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पटना हाईकोर्ट में BPSC मुद्दे पर नहीं हो पाई सुनवाई, जानें वजह - PATNA HIGH COURT

पटना उच्च न्यायालय में BPSC मुद्दे पर सुनवाई नहीं हो पाई. वहीं दूसरी तरफ फार्मासिस्ट के मुद्दे पर सुनवाई हुई. पढ़ें खबर.

PATNA HIGH COURT
पटना हाईकोर्ट (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 7, 2025, 5:33 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पप्पू कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर समय अभाव के कारण सुनवाई नहीं हो पायी. जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल इन मामलों पर सुनवाई कर रहे हैं. इन मामलों पर अब अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है.

सरकार और बीपीएससी को जवाब देने का निर्देश : बता दें कि इससे पहले 16जनवरी 2025 को जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल ने इन्हीं मुद्दों पर पप्पू कुमार व अन्य द्वारा याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने 30 जनवरी 2025 तक राज्य सरकार व बीपीएससी को जवाब देने का निर्देश दिया. साथ ही ये भी स्पष्ट किया था कि इस रिट याचिका के परिणाम पर ही बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट निर्भर करेगा.

फार्मासिस्ट के मुद्दे पर HC में सुनवाई : वहीं दूसरी तरफ पटना हाईकोर्ट में राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 14 फरवरी 2025 को की जाएगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने पूर्व में इस मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाने सम्बन्धी याचिका स्वीकार कर लिया है.

राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाये. कॉउन्सिल भी कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है.

क्या रखी गई है दलील? : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में लगभग दस हजार अस्पताल हैं, जबकि निबंधित फर्मासिस्टों की संख्या 6 सौ से कुछ अधिक है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं.

एक सप्ताह बाद सुनवाई : उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते हैं, जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को रखते हुए कहा था इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए. ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करे, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को की जाएगी.

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पटना : पटना हाईकोर्ट में बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा आयोजित 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर पप्पू कुमार व अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर समय अभाव के कारण सुनवाई नहीं हो पायी. जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल इन मामलों पर सुनवाई कर रहे हैं. इन मामलों पर अब अगले सप्ताह सुनवाई होने की संभावना है.

सरकार और बीपीएससी को जवाब देने का निर्देश : बता दें कि इससे पहले 16जनवरी 2025 को जस्टिस अरविन्द सिंह चंदेल ने इन्हीं मुद्दों पर पप्पू कुमार व अन्य द्वारा याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने 30 जनवरी 2025 तक राज्य सरकार व बीपीएससी को जवाब देने का निर्देश दिया. साथ ही ये भी स्पष्ट किया था कि इस रिट याचिका के परिणाम पर ही बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट निर्भर करेगा.

फार्मासिस्ट के मुद्दे पर HC में सुनवाई : वहीं दूसरी तरफ पटना हाईकोर्ट में राज्य में निबंधित और योग्य फार्मासिस्ट के पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर होने वाले असर के मामले पर सुनवाई 14 फरवरी 2025 को की जाएगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ इस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. कोर्ट ने पूर्व में इस मामले पर सुनवाई करते हुए बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाने सम्बन्धी याचिका स्वीकार कर लिया है.

राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश : पिछली सुनवाई में कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह बिहार स्टेट फार्मेसी कॉउन्सिल को पार्टी बनाये. कॉउन्सिल भी कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करेगा. कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया था. ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर किया है.

क्या रखी गई है दलील? : याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया था कि राज्य में लगभग दस हजार अस्पताल हैं, जबकि निबंधित फर्मासिस्टों की संख्या 6 सौ से कुछ अधिक है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि डॉक्टरों द्वारा लिखे गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. उन्होंने कोर्ट को जानकारी दी थी कि बहुत सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते हैं.

एक सप्ताह बाद सुनवाई : उन्होंने कोर्ट को बताया था कि बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते हैं, जबकि ये कार्य निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है. उन्होंने कोर्ट के समक्ष तथ्यों को रखते हुए कहा था इससे आम लोगों का स्वास्थ्य और जीवन पर खतरा उत्पन्न हो रहा है. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया था कि फार्मेसी एक्ट, 1948 के अंतर्गत बिहार राज्य फार्मेसी कॉउन्सिल के क्रियाकलापों और भूमिका की जांच के लिए एक कमिटी गठित की जाए. ये कमिटी कॉउन्सिल की क्रियाकलापों की जांच करे, क्योंकि ये गलत तरीके से जाली डिग्री देती है. इस मामले पर अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को की जाएगी.

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