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पूर्णिया: मुश्किल में अन्नदाता, कौड़ियों के भाव बिक रहीं सब्जियां

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Published : Dec 18, 2020, 2:06 PM IST

Updated : Dec 18, 2020, 2:30 PM IST

पूर्णिया में औने-पौने भाव पर किसान गोभी और मूली बेचने को मजबूर हैं. बता दें कि जिले में गोभी की कीमत 5-8 रुपये प्रति किलोग्राम है. तो वहीं मूली महज 1 रुपये किलो कौड़ियों के भाव में बेची जा रहे है. यही वजह है कि किसान मूली बेचने के बजाए फेंकने पर मजबूर हैं.

किसान
किसान

पूर्णियाः एक तरफ जहां देशभर के किसान कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कृषि प्रधान बिहार के किसान कड़ाके की ठंड के बीच खेतों में पसीने बहा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि दिन भर के कड़ी मेहनत के बाद भी हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसान मुनाफे के बजाए कौड़ियों के भाव में फूलगोभी व मूली बेचने को मजबूर हैं.

हरी सब्जियों की गिरती कीमतों से अन्नदाता परेशान
कृषि कानून के पुरजोर विरोध के बीच ईटीवी भारत की टीम हरी सब्जियों के खेतों में हरदा इलाके के किसानों के बीच पहुंची. जहां देशभर के किसानों के विरोध प्रदर्शनों के शोर से इतर जिले के किसान हरी सब्जियों के लगातार घटते दाम को लेकर चिंता में डूबे दिखाई दिए.

सब्जियों का खेत
सब्जियों का खेत

कौड़ियों के भाव में बिक रहा गोभी और मूली
दरसअल पूर्णिया पूर्व प्रखंड अंतर्गत आने वाला हरदा इलाका हरी सब्जियों के उत्पादन में एक विशिष्ट स्थान रखता है. जहां ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत करते हुए किसानों ने बताया कि हरी सब्जियों का बाजार इतना खराब है कि किसान फूलगोभी और मूली को कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर हैं. जिससे लागत निकालने की सोचना भी बेमानी है.

तो इस कारण टूटी किसानों की कमर
गोभी और मूली की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इस बार हुई भारी बारिश में बीज बह गए. दुबारा जब वे बीज की खरीदारी के लिए बाजारों में पंहुचे तो उनसे दुकानदारों ने मनमाना कीमत वसूल किया. दुकानदारों ने इसका मेमो तक नहीं दिया. जिसके बाद गोभी और मूली में पूर्व में ही काफी लागत लगानी पड़ी. दुकानदारों ने जो सीड दिए इसकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं निकली. जिसका असर गोभी के साइज और स्वाद पर पड़ा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
बिचौलियों ने बेरंग किया हरी सब्जियों का मार्केट किसान बताते हैं कि गोभी और मूली जब तक तैयार हुई बाजारों में इसका दाम बेहद घट गया. पिछले साल जिस गोभी को किसानों ने दिसंबर-दिसंबर मिड में मंडियों में 30 रुपये किलो के भाव से बेचा था, आज मंडियों में उसकी कीमत इस वक्त 5 रुपये के आस-पास है. ऊपर से हरी सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने का खर्च अलग.
खेतों में लगा गोभी
खेतों में लगा गोभी

मुश्किल में हैं अन्नदाता
गोभी और मूली की खेती करने वाले किसान इसकी दो वजहें गिनाते हैं. किसानों की मानें तो जब तक उनके खेतों से गोभी और मूली तैयार हुई. बाजारों व मंडियों में बाहर की गोभी और मूली आ चुकी थी. लिहाजा हरी सब्जियों के बाजार के खरीद का कोई बेहतर विकल्प न होने के कारण बाजारों में बिचौलियों ने मनमाना कीमतों पर गोभी और मूली खरीदा. हरी सब्जियों के सड़न के खतरे के बीच किसानों के पास इसका कोई विकल्प नहीं दिखा. कुछ यही वजह रही किसान कड़ियों के भाव में गोभी व मूली बेचने को मजबूर हैं.

