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लाल किले पर नहीं... यहां फहराया जाता है स्वतंत्रता दिवस पर पहला झंडा, 74 सालों से चली आ रही है परंपरा - Independence day 2021

बिहार के पूर्णिया में सबसे पहले आजादी का झंडा फहराया जाता है. इसके बाद ही लाल किला सहित अन्य स्थलों पर तिरंगा झंडा फहराया जाता है. जी हां! पूर्णिया के तिरंगा चौक पर सबसे पहले झंडा फहराने की यह परंपरा पिछले 74 सालों से चली आ रही है.

आजादी का पहला झंडा
आजादी का पहला झंडा
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Published : Aug 14, 2021, 2:25 PM IST

Updated : Aug 14, 2021, 8:03 PM IST

पूर्णियाः जब हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त (Independent India) हुआ, देशवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं था. आजादी के दीवानों (Freedom Fighters) का हौसला सिर चढ़कर बोल रहा था. बस क्या था, आजादी के नशे में चूर बिहार के पूर्णिया जिले के क्रांतिकारी सेनानियों ने 14 अगस्त 1947 की रात में ही तिरंगा फहराकर एक नई परंपरा की शुरुआत कर दी, जो अब तक चली आ रही है.

इसे भी पढ़ें- आजादी की 75वीं वर्षगांठ से पहले तिरंगे की रोशनी में नहा उठी राजधानी

दावा है कि देश में संभवतया सबसे पहला तिरंगा हर साल यहीं लहराया जाता है. पिछले 74 सालों से यह परंपरा चली आ रही है.

जी हां! आजादी के दीवानों ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को ही यहां फहराया था तिरंगा झंडा. इसके बाद तो यह परंपरा ही बन गई और इसके बाद हर साल यहां इसी तरह शान से फहराया जाता है 'आजादी' का पहला झंडा. आइए एक बार फिर रूबरू होते हैं उस ऐतिहासिक घटना से...

दिन था 14 अगस्त 1947 का. सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे. दिनभर झंडा चौक पर लोगों की भीड़ मिश्रा रेडियो की दुकान पर लगी रही. मगर जब आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आयी, तो लोग घर लौट आए. मगर मिश्रा रेडियो की दुकान खुली रही.

रात के 11:00 बजे थे कि झंडा चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे. फिर आजादी के चर्चे शुरू हो गए. इस बीच मिश्रा रेडियो की दुकान पर सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया. रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पड़े. साथ ही निर्णय लिया कि इसी जगह आजादी का झंडा फहराया जाएगा.

इसे भी पढ़ें- मोतिहारी: स्वतंत्रता दिवस को लेकर अलर्ट पर बापूधाम मोतिहारी रेलवे स्टेशन, बढ़ाई गई सुरक्षा

आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया. 14 अगस्त, 1947 की रात 12 बजे रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया. उसी रात चौराहे का नाम झंडा चौक रखा गया. झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ लिया कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा और ऐसा हुआ भी.

14 अगस्त की रात झंडोत्तोलन के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होने लगा. धीरे-धीरे यह परंपरा बनती चली गयी. झंडोत्तोलन की कमान लोगों ने रामेश्वर प्रसाद सिंह के परिवार के कंधे पर दे दी. साथ ही अन्य लोगों का परिवार परंपरा के मुताबिक आज भी झंडोत्तोलन में सहयोग करने लगे हैं.

झंडोत्तोलन की परंपरा के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार सिंह ने झंडात्तोलन की कमान संभाली और उनके साथ रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास, स्नेही परिवार, शमशुल हक के परिवार के सदस्यों ने मदद करनी शुरू की.

इस बार रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह झंडा चौक पर 14 अगस्त को रात 12 बजे झंडा फहराएंगे. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से तो मदद नहीं मिलती मगर स्थानीय लोगों द्वारा झंडोत्तोलन की पूरी तैयारी की जाती है.

पिछले 74 सालों से लोहे के फ्लैग पोस्ट पर ही तिरंगा झंडा फहराया जाता था. मगर लोहे का पोस्ट खराब हो चुका था. तीन दिन पहले ही इसे बदला गया है. राजीव मराठा ने बताया कि इस बार झंडोत्तोलन के लिए नया फ्लैग पोस्ट लगवाया गया है.

जानकारी हो कि पूर्णिया शहर के कई गणमान्य लोग 14 अगस्त रात 12 बजे झंडा चौक पर झंडोत्तोलन के वक्त मौजूद रहते हैं. अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि यह परंपरा 74 सालों से चली आ रही है. इस बार भी धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि देश का पहला झंडा पूर्णिया में फहराया जाता है. इसके बाद 15 अगस्त की सुबह दिल्ली सहित पूरे भारत में झंडा फहराया जाता है.

