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पूर्णिया: हर चेहरे पर दर्ज है खौफ का वो दर्द, मझुवा के उस रात की कहानी पीड़ितों की जुबानी

19 मई की रात को बिहार के पूर्णिया के बायसी में भयानक मंजर देखने को मिला. मझुवा गांव में महादलितों की बस्ती में आग लगा दी गई. लोग उस दिन को याद कर आज भी सिहर जाते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम सोमवार को बायसी थाने के खपड़ा पंचायत के मझुवा गांव स्थित ग्राउंड जीरो पहुंची. क्या हुआ था उस रात जानिए पीड़ितों की जुबानी...

majhuva village violence in purnea
majhuva village violence in purnea
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Published : May 24, 2021, 9:43 PM IST

पूर्णिया: बायसी थाना क्षेत्र के खपड़ा पंचायत के मझवा गांव में 19 मई की रात महादलितों पर हुए हमले, हत्या और आगजनी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सोशल मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारों में भी अब इसकी गूंज साफ सुनाई देने लगी है. समूचे घटनाक्रम में तकरीबन एक दर्जन लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. इनमें एक चौकीदार भी शामिल है. वहीं इस दिल दहलाने वाली घटना में पूर्व चौकीदार की हमलावरों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- मझुवा कांड पर बोले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद- दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

मझुवा गांव में आगजनी
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि करीब 45 महादलित परिवार के 600 लोग 30 साल पहले बायसी स्थित खपड़ा पंचायत के मझुवा गांव आकर बसे थे. तब वहां समूचा इलाका सुनसान और जंगलों से भरा था. बाद में आस-पास भी लोग आकर बस गए. इन लोगों को इससे आपत्ति थी, जिसके बाद 2015 में दो पक्षों के बीच पहला हिंसक झड़प हुआ. इस समय भी कुछ घर आग में फूंक दिए गए थे. एक की मौत हो गई थी. इसके बाद गांव में पुलिस कैंप लगा दिया गया था.

majhuva village violence in purnea
सब कुछ जलकर हुआ राख

'करीब आधा दर्जन लोग घर में घुस गए और पति और बच्चों को पीटने लगे. इसके बाद वे लोग जबर्दस्ती करने की कोशिश कर रहे थे. रोकने पर तलवार से माथे पर वार कर दिया. वहीं दूसरे हमलावर ने बाइक की चेन से पिटाई की.'- पीड़ित

डीसीएलआर का बयान

2017 में भी हुआ था हमला
वहीं 2017 में भी इस गांव के एक युवक की हत्या कर शव को सुनसान खेत में फेंक दिया गया था. इस पर पुलिस ने लीपापोती कर दिया था. वहीं करीब 1 माह पूर्व 24 मार्च को भी ऐसी ही घटना हुई. जिसमें एक घर आग के हवाले कर दिया गया और मारपीट की गई. दोनों तरफ से एफआईआर की गई, जिसमें जमीनी विवाद की बात उभरकर सामने आई. हालांकि बायसी थाने की पुलिस ने इसे भी संजीदगी से नहीं लिया. इससे हमलावर पक्ष को लगातार शह मिलता रहा. वहीं घटना वाले दिन यानी 19 मई को भी समूचे घटनाक्रम से पहले शाम करीब 6:00 बजे दो पक्षों के बीच झड़प हुई थी. जिसे तैनात चौकीदारों ने किसी तरह सुलझा दिया था. मगर देर रात जब सभी सोए थे. एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर हमला कर दिया, मारपीट की गई, पूर्व चौकीदार की हत्या कर दी गई और गांव को आग के हवाले कर दिया गया.

majhuva village violence in purnea
गांव में तबाही का मंजर

'जब हम सो रहे थे तभी कुछ लोग घर में घुस गए. बिना कुछ कहे -सुने हम पर हमला बोल दिया. घर में मौजूद सभी सदस्यों की पिटाई की जाने लगी. जिसमें हमलोगों को चोटें आईं. घर के सदस्यों को सर में भी गंभीर चोट आई है.'- पीड़ित

सूत्रों के अनुसार
विश्वसनीय पुलिस सूत्रों की मानें तो पुलिस को हमलावर पक्ष के घटनाक्रम से चंद रोज पहले रात में मीटिंग करने की सूचना मिली थी. इसमें करीब डेढ़ सौ लोग शामिल थे. पुलिस के पास दलबल कम होने के कारण बल जुटाने तक मीटिंग में शामिल लोग फरार हो गए.

