ETV Bharat / state

4 करोड़ की राशि से हुआ था जीर्णोद्धार, फिर से बदहाल हुआ भोला पासवान शास्त्री पार्क

मुख्यमंत्री रहते हुये जीतन राम मांझी ने इस पार्क के जीर्णोद्धार के लिये 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. इसके बाद इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ. पार्क के मुख्य द्वार पर तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई.

भोला पासवान शास्त्री पार्क
author img

By

Published : Sep 22, 2019, 3:47 PM IST

पूर्णिया: जिले में 4 करोड़ की लागत से बना भोला पासवान शास्त्री पार्क अब पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. 52 एकड़ में फैले जिस विशाल पार्क को बतौर टूरिस्ट स्पॉट विकसित किया जाना था वह इन दिनों अपने मेंटेनेंस और सौंदर्यीकरण की बाट जोहता नजर आ रहा है. वहीं वह झील जो कभी लोगों का फेवरेट हॉली डे डेस्टिनेशन हुआ करता था आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

भोला पासवान शास्त्री पार्क

ईटीवी भारत की टीम जिला हेडक्वार्टर्स से 14 किलोमीटर दूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की जन्मस्थली के नगर पहुंची. जहां स्थित काझा कोठी पार्क 1998 के बाद से भोला पासवान शास्त्री पार्क के नाम से पुकारा जाने लगा. मुख्यमंत्री रहते हुये जीतन राम मांझी ने इस पार्क के जीर्णोद्धार के लिये 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. इसके बाद इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ. पार्क के मुख्य द्वार पर तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई. पार्क का नाम भी काझा कोठी पार्क से बदलकर भोला पासवान शास्त्री पार्क कर दिया गया.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर हुआ पार्क
समय के साथ सरकारी महकमे ने इस पर ध्यान देना कम कर दिया. जिस कारण यहां बड़े-बड़े जंगली पेड़-पौधे निकल आए. बदहाली और स्थानीय लफंगों की वजह से लोगों ने यहां आना छोड़ दिया. कभी लोगों की भीड़ से खचाखच भरा नजर आने वाला यह टूरिस्ट स्पॉट इन दिनों पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. अंग्रेजों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक कोठी हो या फिर टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया गया काझा झील, सालों से बंद पड़े मेंटेनेंस के अभाव में अब यह जहरीले सांपों का फेवरेट अड्डा बन गया है.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

सुरक्षाकर्मियों की है कमी
काझा कोठी के अलावा यहां कई ऐसे भवन भी हैं जिनकी इमारतें जर्जर होती जा रही है. यहां लगे बच्चों के झूले जर्जर हो चुके हैं, तो वहीं पार्क के स्ट्रीट लाइट्स भी खराब हो चुके हैं. पार्क की दयनीय हालत पर स्थानीय सुखदेव राम कहते हैं कि इसकी खूबसूरती देखकर पहले दूर-दराज से लोग यहां घूमने आते थे. लेकिन धीरे-धीरे स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण यह पार्क कुछ स्थानीय लफंगों का अड्डा बन गया. वे यहां आने वाले लोगों और उनकी महिलाओं के साथ बदसलूकी करने लगे. जिस कारण से लोगों ने यहां आना बंद कर दिया.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

सिर्फ 2 स्टाफ के भरोसे है पार्क
पार्क के स्टाफ गोपाल कुमार राम बताते हैं कि 52 एकड़ में फैला विशाल पार्क सिर्फ 2 स्टाफ से चल रहा है. 4 करोड़ की राशि से जीर्णोद्धार हुये इस पार्क में जहां काम करने वाले स्टाफ की संख्या बढ़नी चाहिये थी तो इसके उलट यहां काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 5 से घटकर 2 हो गई.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

पूर्णिया: जिले में 4 करोड़ की लागत से बना भोला पासवान शास्त्री पार्क अब पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. 52 एकड़ में फैले जिस विशाल पार्क को बतौर टूरिस्ट स्पॉट विकसित किया जाना था वह इन दिनों अपने मेंटेनेंस और सौंदर्यीकरण की बाट जोहता नजर आ रहा है. वहीं वह झील जो कभी लोगों का फेवरेट हॉली डे डेस्टिनेशन हुआ करता था आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है.

