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पूर्णिया में 14 अगस्त की रात को ही फहराया जाता है तिरंगा, जानिए कैसे शुरु हुई ये परंपरा

झंडा चौक हर साल 14 अगस्त की रात 11 बजे से ही लोग जुटने लगते हैं और सब मिलजुलकर ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर तिरंगा फहराते हैं. इस झंडोत्तोलन की कहानी में आजादी की घोषणा के गौरवशाली इतिहास को लोग हर साल वर्तमान के साथ महसूस करते हैं.

14 अगस्त की रात को फहराया जाता है झंडा
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Published : Aug 14, 2019, 9:13 AM IST

पूर्णिया: स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जब देश के लोग 15 अगस्त की सुबह का इंतजार करते हैं. तब देश में दो ऐसी जगह है, जहां 14 अगस्त को ही झंडा फहराया जाता है. पहला बाघा बॉर्डर और दूसरा बिहार का पूर्णिया. यहां के लोगों ने 14 अगस्त की रात ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर रात के अंधेरे में आन, बान और शान से तिंरगा फहराया. ये परंपरा पिछले 72 सालों से आज भी जारी है.

स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर कुमार सिंह ने फहराया था झंडा
इस बाबत समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक आजादी की उस रात की स्वर्णिम इतिहासों को याद करते हुए बताते हैं कि 14 अगस्त 1947 की रात जैसे ही लार्ड माउंट बेटन द्वारा भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाए जाने की उद्घोषणा स्वतंत्रता के परवानों तक पहुंची. वैसे ही असहयोग, दांडी और जेल भरो जैसे आंदोलनों में जिले से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और कई अन्य आजादी के परवाने इतने उत्साहित हो गए कि बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित चौक पर ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडा फहरा दिया और तभी से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा.

स्वतंत्रता सेनानी के पोते
स्वतंत्रता सेनानी के पोते

रामाश्रय प्रसाद सिंह के पोते फहराते हैं तिरंगा
आजादी के उस दौर को याद करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर तब पंच लाइट की रौशनी में गूंजते राष्ट्रगान की आवाज समूचे पूर्णिया ने सुनी थी. वे बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 के बाद कई सालों तक स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने ही तिरंगा फहराया. हालांकि इसके बाद पूर्णिया के पहले मुखिया सुदेश कुमार सिंह, रंजीत कुमार साह और कई बड़े प्रशासनिक अधिकारी व समाजसेवियों ने भी इस ऐतिहासिक झंडा चौक से झंडोत्तोलन कर खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाया. वहीं, बीते कुछ सालों से रामेश्वर प्रसाद सिंह के बेटे विपुल कुमार सिंह इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोत्तोलन करते आ रहे हैं.

14 अगस्त की रात को फहराया जाता है झंडा

रात 11 बजे से जुटने लगते हैं लोग
झंडा चौक हर साल 14 अगस्त की रात 11 बजे से ही लोग जुटने लगते हैं और सब मिलजुलकर ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर तिरंगा फहराते हैं. इस झंडोत्तोलन की कहानी में आजादी की घोषणा के गौरवशाली इतिहास को लोग हर साल वर्तमान के साथ महसूस करते हैं.

झंडोत्तोलन को लेकर लोगों में खासा उत्साह
वहीं, आज रात ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर आयोजित होने वाले झंडोत्तोलन कार्यक्रम को लेकर विपुल के पारिवारिक सदस्यों के साथ ही पूरा शहर एक बार फिर बड़ी ही बेसब्री से इस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है. इस बार झंडा चौक स्थल पर कई चीजें बदल गई हैं. महापौर के सहयोग से ऐतिहासिक स्थल के चारों ओर लगाए गए स्टील के बेड़े स्थल की सुंदरता में चार-चांद लगा रहे हैं.

तेज हो रही राजकीय सम्मान की मांग
इस ऐतिहासिक स्थल को राजकीय सम्मान दिए जाने के स्वर भी तेज होने लगे हैं. लिहाजा जिले के लोगों को अब बड़ी ही बेसब्री से झंडा चौक को सरकार की ओर से राजकीय सम्मान दिए जाने का इंतजार है.