ग्रामीण का बयान
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि हमलावर पक्ष ने पूरी तैयारी के साथ गांव पर 3 तरफ से हमला बोला. उनके हाथों में बाइक की चेन, रॉड, बांस-बल्ले, तलवार और हथियार थे. हमलावर एक-एक कर महादलित परिवारों को निशाना बनाने लगे. महादलित परिवारों को चुन-चुनकर अपना निशाना बना रहे हमलावर पक्ष के लोग उम्र का लिहाज तक भूल गए. महिला, बच्चे, बूढ़े, नौजवान हर एक को टारगेट कर पीटा गया और बेरहमी की हर इंतहा पार कर दी गई. इतना ही नहीं इन हमलावरों ने लूटपाट के बाद करीब 13 घरों को आग के हवाले कर दिया. ग्रामीणों के मुताबिक हमलावर पेट्रोल तक अपने साथ लेकर आए थे.

पूर्व चौकीदार के बेटे ने क्या कहा
हादसे में जान गंवाने वाले चौकीदार नेवालाल राय के बेटे फकी लाल राय ने कहा कि उनके पिता को पहचानते हुए भी उनके साथ मारपीट की गई. पहले सिर पर दभीया से हमला किया गया. इसके बाद बांस-बल्ले से तब तक मारते रहे जब तक उनके पिता ने दम नहीं तोड़ दिया. वहीं ड्यूटी पर तैनात चौकीदार भी बुरी तरह से घायल हो गए.

'जमीन के मामले को लेकर आपसी विवाद था, जिसे लेकर समूचे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया. हालांकि इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 3 की गिरफ्तारी हुई है. 61 नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. सभी की धर-पकड़ के लिए लगातार छापेमारी जारी है. वहीं घटना के पीड़ितों को 5800 रुपये की मुआवजा राशि दी गई है. गांव में सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. 24 घंटे पुलिस की तैनाती है.'- अवधेश कुमार राणा, डीसीएलआर

'मारने ही आए थे हमलावर '
ग्रामीणों ने बताया कि हमलावर उन्हें मारने के इरादे से आए थे. इसी मकसद से वे महज हथियार ही नहीं बल्कि पेट्रोल भी अपने साथ लेकर आए थे. मारपीट, लूटपाट और हत्या के बाद उन्होंने एक के बाद एक 13 घरों को आग के हवाले कर दिया. पुलिस घटना के करीब आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची.

यह भी पढ़ें- देख लीजिए बिहार-झारखंड के बॉर्डर पर 'वसूली का खेल', जवान तो जवान... मजिस्ट्रेट भी वसूलते हैं नजराना

पूर्णिया: बायसी थाना क्षेत्र के खपड़ा पंचायत के मझवा गांव में 19 मई की रात महादलितों पर हुए हमले, हत्या और आगजनी का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. सोशल मीडिया से लेकर सत्ता के गलियारों में भी अब इसकी गूंज साफ सुनाई देने लगी है. समूचे घटनाक्रम में तकरीबन एक दर्जन लोग जख्मी बताए जा रहे हैं. इनमें एक चौकीदार भी शामिल है. वहीं इस दिल दहलाने वाली घटना में पूर्व चौकीदार की हमलावरों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें- मझुवा कांड पर बोले कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद- दोषियों पर हो सख्त कार्रवाई

मझुवा गांव में आगजनी
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि करीब 45 महादलित परिवार के 600 लोग 30 साल पहले बायसी स्थित खपड़ा पंचायत के मझुवा गांव आकर बसे थे. तब वहां समूचा इलाका सुनसान और जंगलों से भरा था. बाद में आस-पास भी लोग आकर बस गए. इन लोगों को इससे आपत्ति थी, जिसके बाद 2015 में दो पक्षों के बीच पहला हिंसक झड़प हुआ. इस समय भी कुछ घर आग में फूंक दिए गए थे. एक की मौत हो गई थी. इसके बाद गांव में पुलिस कैंप लगा दिया गया था.

majhuva village violence in purnea
सब कुछ जलकर हुआ राख

'करीब आधा दर्जन लोग घर में घुस गए और पति और बच्चों को पीटने लगे. इसके बाद वे लोग जबर्दस्ती करने की कोशिश कर रहे थे. रोकने पर तलवार से माथे पर वार कर दिया. वहीं दूसरे हमलावर ने बाइक की चेन से पिटाई की.'- पीड़ित