भोला पासवान शास्त्री पार्क

ईटीवी भारत की टीम जिला हेडक्वार्टर्स से 14 किलोमीटर दूर बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री की जन्मस्थली के नगर पहुंची. जहां स्थित काझा कोठी पार्क 1998 के बाद से भोला पासवान शास्त्री पार्क के नाम से पुकारा जाने लगा. मुख्यमंत्री रहते हुये जीतन राम मांझी ने इस पार्क के जीर्णोद्धार के लिये 4 करोड़ की राशि आवंटित की थी. इसके बाद इसके सौंदर्यीकरण का काम शुरू हुआ. पार्क के मुख्य द्वार पर तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की प्रतिमा भी स्थापित कर दी गई. पार्क का नाम भी काझा कोठी पार्क से बदलकर भोला पासवान शास्त्री पार्क कर दिया गया.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

मेंटेनेंस के अभाव में जर्जर हुआ पार्क
समय के साथ सरकारी महकमे ने इस पर ध्यान देना कम कर दिया. जिस कारण यहां बड़े-बड़े जंगली पेड़-पौधे निकल आए. बदहाली और स्थानीय लफंगों की वजह से लोगों ने यहां आना छोड़ दिया. कभी लोगों की भीड़ से खचाखच भरा नजर आने वाला यह टूरिस्ट स्पॉट इन दिनों पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है. अंग्रेजों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक कोठी हो या फिर टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया गया काझा झील, सालों से बंद पड़े मेंटेनेंस के अभाव में अब यह जहरीले सांपों का फेवरेट अड्डा बन गया है.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

सुरक्षाकर्मियों की है कमी
काझा कोठी के अलावा यहां कई ऐसे भवन भी हैं जिनकी इमारतें जर्जर होती जा रही है. यहां लगे बच्चों के झूले जर्जर हो चुके हैं, तो वहीं पार्क के स्ट्रीट लाइट्स भी खराब हो चुके हैं. पार्क की दयनीय हालत पर स्थानीय सुखदेव राम कहते हैं कि इसकी खूबसूरती देखकर पहले दूर-दराज से लोग यहां घूमने आते थे. लेकिन धीरे-धीरे स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण यह पार्क कुछ स्थानीय लफंगों का अड्डा बन गया. वे यहां आने वाले लोगों और उनकी महिलाओं के साथ बदसलूकी करने लगे. जिस कारण से लोगों ने यहां आना बंद कर दिया.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क

सिर्फ 2 स्टाफ के भरोसे है पार्क
पार्क के स्टाफ गोपाल कुमार राम बताते हैं कि 52 एकड़ में फैला विशाल पार्क सिर्फ 2 स्टाफ से चल रहा है. 4 करोड़ की राशि से जीर्णोद्धार हुये इस पार्क में जहां काम करने वाले स्टाफ की संख्या बढ़नी चाहिये थी तो इसके उलट यहां काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 5 से घटकर 2 हो गई.

bad condition of bhola paswan shastri park in purnea
भोला पासवान शास्त्री पार्क
Intro:आकाश कुमार (पूर्णिया) special report । चार करोड़ की लागत से बना भोला पासवान शास्त्री पार्क इन दिनों पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है। हैरत की बात है कि करीब 52 एकड़ में फैले जिस विशाल पार्क को बतौर टूरिस्ट स्पॉट विकसित किया जाना था। जंगली पौधों से घिरा यह पार्क इन दिनों अपने मेंटेनेंस और सौंदर्यीकरण की बाट जोहता नजर आ रहा है। वहीं वह झील जो कभी लोगों का फेवरेट हॉलीडे डेस्टिनेशन हुआ करता था आज यह अपनी बदहाली देख आंसू बहाता नजर आ रहा है।


