पूर्णिया: बिहार के पूर्णिया में छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. उर्दू के टीचर से साइकोलॉजी विषय की कॉपी (urdu teacher examined psychology copy) जंचवाने से दर्जनों छात्रों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस शिक्षक को मनोविज्ञान सब्जेक्ट का ज्ञान नहीं है, उन्होंने किस तरह से कॉपी जांची होगी और छात्रों को किस आधार पर नंबर दिए होंगे. शिक्षा विभाग के इस रवैये से छात्रों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं.
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प्रिंसिपल के पत्र से विवादों में आया कॉलेज: वहीं सोशल मीडिया पर वायरल विवादित फैसले से जुड़ी एक चिट्टी को लेकर पूर्णिया कॉलेज (Purnea college ) एक बार फिर चर्चा में आ गया है. पूर्णिया कॉलेज के उर्दू के सहायक प्रोफेसर और उर्दू डिपार्टमेंट के हेड डॉ.मोहम्मद मुजाहिद हुसैन (Assistant Professor of Urdu Dr Mohammed Mujahid Hussain) को साइकोलॉजी का इंटर परीक्षा के प्रैक्टिकल इंटरनल एग्जामीनर बनाए जाने का आदेश विवादों में आ गया है. यह चिट्ठी 12 जनवरी 2022 की है. चिट्ठी में पूर्णिया कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ.मोहम्मद कमाल (Purnea College Principal Dr. Mohammad Kamal) ने चिट्ठी निकालते हुए आदेश दिया था कि इंटरनल एग्जामिनर ऑफ फिलॉसफी इन इंटरमीडिएट एनुअल प्रैक्टिकल एग्जाम 2022 नियुक्त करता हूं.
"मैं यहां बहुत व्यस्त रहता हूं. इस तरह की कोई चिट्ठी कंट्रोलर बनाकर लाए होंगे या उनका कोई स्टाफ आया होगा. कई बार मैं विश्वास करके साइन कर देता हूं. परीक्षा नियंत्रक से ये बहुत बड़ी गलती हुई है. जब उन्होंने देखा कि यहां कोई साइकोलॉजी के शिक्षक नहीं है तो यहां से लिखकर दे दिया जाता, बस मुझे लिखित दे देते. मैं दूसरे कॉलेज से व्यवस्था कर लेता. परीक्षा नियंत्रक ने और जिस शिक्षक ने कॉपी जांची है दोनों की गलती है. उर्दू के टीचर नहीं बन सकते हैं लेकिन अब सब्जेक्ट का वैसा बंधन नहीं रह गया है."- डॉ.मोहम्मद कमाल, प्रिंसिपल, पूर्णिया कॉलेज
जारी किया गया था साइकोलॉजी की कॉपी जांचने का आदेश: उर्दू के शिक्षक का कहना है कि उन्हें दबाव देकर मनोविज्ञान की कॉपी जंचवाई गई. पूर्णिया कॉलेज के प्रिंसिपल मोहम्मद कमाल ने ऐसा कमाल किया कि छात्रों का भविष्य ही अधर में लटक गया. उर्दू के शिक्षक मोहम्मद मुजाहिद हुसैन को इंटरमीडिएट फाइनल प्रैक्टिकल परीक्षा के मनोविज्ञान की कॉपी जांचने का आदेश जारी कर दिया गया. इसके लिए पत्र जारी कर प्रिंसिपल ने उर्दू के शिक्षक मुजाहिद हुसैन को इंटरनल एग्जामिनर बनाकर मनोविज्ञान की कॉपी जांचने का आदेश दिया गया. वहीं समूचे मामले पर अपनी सफाई देते हुए उर्दू के डॉ.मोहम्मद मुजाहित हुसैन ने कहा कि मुझे जारी आदेश की स्वीकृति के लिए परीक्षा नियंत्रक की ओर से दवाब डाला गया था. मजबूरन उन्होंने कॉपी चेक की और मार्क्स दिया.
"हमें बोला गया कि सर बोले हैं करने के लिए आप कर दीजिए. हमने बार-बार कहा कि हम उसके टीचर नहीं हैं, आप हमसे गलत करवा रहे हैं. हमसे बस एक ही गलती हुई कि प्रिंसिपल को नॉलेज में नहीं दिया. डॉक्टर मनोज कुमार सेन की गलती है. मैंने कहा उर्दू की कॉपी हम चेक करते हैं तो उन्होंने कहा कि आप कर दीजिए हमने सर से परमिशन ले ली है. हमें बोले एक ही कॉपी है आप कर दीजिए जो भी होगा हम समझ लेगें. मेरी कहीं से कोई गलती नहीं है."- डॉ.मोहम्मद मुजाहित हुसैन, उर्दू प्रोफेसर
छात्रों के भविष्य से खिलवाड़: अब बड़ा सवाल यह है कि क्या उर्दू के शिक्षक मनोवैज्ञानिक होते हैं. पूर्णिया कॉलेज में मनोविज्ञान के शिक्षक के न होने पर जिस प्रकार का विवादित निर्णय लिया गया, क्या यह निर्णय छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं? उर्दू के प्रोफेसर ने किस हद तक मानक जांच का ख्याल रखकर प्रैक्टिकल लिया होगा या फिर नंबर दिया होगा? यह तो अब जांच के बाद ही पता चल सकेगा. इस खबर के सामने आने के बाद से छात्रों को कॉपी में मानकों का कितना ध्यान रखा गया इस बात की चिंता सताने लगी है.
प्रिंसिपल ने कही ये बात: बता दें कि पूर्णिया कॉलेज ने इंटरमीडिएट एनुअल प्रैक्टिकल एग्जाम 2022 की वाया 14 जनवरी 2022 को लिया गया. इसमें उर्दू के डिपार्टमेंट ऑफ हेड सहायक प्रोफेसर डॉ.मोहम्मद मुजाहिद हुसैन को एग्जामिनर नियुक्त किया गया था. वहीं वीसी पर सवाल खड़े करते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल मो कमाल ने कहा कि इससे पूर्व विश्वविद्यालय की ओर से हिंदी के प्रोफेसर को बांग्ला का व सोशल साइंस के प्रोफेसर को लॉ का डीन बना दिया गया था. तब कोई विवाद ने तूल नहीं पकड़ा था. मेरे खिलाफ कुछ लोग साजिश कर रहे हैं. यह विवाद उसी का एक बखेड़ा है.
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