डीसीएलआर का बयान

2017 में भी हुआ था हमला
वहीं 2017 में भी इस गांव के एक युवक की हत्या कर शव को सुनसान खेत में फेंक दिया गया था. इस पर पुलिस ने लीपापोती कर दिया था. वहीं करीब 1 माह पूर्व 24 मार्च को भी ऐसी ही घटना हुई. जिसमें एक घर आग के हवाले कर दिया गया और मारपीट की गई. दोनों तरफ से एफआईआर की गई, जिसमें जमीनी विवाद की बात उभरकर सामने आई. हालांकि बायसी थाने की पुलिस ने इसे भी संजीदगी से नहीं लिया. इससे हमलावर पक्ष को लगातार शह मिलता रहा. वहीं घटना वाले दिन यानी 19 मई को भी समूचे घटनाक्रम से पहले शाम करीब 6:00 बजे दो पक्षों के बीच झड़प हुई थी. जिसे तैनात चौकीदारों ने किसी तरह सुलझा दिया था. मगर देर रात जब सभी सोए थे. एक पक्ष ने दूसरे पक्ष पर हमला कर दिया, मारपीट की गई, पूर्व चौकीदार की हत्या कर दी गई और गांव को आग के हवाले कर दिया गया.

majhuva village violence in purnea
गांव में तबाही का मंजर

'जब हम सो रहे थे तभी कुछ लोग घर में घुस गए. बिना कुछ कहे -सुने हम पर हमला बोल दिया. घर में मौजूद सभी सदस्यों की पिटाई की जाने लगी. जिसमें हमलोगों को चोटें आईं. घर के सदस्यों को सर में भी गंभीर चोट आई है.'- पीड़ित

सूत्रों के अनुसार
विश्वसनीय पुलिस सूत्रों की मानें तो पुलिस को हमलावर पक्ष के घटनाक्रम से चंद रोज पहले रात में मीटिंग करने की सूचना मिली थी. इसमें करीब डेढ़ सौ लोग शामिल थे. पुलिस के पास दलबल कम होने के कारण बल जुटाने तक मीटिंग में शामिल लोग फरार हो गए.

ग्रामीण का बयान
इस बाबत ग्रामीणों ने बताया कि हमलावर पक्ष ने पूरी तैयारी के साथ गांव पर 3 तरफ से हमला बोला. उनके हाथों में बाइक की चेन, रॉड, बांस-बल्ले, तलवार और हथियार थे. हमलावर एक-एक कर महादलित परिवारों को निशाना बनाने लगे. महादलित परिवारों को चुन-चुनकर अपना निशाना बना रहे हमलावर पक्ष के लोग उम्र का लिहाज तक भूल गए. महिला, बच्चे, बूढ़े, नौजवान हर एक को टारगेट कर पीटा गया और बेरहमी की हर इंतहा पार कर दी गई. इतना ही नहीं इन हमलावरों ने लूटपाट के बाद करीब 13 घरों को आग के हवाले कर दिया. ग्रामीणों के मुताबिक हमलावर पेट्रोल तक अपने साथ लेकर आए थे.

पूर्व चौकीदार के बेटे ने क्या कहा
हादसे में जान गंवाने वाले चौकीदार नेवालाल राय के बेटे फकी लाल राय ने कहा कि उनके पिता को पहचानते हुए भी उनके साथ मारपीट की गई. पहले सिर पर दभीया से हमला किया गया. इसके बाद बांस-बल्ले से तब तक मारते रहे जब तक उनके पिता ने दम नहीं तोड़ दिया. वहीं ड्यूटी पर तैनात चौकीदार भी बुरी तरह से घायल हो गए.

'जमीन के मामले को लेकर आपसी विवाद था, जिसे लेकर समूचे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया. हालांकि इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए 3 की गिरफ्तारी हुई है. 61 नामजद के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया है. सभी की धर-पकड़ के लिए लगातार छापेमारी जारी है. वहीं घटना के पीड़ितों को 5800 रुपये की मुआवजा राशि दी गई है. गांव में सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है. 24 घंटे पुलिस की तैनाती है.'- अवधेश कुमार राणा, डीसीएलआर

'मारने ही आए थे हमलावर '
ग्रामीणों ने बताया कि हमलावर उन्हें मारने के इरादे से आए थे. इसी मकसद से वे महज हथियार ही नहीं बल्कि पेट्रोल भी अपने साथ लेकर आए थे. मारपीट, लूटपाट और हत्या के बाद उन्होंने एक के बाद एक 13 घरों को आग के हवाले कर दिया. पुलिस घटना के करीब आधे घंटे बाद मौके पर पहुंची.

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