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लंदन में संबोधन देने से लेकर बिहार के डिप्टी सीएम बनने तक, जानें तेजस्वी यादव के लिए कैसा रहा साल 2022

बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के लिए साल 2022 काफी बेहतर रहा है. इस साल तेजस्वी को जहां लंदन में आयोजित एक कांफ्रेंस में संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया वहीं सत्ता में वापसी का मौका भी मिला. तेजस्वी यादव ने एक बार फिर से डिप्टी सीएम की कुर्सी संभाल ली. (Year Ender 2022 )

Year Ender 2022 Tejashwi Yadav
Year Ender 2022 Tejashwi Yadav
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Published : Dec 27, 2022, 11:36 AM IST

Updated : Dec 28, 2022, 6:00 AM IST

पटना: 2015 में महज 26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे युवा डिप्टी सीएम बनने वाले तेजस्वी यादव के लिए यह साल कई मायनों में सफल रहा. इस साल तेजस्वी ने बिहार की सत्ता में दोबारा वापसी करते हुए डिप्टी सीएम की ताज को फिर से संभाला. वहीं दूसरी तरफ वर्ग और वोटर विशेष की पार्टी बन चुकी आरजेडी को उन्होंने बहुत हद तक नए फॉर्मेट में पेश किया और पार्टी को हर वर्ग की पार्टी बनाने में योगदान भी दिया. (Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav) (Year Ender 2022 Tejashwi Yadav ) (How was the year 2022 for Tejashwi Yadav)

पढ़ें - Year Ender 2022: चर्चा में रही लालू-नीतीश की दोस्ती.. सियासी तालमेल से तेजस्वी बने उत्तराधिकारी

पूरे देश में बजता है डंका: भले ही राष्ट्रीय जनता दल की पहचान क्षेत्रिय पार्टी की रूप में हो लेकिन इसका डंका पूरे देश में बजता है. इसकी खास वजह पार्टी के मुखिया लालू प्रसाद यादव का अनोखा अंदाज है. वह नेता जो अपने अंदाज और प्रभावों के लिए जाने जाते हैं. लालू की तबीयत सही नहीं है. वह सिंगापुर में किडनी का प्रत्यारोपण करा चुके हैं. ऐसे में पार्टी की संचालन की पूरी जिम्मेदारी तेजस्वी ही संभाल रहे हैं.

How was the year 2022 for Tejashwi Yadav
राजभवन से शपथ लेने के बाद समर्थकों के बीच पहुंचे थे तेजस्वी

तेजस्वी बने पार्टी के खेवैया : वक्त गुजरने के साथ तेजस्वी ने अपनी राजनीतिक चतुराई और सूझबूझ को बेहतर तरीके से पेश किया है. साथ ही उन्होंने बिहार में एक ऑप्शन भी दे दिया है कि अगर उनको मौका मिले तो वह बिहार को बेहतर तरीके से चला सकते हैं. पार्टी के दूसरे नेताओं के ठीक उलट तेजस्वी की सोच युवा शक्ति और तकनीक को लेकर आगे बढ़ने की है. यही कारण है कि राजद के प्रदेश कार्यालय के बाहर जो पोस्टर लगा है उसमें विकसित भारत के साथ ही एक ही निश्चय, एक विचार, विकसित हो अपना बिहार को लिखा हुआ दर्शाया गया है.

अनुशासन का पालन करना अनिवार्य: तेजस्वी ने अपनी पार्टी में अनुशासन के लिए न केवल कड़े कदम भी उठाए बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी के कोटे से राज्य सरकार में मंत्री बनने वालों को राजद प्रदेश कार्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम करने का निर्देश भी दिया. जिसके बाद बीजेपी और जदयू के बाद राजद भी उन पार्टियों में शामिल हो गई जो, जनसुनवाई करके आम लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की समस्या का समाधान करने में लगी हैं.

एमएलसी चुनाव में झटका: हालांकि 2022 में राष्ट्रीय जनता दल को बिहार विधान परिषद के चुनाव में थोड़ा झटका भी लगा. इस साल एमएलसी की 24 सीटों के लिए चुनाव हुआ था. जिनमें एनडीए ने 13 सीटों पर कब्जा किया और राजद को केवल 6 सीटों पर जीत हासिल हो सकी. तब एनडीए के साथ नीतीश कुमार भी थे. इसी साल बिहार की राजनीति ने फिर एक नया मोड़ लिया. सत्ता ने करवट ली. नीतीश तो वहीं के वहीं रहे लेकिन बीजेपी सत्ता से बाहर चली गई और आरजेडी सत्ता में आ गई.

