पूर्णिया: परीक्षा सेंटर में बदलाव की मांग पर अड़े इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने तीसरे दिन भी परीक्षा का बहिष्कार करते हुए कॉलेज परिसर में जमकर प्रदर्शन किया. इस बाबत प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स ने परीक्षकों पर कई संगीन आरोप लगाते हुए बीएमटी लॉ कॉलेज में बनाए गए परीक्षा केंद्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की मांग की. वहीं कॉलेज प्रबंधन ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि प्रदर्शनकारी स्टूडेंट एग्जाम में ढील दिए जाने की मांग कर रहे थे.
प्रदर्शनकारी छात्रों ने बताया कि बीते 4 दिसंबर से बीएमटी लॉ कॉलेज में तीन इंजीनियरिंग कॉलेज का परीक्षा केंद्र बनाया गया है. इनमें पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज ,वीवीआईटी पूर्णिया व खगड़िया इंजीनियरिंग कॉलेज शामिल है. लिहाजा 20 दिसंबर तक चलने वाली इस परीक्षा के पहले दिन किसी बात को लेकर स्टूडेंट्स और प्रशासन के बीच हल्की नोक-झोंक हुई थी जिसके बाद से कॉलेज प्रबंधन का व्यवहार सभी स्टूडेंट्स को लेकर अप्राकृतिक हो गया.
कॉलेज प्रबंधन पर संगीन आरोप
प्रदर्शनकारी छात्राओं ने भी कॉलेज प्रबंधन पर संगीन आरोप लगाए हैं. छात्राओं का कहना है कि कॉलेज प्रबंधन शुरुआती दौर में हुए बकझक के बाद से ही उनसे कदाचारमुक्त परीक्षा के नाम पर अभद्र व्यवहार करता रहा. उनकी ओर से जारी प्रताड़ना का सिलसिला आज परीक्षा के तीसरे दिन और बढ़ गया. बेवजह कभी लड़कों का आंसरशीट छीन कर घण्टों रख लिया जाता है तो कभी किसी का कोर्ट उतरवा दिया जाता है. इसके बाद भी कॉलेज प्रबंधन का मन नहीं भरा तो वे अभद्र टिप्पणियां के साथ गलत संज्ञा देकर पुकारने लगे.
परीक्षा केंद्र बदलने की मांग
हद तो तब हो गयी जब आब्जर्वर और ड्यूटी पर लगे शिक्षक स्टूडेंट्स से चीटिंग के बहाने मां की कसम तक खिलाने लगे जिसके बाद सभी स्टूडेंट्स ने परीक्षा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया. छात्रों का कहना है कि उनका यह विरोध प्रदर्शन तब तक जारी रहेगा जब तक परीक्षा केंद्र बदलकर पूर्णिया इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं कर दिया जाता. इन्होंने कहा कि वो किसी भी सूरत में अब इस परीक्षा केंद्र पर नहीं बैठेंगे.
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प्रिंसिपल ने आरोपों को बेबुनियाद बताया
वहीं बीएमटी लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल आशुतोष ठाकुर ने स्टूडेंट्स के आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स इनसे सिलेबस पूरी न होने की बात कहकर परीक्षा में ढील देने की मांग कर रहे थे. छात्रों का दाखिला नवंबर में ही पूरा हुआ था और दिसंबर में परीक्षा की तिथि तय की गई जिससे इनकी तैयारी पूरी नहीं हो सकी थी. हालांकि कॉलेज प्रबंधन ने कदाचारमुक्त परीक्षा लिए जाने में नरमी बरतने से साफ इंकार कर दिया था जिसके बाद ही स्टूडेंट्स ने परीक्षा का बहिष्कार किया.