पूर्णिया: सालों से अधर में लटके पूर्णिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की मांग अब एकबार फिर जोर पकड़ने लगी है. सीमांचल और कोसी के लोगों ने अपनी मांग सरकार तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया को हथियार बनाया है. लोगों ने ट्विटर पर #PurneaAirport की मुहिम छेड़ी है.
बीते रविवार को ट्विटर पर पूर्णिया हवाई अड्डे की मांग तेजी से ट्रेंड करने लगी. महज कुछ ही देर में यह हैशटैश बिहार में टॉप पर ट्रेंड करता नजर आया. वहीं, नेशनवाइज ये ट्रेंड 13वें पोजिशन पर रहा. लोगों ने कहा कि इसके जरिए वे सरकार को उनका वादा याद दिलाएंगे.
इस वजह से लटका हुआ है काम
ईटीवी भारत की टीम ने पूर्णिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की मांग को लेकर चल रही मुहिम पर काम करने वाले कुछ लोगों से खास बातचीत की. इस मुहिम से जुड़े विकास आदित्य कहते हैं कि साल 2014 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की पहल शुरू हुई. जिसके तहत जमीन अधिग्रहण के लिए तकरीबन 20 करोड़ की राशि सरकारी तिजोरी में डाली गई. जमीन अधिग्रहण के लिए जिला प्रशासन ने वनभाग के औराही से लगे गोआसी की 52 एकड़ जमीन को चिन्हित भी कर दिया. मगर इसके बाद ग्रामीणों ने खुद को समुचित मुआवजा का हकदार न पाकर कोर्ट में पीआईएल दायर कर दिया. जिसके बाद से यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया है.
पीएम के चुनावी वायदों में शामिल था पूर्णिया एयरपोर्ट
पीएम मोदी ने चुनावी सभाओं के दौरान बिहार में जिन 4 हवाई अड्डा की शुरुआत किए जाने के बाद कही थी उनमें एक पूर्णिया अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है. लिहाजा, मेकेनिकल इंजीनियर नीरज कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए पूर्णिया में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनाए जाने को लेकर अपने मुहिम में लोगों को जोड़ना शुरू किया. बकायदा इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर पूर्णिया टाइम्स के नाम से ट्विटर अकाउंट बनाया. धीरे-धीरे इस अभियान में 4 हजार से भी अधिक लोग जुड़ गए. इसमें जिले के डीएम समेत कई बड़े आलाधिकारी और जनप्रतिनिधि शामिल हैं.
मामले पर एक हुए लोग
हाल में पूर्णिया एयरपोर्ट की मांग को लेकर लोगों ने उड्डयन मंत्री के फेसबुक लाइव के दौरान इस मांग को जोर-शोर से उठाया था. इसके बाद नीरज ने एक रणनीति बनाई जिसके तहत रविवार का दिन तय किया गया. इस दिन लोगों ने ट्विटर पर एकजुट होकर पूर्णिया एयरपोर्ट के लिए आवाज उठाई.
7 जिले के करोड़ो लोगों को मिलेगी सहूलियत
मुहिम से जुड़े सदस्य सुशांत कुशवाहा कहते हैं कि राजधानी पटना से सीमांचल और कोसी की दूरी 300 किलोमीटर से भी अधिक हो जाती है. ऐसे में अतिआवश्यक कार्यों पर सीमांचल कोसी के 7 जिलों के करोड़ों की आबादी को कोसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं इसकी शुरुआत के बाद सीमांचल और कोसी के लोंगों को हवाई सफर के लिए पटना या बागडोगरा जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. साथ ही समय और रुपयों की भी बचत होगी.