2022 में फिर से डिप्टी सीएम बने तेजस्वी: 2015 में देश के सबसे युवा डिप्टी सीएम बनने वाले तेजस्वी यादव ने दोबारा डिप्टी सीएम का पदभार संभाल लिया. पार्टी की बागडोर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने हाथों में संभाली हुई थी. इस सत्ता परिवर्तन में सबसे अधिक फायदा राजद को ही हुआ. पार्टी ने करीब 389 दिन के बाद इस साल अगस्त माह में न केवल सत्ता में वापसी की बल्कि पार्टी को दोबारा डिप्टी सीएम का पद भी मिला.

पहली बार राज्य के बाहर अधिवेशन: तेजस्वी के लिए यह साल उपलब्धियों के रूप में ज्यादा जाना जाएगा. इस साल न केवल राज्य में पार्टी को सत्ता मिली, बल्कि 1997 में स्थापना के बाद पहली बार राज्य के बाहर खुले अधिवेशन का आयोजन भी किया गया है. इसे देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया. इसी साल पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह को दोबारा चुना. वहीं निर्विवादित रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद यादव को चुना गया. राजद के राष्ट्रीय अधिवेशन में तेजस्वी ने अपना संबोधन भी दिया जिसे पार्टी के तमाम बड़े और छोटे नेताओं ने सुना और उसका स्वागत भी किया. राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तेजस्वी को इस बात के लिए भी अधिकृत कर दिया कि पार्टी भविष्य में अगर कोई निर्णय लेती है तो उस पर तेजस्वी की सहमति अनिवार्य होगी. साथ ही तेजस्वी ही कोई पार्टी के लिए नीतिगत फैसला लेने के लिए अधिकृत होंगे.

पार्टी बनी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी: तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी ने इसी साल बीजेपी से राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा भी छीन लिया. जून 2022 तक राज्य विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी. उसने वीआईपी के 3 विधायकों को अपने में शामिल कराया और राजद से यह तमगा छीन लिया. इसके बाद राजद ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा कर बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी होने के तमगे को छीन लिया. इस निर्णय में राजद के तमाम नेताओं और एआईएमआईएम को छोड़कर राजद में शामिल होने वाले 4 विधायकों ने तेजस्वी के नेतृत्व में अपनी आस्था भी जताई.

विधानसभा उपचुनाव में भी सफलता: इसी साल राज्य के बोचहां, कुढ़नी, गोपालगंज और मोकामा में हुए विधानसभा उपचुनाव में तेजस्वी ने अपनी राजनीति के चातुर्य को भी बखूबी पेश किया. इसमें तेजस्वी को जहां बोचहां और मोकामा में सफलता मिली. वही गोपालगंज और कुढ़नी में बीजेपी ने बाजी मारी. परिणाम चाहे जो भी आए लेकिन दो जगहों पर राजद की जीत ने तेजस्वी यादव की राजनीतिक कुशलता पर और पुख्ता मोहर लगा दिया.

लंदन में तेजस्वी का संबोधन: बिहार की सत्ता में दोबारा वापसी से पहले इसी साल मई में तेजस्वी यादव विदेश भी गए और उन्होंने एक कांफ्रेंस में हिस्सा लया. दरअसल मई माह में तब बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे तेजस्वी यादव लंदन (Tejashwi Yadav addressed Ideas for India conference in London) गए थे. तेजस्वी को इंग्लैंड में आयोजित होने वाले आइडियाज फॉर इंडिया कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया था. इस कांफ्रेंस का आयोजन एसबीएफ और ब्रिज इंडिया के द्वारा किया गया था. एक नेता के तौर पर तेजस्वी यादव पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी सभा को संबोधित किया. हालांकि इसी साल तेजस्वी का कोर्ट से भी वास्ता पड़ता रहा. आईआरसीटीसी घोटाले में उनसे पूछताछ भी की गई. सरकारी कंपनियों की कार्यशैली को लेकर उन्होंने बयान भी दिया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट की तरफ से नसीहत भी सुनने को मिली.

