पूर्णिया: कोरोना संक्रमण ने जिले में धूम धड़ाके के साथ मनाए जाने वाले गणेश चतुर्थी की रंगत इस बार फीकी कर दी है. दशकों से जिले के गुलाबबाग में भगवान गणपति की प्रतिमा बैठाई जाती रही है. विशाल मेला और मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है. लेकिन इस बार मोहक पंडाल और रंग-बिरंगी रौशनी से जगमगाने वाले गुलाबबाग में गणेश चतुर्थी का त्योहार बेरंग नजर आ रहा है.
कारगिल युद्ध के समय से बैठाई जाती है प्रतिमा
बता दें कि गुलाबबाग के राजा की सीमांचल और कोसी में बेहद विशिष्ट महत्ता है. जानकारी के अनुसार देश में जब कारगिल का युद्ध जारी था उस समय गुलाबबाग के व्यपारी भगवान गणपति से इस युद्ध में जीत की मन्नतें मांग रहे थे. युद्ध में भारत को मिली जीत की खुशी में व्यपारियों ने भगवान गणपति की प्रतिमा स्थापित करनी शुरू की.
बप्पा के दर्शन को आते थे लाखों श्रद्धालु
पूजा समिति के अध्यक्ष ने बताया कि हर वर्ष बप्पा के दर्शन के लिए सीमांचल और कोसी समेत बंगाल, यूपी और झारखंड समेत सीमावर्ती नेपाल और भूटान जैसे देशो से श्रद्धालु भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं. दस दिनों तक चलने वाले इस महापर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं. इस दौरान लगने वाला मेला समूचे बिहार में एक अलग पहचान रखता है.
बैठाई गई सांकेतिक प्रतिमा
इस बार बप्पा के इस पर्व पर कोरोना की मार साफ देखी जा सकती है. गणेश चतुर्थी पर यहां हर वर्ष अनूठे थीम पर पंडाल बनाया जाता था. पंडाल व मूर्ति के निर्माण का कार्य महीनों पहले प्रारंभ हो जाता था. जिसे बंगाल से आए कलाकार बनाते थे. लेकिन इस महापर्व पर कोरोना की मार पड़ी है. पंडाल साधारण और छोटा बनाया गया है. परंपरा को कायम रखने के लिए भगवान गणपति की छोटी और सांकेतिक प्रतिमा स्थापित की गई है. वहीं श्रद्धालुओं के पूजा-पाठ पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है.