पूर्णिया: स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जब देश के लोग 15 अगस्त की सुबह का इंतजार करते हैं. तब देश में दो ऐसी जगह है, जहां 14 अगस्त को ही झंडा फहराया जाता है. पहला बाघा बॉर्डर और दूसरा बिहार का पूर्णिया. यहां के लोगों ने 14 अगस्त की रात ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर रात के अंधेरे में आन, बान और शान से तिंरगा फहराया. ये परंपरा पिछले 72 सालों से आज भी जारी है.

स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर कुमार सिंह ने फहराया था झंडा
इस बाबत समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक आजादी की उस रात की स्वर्णिम इतिहासों को याद करते हुए बताते हैं कि 14 अगस्त 1947 की रात जैसे ही लार्ड माउंट बेटन द्वारा भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाए जाने की उद्घोषणा स्वतंत्रता के परवानों तक पहुंची. वैसे ही असहयोग, दांडी और जेल भरो जैसे आंदोलनों में जिले से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और कई अन्य आजादी के परवाने इतने उत्साहित हो गए कि बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित चौक पर ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर झंडा फहरा दिया और तभी से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा.

स्वतंत्रता सेनानी के पोते
स्वतंत्रता सेनानी के पोते

रामाश्रय प्रसाद सिंह के पोते फहराते हैं तिरंगा
आजादी के उस दौर को याद करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर तब पंच लाइट की रौशनी में गूंजते राष्ट्रगान की आवाज समूचे पूर्णिया ने सुनी थी. वे बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 के बाद कई सालों तक स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने ही तिरंगा फहराया. हालांकि इसके बाद पूर्णिया के पहले मुखिया सुदेश कुमार सिंह, रंजीत कुमार साह और कई बड़े प्रशासनिक अधिकारी व समाजसेवियों ने भी इस ऐतिहासिक झंडा चौक से झंडोत्तोलन कर खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाया. वहीं, बीते कुछ सालों से रामेश्वर प्रसाद सिंह के बेटे विपुल कुमार सिंह इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोत्तोलन करते आ रहे हैं.

14 अगस्त की रात को फहराया जाता है झंडा

रात 11 बजे से जुटने लगते हैं लोग
झंडा चौक हर साल 14 अगस्त की रात 11 बजे से ही लोग जुटने लगते हैं और सब मिलजुलकर ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर तिरंगा फहराते हैं. इस झंडोत्तोलन की कहानी में आजादी की घोषणा के गौरवशाली इतिहास को लोग हर साल वर्तमान के साथ महसूस करते हैं.

झंडोत्तोलन को लेकर लोगों में खासा उत्साह
वहीं, आज रात ठीक 12 बजकर 1 मिनट पर आयोजित होने वाले झंडोत्तोलन कार्यक्रम को लेकर विपुल के पारिवारिक सदस्यों के साथ ही पूरा शहर एक बार फिर बड़ी ही बेसब्री से इस ऐतिहासिक क्षण का इंतजार कर रहा है. इस बार झंडा चौक स्थल पर कई चीजें बदल गई हैं. महापौर के सहयोग से ऐतिहासिक स्थल के चारों ओर लगाए गए स्टील के बेड़े स्थल की सुंदरता में चार-चांद लगा रहे हैं.

तेज हो रही राजकीय सम्मान की मांग
इस ऐतिहासिक स्थल को राजकीय सम्मान दिए जाने के स्वर भी तेज होने लगे हैं. लिहाजा जिले के लोगों को अब बड़ी ही बेसब्री से झंडा चौक को सरकार की ओर से राजकीय सम्मान दिए जाने का इंतजार है.

Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया)
special report ।

स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए जब देश के लोग 15 अगस्त की सुबह का इंतेजार करते हैं। वहीं देश में एक जगह ऐसी है जहां 14 अगस्त की रात ठीक 12:01 मिनट पर ही तिरंगा झंडा फहराया जाता है। चौकने की जरूरत नहीं दरअसल सन 1947 की आजादी की रात से ही चली आ रही यह परंपरा कहीं और नहीं बल्कि बिहार के पूर्णिया जिले में स्थित ऐतिहासिक झंडा चौक से जुड़ी है। पेश है पूर्णिया से ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट-


Body:लिहाजा ईटीवी भारत आज सबसे पहले इस ऐतिहासिक स्थल की तस्वीर आपके बीच लाया है। इसके साथ ही झंडोत्तोलन व खुद स्वतंत्रता सेनानी के वंसज बताएंगे दरअसल क्या है इसके पीछे की दिलचस्प कहानी। इस दफे क्या है इस ऐतिहासिक स्थल की मांग।


14 अगस्त की रात ही होता है झंडोतोलन...

