पूर्णिया: जिले में 4 करोड़ की लागत से बना भोला पासवान शास्त्री पार्क अब पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. 52 एकड़ में फैले जिस विशाल पार्क को बतौर टूरिस्ट स्पॉट विकसित किया जाना था वह इन दिनों अपने मेंटेनेंस और सौंदर्यीकरण की बाट जोहता नजर आ रहा है. वहीं वह झील जो कभी लोगों का फेवरेट हॉली डे डेस्टिनेशन हुआ करता था आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.
ईटीवी भारत की टीम जिला हेडक्वार्टर्स से 14 किलोमीटर दूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की जन्मस्थली के नगर पहुंची. जहां स्थित काझा कोठी पार्क 1998 के बाद से भोला पासवान शास्त्री पार्क के नाम से पुकारा जाने लगा. मुख्यमंत्री रहते हुये जीतन राम मांझी ने इस पार्क के जीर्णोद्धार के लिये 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. इसके बाद इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ. पार्क के मुख्य द्वार पर तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई. पार्क का नाम भी काझा कोठी पार्क से बदलकर भोला पासवान शास्त्री पार्क कर दिया गया.
मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर हुआ पार्क
समय के साथ सरकारी महकमे ने इस पर ध्यान देना कम कर दिया. जिस कारण यहां बड़े-बड़े जंगली पेड़-पौधे निकल आए. बदहाली और स्थानीय लफंगों की वजह से लोगों ने यहां आना छोड़ दिया. कभी लोगों की भीड़ से खचाखच भरा नजर आने वाला यह टूरिस्ट स्पॉट इन दिनों पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. अंग्रेजों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक कोठी हो या फिर टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया गया काझा झील, सालों से बंद पड़े मेंटेनेंस के अभाव में अब यह जहरीले सांपों का फेवरेट अड्डा बन गया है.
सुरक्षाकर्मियों की है कमी
काझा कोठी के अलावा यहां कई ऐसे भवन भी हैं जिनकी इमारतें जर्जर होती जा रही है. यहां लगे बच्चों के झूले जर्जर हो चुके हैं, तो वहीं पार्क के स्ट्रीट लाइट्स भी खराब हो चुके हैं. पार्क की दयनीय हालत पर स्थानीय सुखदेव राम कहते हैं कि इसकी खूबसूरती देखकर पहले दूर-दराज से लोग यहां घूमने आते थे. लेकिन धीरे-धीरे स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण यह पार्क कुछ स्थानीय लफंगों का अड्डा बन गया. वे यहां आने वाले लोगों और उनकी महिलाओं के साथ बदसलूकी करने लगे. जिस कारण से लोगों ने यहां आना बंद कर दिया.
सिर्फ 2 स्टाफ के भरोसे है पार्क
पार्क के स्टाफ गोपाल कुमार राम बताते हैं कि 52 एकड़ में फैला विशाल पार्क सिर्फ 2 स्टाफ से चल रहा है. 4 करोड़ की राशि से जीर्णोद्धार हुये इस पार्क में जहां काम करने वाले स्टाफ की संख्या बढ़नी चाहिये थी तो इसके उलट यहां काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 5 से घटकर 2 हो गई.