पूर्णियाः एक तरफ जहां देशभर के किसान कृषि कानूनों को लेकर प्रदर्शन करते देखे जा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कृषि प्रधान बिहार के किसान कड़ाके की ठंड के बीच खेतों में पसीने बहा रहे हैं. हैरत की बात यह है कि दिन भर के कड़ी मेहनत के बाद भी हरी सब्जियों की खेती करने वाले किसान मुनाफे के बजाए कौड़ियों के भाव में फूलगोभी व मूली बेचने को मजबूर हैं.

हरी सब्जियों की गिरती कीमतों से अन्नदाता परेशान
कृषि कानून के पुरजोर विरोध के बीच ईटीवी भारत की टीम हरी सब्जियों के खेतों में हरदा इलाके के किसानों के बीच पहुंची. जहां देशभर के किसानों के विरोध प्रदर्शनों के शोर से इतर जिले के किसान हरी सब्जियों के लगातार घटते दाम को लेकर चिंता में डूबे दिखाई दिए.

सब्जियों का खेत
सब्जियों का खेत

कौड़ियों के भाव में बिक रहा गोभी और मूली
दरसअल पूर्णिया पूर्व प्रखंड अंतर्गत आने वाला हरदा इलाका हरी सब्जियों के उत्पादन में एक विशिष्ट स्थान रखता है. जहां ईटीवी भारत के संवाददाता से बातचीत करते हुए किसानों ने बताया कि हरी सब्जियों का बाजार इतना खराब है कि किसान फूलगोभी और मूली को कौड़ियों के भाव बेचने को मजबूर हैं. जिससे लागत निकालने की सोचना भी बेमानी है.

तो इस कारण टूटी किसानों की कमर
गोभी और मूली की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि इस बार हुई भारी बारिश में बीज बह गए. दुबारा जब वे बीज की खरीदारी के लिए बाजारों में पंहुचे तो उनसे दुकानदारों ने मनमाना कीमत वसूल किया. दुकानदारों ने इसका मेमो तक नहीं दिया. जिसके बाद गोभी और मूली में पूर्व में ही काफी लागत लगानी पड़ी. दुकानदारों ने जो सीड दिए इसकी गुणवत्ता भी अच्छी नहीं निकली. जिसका असर गोभी के साइज और स्वाद पर पड़ा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
बिचौलियों ने बेरंग किया हरी सब्जियों का मार्केट किसान बताते हैं कि गोभी और मूली जब तक तैयार हुई बाजारों में इसका दाम बेहद घट गया. पिछले साल जिस गोभी को किसानों ने दिसंबर-दिसंबर मिड में मंडियों में 30 रुपये किलो के भाव से बेचा था, आज मंडियों में उसकी कीमत इस वक्त 5 रुपये के आस-पास है. ऊपर से हरी सब्जियों को मंडियों तक पहुंचाने का खर्च अलग.
खेतों में लगा गोभी
खेतों में लगा गोभी

मुश्किल में हैं अन्नदाता
गोभी और मूली की खेती करने वाले किसान इसकी दो वजहें गिनाते हैं. किसानों की मानें तो जब तक उनके खेतों से गोभी और मूली तैयार हुई. बाजारों व मंडियों में बाहर की गोभी और मूली आ चुकी थी. लिहाजा हरी सब्जियों के बाजार के खरीद का कोई बेहतर विकल्प न होने के कारण बाजारों में बिचौलियों ने मनमाना कीमतों पर गोभी और मूली खरीदा. हरी सब्जियों के सड़न के खतरे के बीच किसानों के पास इसका कोई विकल्प नहीं दिखा. कुछ यही वजह रही किसान कड़ियों के भाव में गोभी व मूली बेचने को मजबूर हैं.

Last Updated : Dec 18, 2020, 2:30 PM IST
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