेग बहादुर बाग में एक चबूतरा है. जहां गुरुतेग बहादुर ने कई दिनों तक चबूतरे पर रुक कर तपस्या की थी. उस दौरान बाग के चारों तरफ लगे पेड़ सूख रहे थे. लेकिन गुरुतेग बहादुर की तपस्या के बाद वो पेड़ हरे भरे हो गए. लेकिन अभी के समय में किसी का ध्यान इस चबूतरे की तरफ नहीं है. प्रशासन की तरफ से इस ऐतिहासिक जगह की अनदेखी की जा रही है. इसे लेकर कई बार प्रशासन और सरकार से गुहार भी लगाई जा चुकी है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ेः बाढ़ के विदाई समारोह में भावुक हुईं लिपि सिंह, मुंगेर की बनाई गई हैं SP

गुरुद्वारे की हो रही है उपेक्षा
महंत ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष देश और विदेश से सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे पर माथा टेकने आते हैं, तो वहीं, अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान जैसे मुल्क से भी सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे को देखने के लिए आते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी की वजह से ये गुरुद्वारा आज उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

रोहतासः पूरे देश में जहां गुरु गोविंद सिंह के जन्म दिवस के मौके पर प्रकाश उत्सव का पर्व मनाया जा रहा है. वहीं, सासाराम स्थित गुरु तेग बहादुर महाराज के ऐतिहासिक जगह की अनदेखी हो रही है. गुरुद्वारा बाग में गुरु तेग बहादुर महाराज के चबूतरे की स्थिति बदहाल बनी हुई है और प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है.

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गुरु तेग बहादुर का चबूतरा

क्या कहते हैं गुरुद्वारे के महंत
गुरुद्वारे के महंत ने बताया कि सासाराम में स्थित गुरुतेग बहादुर बाग में एक चबूतरा है. जहां गुरुतेग बहादुर ने कई दिनों तक चबूतरे पर रुक कर तपस्या की थी. उस दौरान बाग के चारों तरफ लगे पेड़ सूख रहे थे. लेकिन गुरुतेग बहादुर की तपस्या के बाद वो पेड़ हरे भरे हो गए. लेकिन अभी के समय में किसी का ध्यान इस चबूतरे की तरफ नहीं है. प्रशासन की तरफ से इस ऐतिहासिक जगह की अनदेखी की जा रही है. इसे लेकर कई बार प्रशासन और सरकार से गुहार भी लगाई जा चुकी है.

देखें पूरी रिपोर्ट

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गुरुद्वारे की हो रही है उपेक्षा
महंत ने बताया कि यहां प्रतिवर्ष देश और विदेश से सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे पर माथा टेकने आते हैं, तो वहीं, अमेरिका, कनाडा और पाकिस्तान जैसे मुल्क से भी सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे को देखने के लिए आते हैं, लेकिन प्रशासन की अनदेखी की वजह से ये गुरुद्वारा आज उपेक्षा का शिकार हो रहा है.

Intro:रोहतास। पूरी दुनिया में गुरु गोविंद सिंह के जन्म दिवस पर मौके पर प्रकाश उत्सव का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन सासाराम में गुरु तेग बहादुर महाराज का गुरुद्वारा बाग का एक अलग ही पहचान है


Body:पूरी दुनिया में आज गुरु नानक देव का 553 वां प्रकाश उत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन सासाराम के एक ऐसे गुरुद्वारे के आपको तस्वीर दिखाएंगे जो शायद आपने पहले कभी नहीं देखा होगा। हम बात कर रहे हैं गुरु तेग बहादुर महाराज के एक ऐसे बाग के चबूतरे की जहां उन्होंने 21 दिन इसी चबूतरे पर गुजारा था। जानकारी के मुताबिक सासाराम के सागर पर स्थित गुरुतेग बहादुर भाग का गुरुद्वारा आज भी मौजूद है। जहां गुरुतेग बहादुर सन 1660 ईस्वी में इस जगह पर आए थे और 21 दिनों तक का वक़्त गुजारा था। गुरुद्वारा के महंत की माने तो गुरुतेग बहादुर महाराज को इस जगह पर इसलिए बुलाया गया था की गुरुद्वारा के चारों तरफ लगे बगीचे के पेड़ सूखने लगे थे। लिहाजा गुरुतेग बहादुर 21 दिनों तक गुरुद्वारा में बने चबूतरे पर बैठकर तपस्या किया और अपने साथ लाए हुए घोड़े को उसी पेड़ में बांध दिया। गुरुद्वारे के अंदर तकरीबन सम350 साल पुराना मौलेसरी का पेड़ सूखने की स्थिति पर पहुंच गया था। जिसमें गुरु तेग बहादुर ने उस पेड़ में घोड़े को बांधकर पेड़ पर हरियाली ला दी. इसका प्रमाण सूर्य ग्रंथ और गुरु तेग बहादुर की यात्रा वृतांत पुस्तक में भी इस इतिहास का पृष्ठभूमि देखने को मिलता है। वहीं बाग को सूखने का श्राप भी सिख धर्म के गुरुदित्ता जी महाराज ने ही दिया था।


VO:1 गुरुद्वारा के महाराज ने बताया कि सासाराम में मौजूद गुरुतेग बहादुर बाग जिसमें एक ऐसा चबूतरा है। यहां गुरुतेग बहादुर ने कई दिन तक इस चबूतरे पर रुक कर तपस्या की थी। बाग के चारों तरफ लगे पेड़ सुख रहे थे। लेकिन गुरुतेग बहादुर के तपस्या के बाद यह हरे भरे हो गए। उन्होंने बताया की इस ऐतिहासिक जगह की अनदेखी की जा रही है। इसे लेकर कई बार प्रशासन और सिख समुदाय के लोगों से भी गुहार लगाया जा चुका है। यहां प्रतिवर्ष देश और विदेश से सिख समुदाय के लोग इस चबूतरा पर माथा टेकने पहुंचते हैं। तो वहीं अमेरिका कनाडा और पाकिस्तान जैसे मुल्क से भी सिख समुदाय के लोग इस चबूतरे को देखने के लिए यहां आते हैं। लेकिन प्रशासन की अनदेखी की वजह से यह गुरुद्वारा आज अपेक्षा का शिकार हो रहा है।

बाइट_महंत बजरंगी दास


Conclusion:बहरहाल सासाराम में स्थित गुरुतेग बहादुर का बाग वाकई किसी इतिहासिक धरोहर से कम नहीं है। प्रशासन अगर ऐसे ऐतिहासिक धरोहर को संजोकर नहीं रखेगा तो आने वाले वक्त में यह धरोहर जमींदोज़ हो जाएगा।
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