पूर्णियाः जब हमारा देश अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त (Independent India) हुआ, देशवासियों की खुशी का ठिकाना नहीं था. आजादी के दीवानों (Freedom Fighters) का हौसला सिर चढ़कर बोल रहा था. बस क्या था, आजादी के नशे में चूर बिहार के पूर्णिया जिले के क्रांतिकारी सेनानियों ने 14 अगस्त 1947 की रात में ही तिरंगा फहराकर एक नई परंपरा की शुरुआत कर दी, जो अब तक चली आ रही है.

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दावा है कि देश में संभवतया सबसे पहला तिरंगा हर साल यहीं लहराया जाता है. पिछले 74 सालों से यह परंपरा चली आ रही है.

जी हां! आजादी के दीवानों ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को ही यहां फहराया था तिरंगा झंडा. इसके बाद तो यह परंपरा ही बन गई और इसके बाद हर साल यहां इसी तरह शान से फहराया जाता है 'आजादी' का पहला झंडा. आइए एक बार फिर रूबरू होते हैं उस ऐतिहासिक घटना से...

दिन था 14 अगस्त 1947 का. सुबह से ही पूर्णिया के लोग आजादी की खबर सुनने के लिए बेचैन थे. दिनभर झंडा चौक पर लोगों की भीड़ मिश्रा रेडियो की दुकान पर लगी रही. मगर जब आजादी की खबर रेडियो पर नहीं आयी, तो लोग घर लौट आए. मगर मिश्रा रेडियो की दुकान खुली रही.

रात के 11:00 बजे थे कि झंडा चौक स्थित मिश्रा रेडियो की दुकान पर रामेश्वर प्रसाद सिंह, रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास सहित उनके सहयोगी दुकान पर पहुंचे. फिर आजादी के चर्चे शुरू हो गए. इस बीच मिश्रा रेडियो की दुकान पर सभी के आग्रह पर रेडियो खोला गया. रेडियो खुलते ही माउंटबेटन की आवाज सुनाई दी. आवाज सुनते ही लोग खुशी से उछल पड़े. साथ ही निर्णय लिया कि इसी जगह आजादी का झंडा फहराया जाएगा.

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आनन-फानन में बांस, रस्सी और तिरंगा झंडा मंगवाया गया. 14 अगस्त, 1947 की रात 12 बजे रामेश्वर प्रसाद सिंह ने तिरंगा फहराया. उसी रात चौराहे का नाम झंडा चौक रखा गया. झंडोत्तोलन के दौरान मौजूद लोगों ने शपथ लिया कि इस चौराहे पर हर साल 14 अगस्त की रात सबसे पहला झंडा फहराया जाएगा और ऐसा हुआ भी.

14 अगस्त की रात झंडोत्तोलन के लिए लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी. सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होने लगा. धीरे-धीरे यह परंपरा बनती चली गयी. झंडोत्तोलन की कमान लोगों ने रामेश्वर प्रसाद सिंह के परिवार के कंधे पर दे दी. साथ ही अन्य लोगों का परिवार परंपरा के मुताबिक आज भी झंडोत्तोलन में सहयोग करने लगे हैं.

झंडोत्तोलन की परंपरा के मुताबिक रामेश्वर प्रसाद सिंह के निधन के बाद उनके पुत्र सुरेश कुमार सिंह ने झंडात्तोलन की कमान संभाली और उनके साथ रामजतन साह, कमल देव नारायण सिन्हा, गणेश चंद्र दास, स्नेही परिवार, शमशुल हक के परिवार के सदस्यों ने मदद करनी शुरू की.

इस बार रामेश्वर प्रसाद सिंह के पोते विपुल कुमार सिंह झंडा चौक पर 14 अगस्त को रात 12 बजे झंडा फहराएंगे. उन्होंने बताया कि प्रशासन की ओर से तो मदद नहीं मिलती मगर स्थानीय लोगों द्वारा झंडोत्तोलन की पूरी तैयारी की जाती है.

पिछले 74 सालों से लोहे के फ्लैग पोस्ट पर ही तिरंगा झंडा फहराया जाता था. मगर लोहे का पोस्ट खराब हो चुका था. तीन दिन पहले ही इसे बदला गया है. राजीव मराठा ने बताया कि इस बार झंडोत्तोलन के लिए नया फ्लैग पोस्ट लगवाया गया है.

जानकारी हो कि पूर्णिया शहर के कई गणमान्य लोग 14 अगस्त रात 12 बजे झंडा चौक पर झंडोत्तोलन के वक्त मौजूद रहते हैं. अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने बताया कि यह परंपरा 74 सालों से चली आ रही है. इस बार भी धूमधाम से स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि देश का पहला झंडा पूर्णिया में फहराया जाता है. इसके बाद 15 अगस्त की सुबह दिल्ली सहित पूरे भारत में झंडा फहराया जाता है.

Last Updated : Aug 14, 2021, 8:03 PM IST
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