ETV Bharat / state

स्ट्रॉबेरी ने बदली पूर्णिया के किसान की तकदीर, दूसरों को भी कर रहे खेती के लिए प्रेरित

पूर्णिया के जलालगढ़ प्रखंड के हांसी बेगमपुर के रहने वाले किसान जितेंद्र कुशवाहा इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. लीक से हटकर स्ट्रॉबेरी की खेती कर इन्हें मामूली लागत में लाखों का मुनाफा हो रहा है. मंडी में इनकी स्ट्रॉबेरी की काफी डिमांड है.

author img

By

Published : Mar 29, 2021, 5:55 PM IST

Updated : Mar 29, 2021, 7:15 PM IST

strawberry farming in purnea
strawberry farming in purnea

पूर्णिया: जिले में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. खेती के मामले में नए प्रयोगों के लिए पहचाने जाने वाले जलालगढ़ प्रखंड के हांसी बेगमपुर के रहने वाले किसान जितेंद्र कुशवाहा इस बार स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इनके खेतों में स्ट्रॉबरी की इतनी अच्छी उपज देख दूसरे किसान हैरान हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती से इन्हें लाखों का मुनाफा हो रहा है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- भागलपुरी सिल्क: 600 करोड़ का कारोबार 150 करोड़ में सिमटा, इस वजह से बड़े ऑर्डर लेने से कतरा रहे हैं बुनकर

जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती
प्रगतिशील किसान जितेंद्र मामूली लागत में लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि जितेंद्र जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. जिसकी चर्चा समूचे जिले में है. हालांकि जिले का जलवायु स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है. बावजूद इसके किसान जितेंद्र कुशवाहा ने कड़ी मेहनत कर इसकी फसल तैयार की है.

strawberry farming in purnea
कम लागत में बेशुमार मुनाफा दे रही रसीली स्ट्रॉबेरी

प्रयोग के तौर पर कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती
खेती में नए प्रयोगों के लिए मशहूर जितेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि अभी तक यही माना जाता रहा कि स्ट्रॉबेरी पहाड़ी इलाके का फल है. लेकिन उनके इस छोटे से प्रयास के बाद यह फल अब पहाड़ से उतरकर मैदानी इलाके में अपनी खुशबू बिखेरने के लिए तैयार है.

strawberry farming in purnea
जितेंद्र स्ट्रॉबेरी को 300 रुपये प्रति किलो बेच रहे

इसकी खेती के लिए 5 रुपए प्रति पौधे की दर से 10 हजार पौधे हिमाचल प्रदेश से मंगाए थे. जिसे हांसी बेमगपुर स्थित अपने एक एकड़ खेत में लगवाया. मल्चिंग विधि से की जा रही इस खेती पर करीब 60 हजार का खर्च आया है. वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती में भी घर में तैयार वर्मी कंपोस्ट का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.'- जितेंद्र कुशवाहा, प्रगतिशील किसान

strawberry farming in purnea
जितेंद्र कुशवाहा, प्रगतिशील किसान

कम लागत में बेशुमार मुनाफा दे रही रसीली स्ट्रॉबेरी
मक्के व दूसरी सब्जियों की खेती से इतना मुनाफा नहीं होता जितना स्ट्रॉबरी से हो रहा है. जितेंद्र ने बताया कि पहले उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा था. जिसके बाद उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने की ठानी और सितंबर से अक्टूबर महीने में पौधे लगाए. वहीं दिसंबर से इसमें फल आने शुरू हो गए थे.

strawberry farming in purnea
मैदानी इलाके में स्ट्रॉबेरी अपनी खुशबू बिखेरने के लिए तैयार

1 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती से 4 लाख का मुनाफा हो सकता है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो खर्च काटकर कम से कम 3 लाख रुपए का मुनाफा तय है.'- जितेंद्र कुशवाहा, स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान

strawberry farming in purnea
पूर्णिया में जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती
प्रति एकड़ 2 लाख का मुनाफा पक्काजितेंद्र बताते हैं कि बेहतर पैदावार के लिए रोजाना हल्की सिंचाई व खाद की जरूरत होती है. प्रति एकड़ करीब 90-100 क्विंटल उत्पादन होता है. जैविक विधि से खेती करने पर स्ट्रॉबेरी अधिक दिनों तक सुरक्षित रहता है. साथ ही पौधे भी अधिक दिनों तक बेहतर रहते हैं. यह 4 माह तक फल देने वाली फसल है. लिहाजा अप्रैल तक उन्हें उत्पादन का मुनाफा आएगा. दिसंबर से अब तक वे 2 लाख का पक्का मुनाफा कमा चुके हैं.
strawberry farming in purnea
जितेंद्र कुशवाहा इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे

'परंपारगत खेती छोड़कर ये कुछ न कुछ अलग करते हैं. इनसे संपर्क करने पर पता चला कि स्ट्राबेरी की खेती से कितना फायदा हो रहा है. किसान के लिए यह बहुत अच्छा है. अब हम भी इसकी खेती करने की सोच रहे हैं.'- मनीष यादव, ग्रामीण

दूसरे राज्यों में है डिमांड
लाल रसीली स्ट्रॉबेरी को देखकर हर किसी के मुंह में पानी आना स्वाभाविक है. इसके चलते बाजारों से आने वाली डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. स्थानीय बाजारों में भी इसकी काफी डिमांड है. जितेंद्र इसे 300 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं. वहीं बाजारों में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो के आसपास है. वहीं जितेंद्र अपने खेतों की स्ट्रॉबेरी की पैकेजिंग कर पटना, कोलकाता, रांची, उत्तर प्रदेश समेत छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं. इसका उन्हें और अधिक मुनाफा मिल रहा है.

strawberry farming in purnea
ईटीवी भारत gfx

ऐसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्राबेरी की फसल खुले में ही उगाते हैं. जितेंद्र के मुताबिक सितंबर से अक्टूबर महीने में पौधे लगाए. वहीं दिसंबर से इसमें फल आने शुरू हो गए थे. मार्च तक फल आते रहते हैं. स्ट्रॉबेरी की फसल से पहले खेत तैयार किया जाता है. इसके लिए खेत की अच्छी तरह जुताई करते हैं. खेत में अनेक मेढ़ बनाई जाती हैं. इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं. एक एकड़ में 22 से 25 हजार पौधे लगाए जाते हैं.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन: स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को हुआ नुकसान

यह भी पढ़ें- आधुनिक तकनीकी से यहां के दो किसान कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती, खेतों को बनाया प्रयोगशाला

पूर्णिया: जिले में पहली बार स्ट्रॉबेरी की खेती हो रही है. खेती के मामले में नए प्रयोगों के लिए पहचाने जाने वाले जलालगढ़ प्रखंड के हांसी बेगमपुर के रहने वाले किसान जितेंद्र कुशवाहा इस बार स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. इनके खेतों में स्ट्रॉबरी की इतनी अच्छी उपज देख दूसरे किसान हैरान हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती से इन्हें लाखों का मुनाफा हो रहा है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- भागलपुरी सिल्क: 600 करोड़ का कारोबार 150 करोड़ में सिमटा, इस वजह से बड़े ऑर्डर लेने से कतरा रहे हैं बुनकर

जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती
प्रगतिशील किसान जितेंद्र मामूली लागत में लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. खास बात यह है कि जितेंद्र जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं. जिसकी चर्चा समूचे जिले में है. हालांकि जिले का जलवायु स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है. बावजूद इसके किसान जितेंद्र कुशवाहा ने कड़ी मेहनत कर इसकी फसल तैयार की है.

strawberry farming in purnea
कम लागत में बेशुमार मुनाफा दे रही रसीली स्ट्रॉबेरी

प्रयोग के तौर पर कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती
खेती में नए प्रयोगों के लिए मशहूर जितेंद्र कुशवाहा बताते हैं कि अभी तक यही माना जाता रहा कि स्ट्रॉबेरी पहाड़ी इलाके का फल है. लेकिन उनके इस छोटे से प्रयास के बाद यह फल अब पहाड़ से उतरकर मैदानी इलाके में अपनी खुशबू बिखेरने के लिए तैयार है.