Body:लिहाजा ईटीवी भारत की टीम जिले से 14 किलोमीटर दूर बिहार के तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की जन्मस्थली के नगर पहुंची। जहां स्थित काझा कोठी पार्क 1998 के बाद से भोला पासवान शास्त्री पार्क के नाम से पुकारा जाने लगा। जीतन राम मांझी ने दिए थे पार्क के जीर्णोद्धार को 4 करोड़.... दरअसल बताया जाता है कि किसी जंगल से नजर आने वाले इस पार्क की किस्मत तब खुली। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री के पुश्तैनी आवास पहुंचे। वहां से लौटते हुए उनकी नजर भोला पासवान शास्त्री की याद में बनाए गए बदहाल पड़े पार्क पर पड़ी। जिसके बाद पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने इसके जीर्णोद्धार के लिए 4 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी। और इसके सौंदर्यीकरण का सिलसिला शुरू हुआ। तो इस वजह से बना था पार्क.... लोग बिहार के इस ईमानदार मुख्यमंत्री से परिचित हो सकें लिहाजा पार्क के मुख्य द्वार तीन बार के मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री की प्रतिमा स्थापित कर दी गयी। पार्क का नाम काझा कोठी पार्क से बदलकर भोला पासवान शास्त्री पार्क कर दिया गया। यहां हरेक साल 21 सिंतबर को राजकीय समारोह के साथ दिवगंत भोला पासवान शास्त्री की जयंती मनाई जाती है। पशुओं का चारागाह बना जिले का टूरिस्ट स्पॉट... वहीं हैरत की बात तो कि जिस पार्क को एक से बढ़कर एक फूल-पत्तियों से सजाकर जिले के लोगों के लोगों के लिए फेवरेट हॉलिडे डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित किया गया था। आज यहां बड़े-बड़े जंगली पेड़-पौधे निकल आए हैं। बदहाली और स्थानीय लफंगों की वजह से लोगों ने यहां आना छोड़ दिया। लोगों की भीड़ से खचाखच भरा नजर आने वाला यह टूरिस्ट स्पॉट इन दिनों पशुओं का चारागाह बनकर रह गया है। पार्क का पिकनिक स्पॉट, मॉन्टेन प्लेस ,कोठी कनॉट ,काझा झील और इसकी खूबसूरती बढ़ाने वाले वोट और स्टिमर्स इनदिनों अपनी बदहाली दूर किए जाने को ले बाट जोहता नजर आ रहा है। जहरीले सांपों का अड्डा बना लोगों का यह हॉलिडे डेस्टिनेशन.... चाहे वह अंग्रेजों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक कोठी हो या फिर फिर टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया गया काझा झील सालों से बंद पड़े मेंटेनेंस के कारण अब यह जहरीले सापों का फेवरेट अड्डा बन गया है। अंग्रेजों द्वारा स्थापित ऐतिहासिक कोठी के अलावा यहां कई ऐसे भवन हैं जिसकी इमारतों के सीलन पपड़ी छोड़ती और जर्जर अवस्था में नजर आ रही है। वहीं स्टाफ की कमी से जूझते पार्क में मेंटेनेंस की सुविधा न होने से यहां लगे बच्चों के झूले बूढ़े हो चुके हैं। तो वहीं पार्क के स्ट्रीट लाइट हैंड्स अप बोल चुके हैं। बदहाली खड़ी करती है सवाल... पार्क के दीदार को पंहुचे मो असफर रजा व अरमान बतातें हैं कि हमने इस पार्क के बारे में बहुत सुना था। जिले का सबसे विशाल पार्क होने के साथ ही इससे बिहार के पहले दलित मुख्यमंत्री की यादें जुड़ी हैं। लिहाजा हमारी तरह ही यहां हर कोई आने की हसरत रखता है मगर इस वक़्त पार्क जिस बदहाल अवस्था में है। जंगली पौधों के अलावा यहां दीदार को कुछ नजर नहीं आता। यकीन नहीं होता इस पार्क को 4 करोड़ की राशि खर्च कर निर्मित की गई है। लफंगों की हरकतों की वजह से लोगों ने आना छोड़ा.... वहीं स्थानीय सुखदेव राम बतातें हैं कि इसकी खूबसूरती देख पहले दूर-दराज के लोग यहां घूमने पहुंचते थे। मगर धीरे,-धीरे स्टाफ और सुरक्षाकर्मियों की कमी के कारण यह पार्क कुछ स्थानीय लफंगों का अड्डा बन गया। वे यहां आने वाले लोग और उनकी महिला सदस्यों के साथ बदसलूकी करने लगे। जिसके बाद इडकी आर्थिक स्थिति खराब हुई। और आज हालात ऐसी है कि लोगों को इसके दीदार का इंतेजार नहीं होता बल्कि खुद पार्क लोगों के दीदार को तरसता है। सिर्फ 2 स्टाफ से चल रहा 52 एकड़ में फैला विशाल पार्क... वहीं पार्क के स्टाफ गोपाल कुमार राम बतातें हैं कि पार्क के लिए तकरीबन 4 करोड़ की राशि तब के तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के द्वारा इसके जीर्णोद्धार के लिए दी गई थी। मगर राशि का कितना हिस्सा खर्च हुआ इसके बारे में हम कुछ नहीं जानते। जहां तक रही इसकी बदहाली की बात तो इसका कारण सिर्फ यह है कि यह पार्क जिले का सबसे विशाल पार्क है जो 52 एकड़ में फैला है मगर इसके मेंटेनेंस को स्टाफ की खासी कमी है। जहां स्टाफ में इजाफे की जरूरत थी। पांच से घटकर यह महज दो पर खिसक गए।


Conclusion:बाईट- मो अफसर रजा(ब्लैक शर्ट) और अरमान (ब्लैक टी शर्ट) बाईट- सुखदेव राम स्थानीय (पिंक ड्रेस) बाईट- गोपाल कुमार राम (स्टाफ पार्क ब्लैक ड्रेस आखिरी बाईट )
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.