पटना: बापू की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को पूरा देश नमन कर रहा है. महात्मा गांधी का बिहार से गहरा लगाव था. उन्होंने लंबे समय तक पटना में रहकर स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई. गांधीजी ने एक विश्वविद्यालय की नींव रखी, जहां जयप्रकाश नारायण और एमपी कोइराला जैसे प्रमुख नेताओं ने शिक्षा प्राप्त की. विडंबना यह है कि जिस स्थिति में बिहार विद्यापीठ को अंग्रेजों ने छोड़ा था, वह आज भी वैसे ही हैं.
महात्मा गांधी का पटना में 29 दिन का प्रवास : महात्मा गांधी ने 1947 में पटना में 29 दिन बिताए थे. जब बिहार में दंगे हो रहे थे, यह उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, जिसमें उन्होंने दंगों को शांत करने का प्रयास किया. गांधीजी ने अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत बिहार से ही की थी और चंपारण में किसानों के पक्ष में आवाज उठाई थी. चंपारण की धरती ने गांधीजी को महात्मा बनाया और वहीं उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा के प्रयोग किए थे.
बिहार विद्यापीठ और गांधीजी का योगदान : महात्मा गांधी ने बिहार विद्यापीठ की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया था. उन्होंने इस विश्वविद्यालय के लिए 62,000 रुपये का सहयोग दिया था, जिसमें 60,000 रुपये झरिया के गुजरात व्यवसायियों से और 2,000 रुपये पटना की एक महिला से प्राप्त किए गए थे. 1921 में पटना में बिहार विद्यापीठ का उद्घाटन किया गया था, और महात्मा गांधी ने स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह संस्थान स्थापित किया. यहां लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नेपाल के प्रधानमंत्री रहे एमपी कोइराला जैसे प्रमुख नेता शिक्षा प्राप्त कर चुके थे.
विश्वविद्यालय का बंद होना और वर्तमान स्थिति : 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने बिहार विद्यापीठ को बंद कर दिया था. 1942 के आंदोलन के समय भी राजेंद्र प्रसाद की गिरफ्तारी के कारण विश्वविद्यालय बंद कर दिया गया. इसके बाद विश्वविद्यालय फिर से शुरू हुआ, लेकिन स्वतंत्रता के बाद यह विश्वविद्यालय अपनी पहचान और स्थिति में नहीं आ सका. आज भी इसे फिर से गांधीजी के सपनों के मुताबिक अस्तित्व में लाने की कोशिश की जा रही है.
![MAHATMA GANDHI](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/23431303_aoa.jpg)
''बिहार विद्यापीठ की स्थापना महात्मा गांधी के प्रयासों से हुई थी. स्वदेशी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बिहार विद्यापीठ विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण और नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके एमपी कोइराला ने भी यहां शिक्षा ली थी. 1942 के आंदोलन के समय विश्वविद्यालय बंद हुआ तो आज तक अस्तित्व में नहीं आया. हम यह कोशिश कर रहे हैं कि गांधी के सपनों का विश्वविद्यालय फिर से अस्तित्व में आए .''- विजय प्रकाश, बिहार विद्यापीठ के अध्यक्ष व पूर्व आईएएस
![बिहार विद्यापीठ और गांधीजी का योगदान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/bh-pat-vis-02-ranjeet-ghandhi-spl-9021852_29012025172648_2901f_1738151808_242.jpg)
महात्मा गांधी का दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा : 1947 में जब बिहार में दंगे हो रहे थे, गांधीजी पटना पहुंचे और 29 दिनों तक सैयद मसूद के घर में रहे. उन्होंने दंगा प्रभावित गांवों का दौरा किया और वहां प्रार्थना सभा आयोजित की. गांधीजी का यह समय बहुत ही दुखद था, लेकिन उन्होंने पूरे संघर्ष के दौरान अहिंसा की मिसाल पेश की. आज वह भवन जहां गांधीजी ठहरे थे, जर्जर अवस्था में है, और यह अनुग्रह नारायण सिंह संस्थान परिसर में स्थित है.
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/bh-pat-vis-02-ranjeet-ghandhi-spl-9021852_29012025172648_2901f_1738151808_1059.jpg)
महात्मा गांधी की प्रेरणा से बिहार विद्यापीठ की स्थापना की गई थी, और इसे स्वदेशी शिक्षा के प्रसार का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता था. हालांकि, स्वतंत्रता के बाद इस विश्वविद्यालय का अस्तित्व समाप्त हो गया, लेकिन गांधीजी के सपनों को फिर से जीवित करने के लिए आज भी प्रयास किए जा रहे हैं.
![ETV Bharat](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/30-01-2025/bh-pat-vis-02-ranjeet-ghandhi-spl-9021852_29012025172648_2901f_1738151808_784.jpg)
''महात्मा गांधी 1947 में 29 दिनों तक पटना में रहे. जब बिहार में भीषण दंगे हो रहे थे तब महात्मा गांधी पटना पहुंचे थे और यहीं से दंगा पीड़ित गांव का दौरा करते थे गांधी मैदान में महात्मा गांधी प्रार्थना सभा करते थे. जिस भवन में वह रहते थे आज वह जर्जर हालत में है. जरूरत इस बात की है कि उस भवन का रखरखाव ठीक तरीके से हो.''- आसिफ, जॉइंट सेक्रेटरी, गांधी संग्रहालय.
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