strawberry farming in purnea
जितेंद्र स्ट्रॉबेरी को 300 रुपये प्रति किलो बेच रहे

इसकी खेती के लिए 5 रुपए प्रति पौधे की दर से 10 हजार पौधे हिमाचल प्रदेश से मंगाए थे. जिसे हांसी बेमगपुर स्थित अपने एक एकड़ खेत में लगवाया. मल्चिंग विधि से की जा रही इस खेती पर करीब 60 हजार का खर्च आया है. वहीं स्ट्रॉबेरी की खेती में भी घर में तैयार वर्मी कंपोस्ट का ही इस्तेमाल कर रहे हैं.'- जितेंद्र कुशवाहा, प्रगतिशील किसान

strawberry farming in purnea
जितेंद्र कुशवाहा, प्रगतिशील किसान

कम लागत में बेशुमार मुनाफा दे रही रसीली स्ट्रॉबेरी
मक्के व दूसरी सब्जियों की खेती से इतना मुनाफा नहीं होता जितना स्ट्रॉबरी से हो रहा है. जितेंद्र ने बताया कि पहले उन्हें लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा था. जिसके बाद उन्होंने स्ट्रॉबेरी की खेती करने की ठानी और सितंबर से अक्टूबर महीने में पौधे लगाए. वहीं दिसंबर से इसमें फल आने शुरू हो गए थे.

strawberry farming in purnea
मैदानी इलाके में स्ट्रॉबेरी अपनी खुशबू बिखेरने के लिए तैयार

1 एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती से 4 लाख का मुनाफा हो सकता है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो खर्च काटकर कम से कम 3 लाख रुपए का मुनाफा तय है.'- जितेंद्र कुशवाहा, स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसान

strawberry farming in purnea
पूर्णिया में जैविक विधि से स्ट्रॉबेरी की खेती
प्रति एकड़ 2 लाख का मुनाफा पक्काजितेंद्र बताते हैं कि बेहतर पैदावार के लिए रोजाना हल्की सिंचाई व खाद की जरूरत होती है. प्रति एकड़ करीब 90-100 क्विंटल उत्पादन होता है. जैविक विधि से खेती करने पर स्ट्रॉबेरी अधिक दिनों तक सुरक्षित रहता है. साथ ही पौधे भी अधिक दिनों तक बेहतर रहते हैं. यह 4 माह तक फल देने वाली फसल है. लिहाजा अप्रैल तक उन्हें उत्पादन का मुनाफा आएगा. दिसंबर से अब तक वे 2 लाख का पक्का मुनाफा कमा चुके हैं.
strawberry farming in purnea
जितेंद्र कुशवाहा इन दिनों स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे

'परंपारगत खेती छोड़कर ये कुछ न कुछ अलग करते हैं. इनसे संपर्क करने पर पता चला कि स्ट्राबेरी की खेती से कितना फायदा हो रहा है. किसान के लिए यह बहुत अच्छा है. अब हम भी इसकी खेती करने की सोच रहे हैं.'- मनीष यादव, ग्रामीण

दूसरे राज्यों में है डिमांड
लाल रसीली स्ट्रॉबेरी को देखकर हर किसी के मुंह में पानी आना स्वाभाविक है. इसके चलते बाजारों से आने वाली डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है. स्थानीय बाजारों में भी इसकी काफी डिमांड है. जितेंद्र इसे 300 रुपये प्रति किलो बेच रहे हैं. वहीं बाजारों में इसकी कीमत 400 रुपये प्रति किलो के आसपास है. वहीं जितेंद्र अपने खेतों की स्ट्रॉबेरी की पैकेजिंग कर पटना, कोलकाता, रांची, उत्तर प्रदेश समेत छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में सप्लाई कर रहे हैं. इसका उन्हें और अधिक मुनाफा मिल रहा है.

strawberry farming in purnea
ईटीवी भारत gfx

ऐसे होती है स्ट्रॉबेरी की खेती
स्ट्राबेरी की फसल खुले में ही उगाते हैं. जितेंद्र के मुताबिक सितंबर से अक्टूबर महीने में पौधे लगाए. वहीं दिसंबर से इसमें फल आने शुरू हो गए थे. मार्च तक फल आते रहते हैं. स्ट्रॉबेरी की फसल से पहले खेत तैयार किया जाता है. इसके लिए खेत की अच्छी तरह जुताई करते हैं. खेत में अनेक मेढ़ बनाई जाती हैं. इसमें अनेक पौधे लगाए जाते हैं. एक एकड़ में 22 से 25 हजार पौधे लगाए जाते हैं.

यह भी पढ़ें- लॉकडाउन: स्ट्रॉबेरी की खेती करने वाले किसानों को हुआ नुकसान

यह भी पढ़ें- आधुनिक तकनीकी से यहां के दो किसान कर रहे स्ट्रॉबेरी की खेती, खेतों को बनाया प्रयोगशाला

Last Updated : Mar 29, 2021, 7:15 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.