दरअसल 14 अगस्त की रात जब देश के सारे लोग सोए होते हैं। पूर्णिया आजादी की रात से चली आ रही 72 साल पुराने ऐतिहासिक झंडोत्तोलन की परंपरा को निभाने में मशगूल होता है। लालकिले से लेकर पटना का गांधी मैदान स्थित कार्यक्रम स्थल आज रात जब अंधेरों में डूबा होगा। तो वहीं जिले के 40 लाख की आबादी खुद को इस स्वर्णिम पल का साक्षी बनाने को ले बड़ी ही बेसब्री से इस पल का इंतेजार कर रहे होंगे। दरअसल देश में बाघा बॉर्डर के बाद पूर्णिया ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां 14 अगस्त की रात ठीक 12:01 मिनट पर ही झंडोत्तोलन किया जाता है ।

जानें 14 अगस्त 1942 के उस रात की दिलचस्प कहानी...

समाजसेवी दिलीप कुमार दीपक आजादी की उस रात की स्वर्णिम इतिहासों को याद करते हुए बताते हैं कि दरअसल 14 अगस्त 1947 की रात जैसे ही लार्ड माउंट बेटेन द्वारा भारत को स्वतंत्र गणराज्य बनाए जाने की उद्घोषणा की खबर रेडियो से निकल कर स्वतंत्रता के परवानों तक पहुंची। असहयोग ,दांडी व जेल भरो जैसे आंदोलनों में जिले से सक्रिय भूमिका निभाने वाले कांग्रेस नेता रामेश्वर प्रसाद सिंह और कई अन्य आजादी के परवाने इतने उत्साहित हो गए। कि बगैर किसी देरी के भट्टा बाजार स्थित चौक पर ठीक 12:01 मिनट पर रामेश्वर प्रसाद सिंह ने झंडा फहरा दिया। तब से इस चौक को झंडा चौक के नाम से पुकारा जाने लगा।


पंच लाइट की रौशनी और गूंजते राष्ट्रगान के बीच जब लहराया था तिरंगा..


आजादी के उस दौर को याद करते हुए स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह के बेटे विपुल कुमार सिंह बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर तब पंच लाइट की रौशनी में गूंजते राष्ट्रगान की आवाज समूचे पूर्णिया ने सुनी थी। वे बताते हैं कि इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर सन 1947 के बाद कई सालों तक स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर प्रसाद सिंह ने ही तिरंगा फहराया।
हालांकि इसके बाद पूर्णिया के पहले मुखिया सुदेश कुमार सिंह , रंजित कुमार साह , कई बड़े प्रशासनिक अधिकारी व समाजसेवियों ने भी इस ऐतिहासिक झंडा चौक से झंडोत्तोलन कर खुद को स्वर्णिम पल का साक्षी बनाया। वहीं बीते कुछ सालों से रामेश्वर प्रसाद सिंह के बेटे विपुल कुमार सिंह इस ऐतिहासिक झंडा चौक पर झंडोतोलन करते आ रहे हैं ।


झंडोतोलन को ले लोगों में खासा उत्साह...


वहीं आज रात ठीक 12:01 मिनट पर आयोजित होने वाले झंडोत्तोलन कार्यक्रम को लेकर विपुल के पारिवारिक सदस्यों के साथ ही पूरा शहर एक बार फिर बड़ी ही बेसब्री से इस ऐतिहासिक क्षण का इंतेजार कर रहा है। वहीं इस दफे झंडा चौक स्थल पर कई चीजें बदल गई हैं। महापौर के सहयोग से ऐतिहासिक स्थल के चारों ओर लगाए गए स्टील के कवज जहां स्थल की सुंदरता में चार-चांद लगा रहे हैं।



तेज हो रही राजकीय सम्मान की मांग....


वहीं जिले से इस स्थल को राजकीय सम्मान दिए जाने के स्वर भी तेज होने लगे हैं। लिहाजा लोगों को अब बड़ी ही बेसब्री से झंडा चौक को सरकार की ओर से राजकीय सम्मान दिए जाने का इंतेजार है।




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