Year Ender 2022
इंग्लैंड में आयोजित आइडियाज फॉर इंडिया कांफ्रेंस में तेजस्वी यादव

मंझे हुए राजनेता हो चुके हैं तेजस्वी: भले ही राजनीति में तेजस्वी की पारी बहुत ही कम समय की रही हो लेकिन इतने ही दिनों में तेजस्वी ने मंझे हुए नेता के रूप में अपने आप को स्थापित किया है. तेजस्वी की पहचान अब एक मंझे हुए राजनेता के रूप में बन चुकी है. खुद सीएम नीतीश कुमार कई मौकों पर यह बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि उनके बाद तेजस्वी अब आगे बागडोर संभालेंगे।. उनकी अपनी राष्ट्रीय जनता दल पार्टी में भी तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देखा जाने लगा लगा है.

सुर्खियों में बने रहे तेजस्वी यादव: आज तेजस्वी की उम्र भले ही राजनीति में बहुत कम हो लेकिन उनके संबोधन, उनके भाषणों पर खबरें बन जाती हैं. देश-विदेश की तमाम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तेजस्वी की बातों को सुर्खियों में लेते हैं. 2024 और 2025 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तेजस्वी की राजनीतिक चातुर्यता की असली परीक्षा होगी, जिसमें यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि तब तक तेजस्वी अपनी राजनीति के तरकश में कौन कौन सी तीर को संभाल के रखते हैं? जिससे वह अपने विरोधियों पर निशाना लगा सकें.

पटना: 2015 में महज 26 वर्ष की उम्र में देश के सबसे युवा डिप्टी सीएम बनने वाले तेजस्वी यादव के लिए यह साल कई मायनों में सफल रहा. इस साल तेजस्वी ने बिहार की सत्ता में दोबारा वापसी करते हुए डिप्टी सीएम की ताज को फिर से संभाला. वहीं दूसरी तरफ वर्ग और वोटर विशेष की पार्टी बन चुकी आरजेडी को उन्होंने बहुत हद तक नए फॉर्मेट में पेश किया और पार्टी को हर वर्ग की पार्टी बनाने में योगदान भी दिया. (Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav) (Year Ender 2022 Tejashwi Yadav ) (How was the year 2022 for Tejashwi Yadav)

पढ़ें - Year Ender 2022: चर्चा में रही लालू-नीतीश की दोस्ती.. सियासी तालमेल से तेजस्वी बने उत्तराधिकारी

पूरे देश में बजता है डंका: भले ही राष्ट्रीय जनता दल की पहचान क्षेत्रिय पार्टी की रूप में हो लेकिन इसका डंका पूरे देश में बजता है. इसकी खास वजह पार्टी के मुखिया लालू प्रसाद यादव का अनोखा अंदाज है. वह नेता जो अपने अंदाज और प्रभावों के लिए जाने जाते हैं. लालू की तबीयत सही नहीं है. वह सिंगापुर में किडनी का प्रत्यारोपण करा चुके हैं. ऐसे में पार्टी की संचालन की पूरी जिम्मेदारी तेजस्वी ही संभाल रहे हैं.

How was the year 2022 for Tejashwi Yadav
राजभवन से शपथ लेने के बाद समर्थकों के बीच पहुंचे थे तेजस्वी

तेजस्वी बने पार्टी के खेवैया : वक्त गुजरने के साथ तेजस्वी ने अपनी राजनीतिक चतुराई और सूझबूझ को बेहतर तरीके से पेश किया है. साथ ही उन्होंने बिहार में एक ऑप्शन भी दे दिया है कि अगर उनको मौका मिले तो वह बिहार को बेहतर तरीके से चला सकते हैं. पार्टी के दूसरे नेताओं के ठीक उलट तेजस्वी की सोच युवा शक्ति और तकनीक को लेकर आगे बढ़ने की है. यही कारण है कि राजद के प्रदेश कार्यालय के बाहर जो पोस्टर लगा है उसमें विकसित भारत के साथ ही एक ही निश्चय, एक विचार, विकसित हो अपना बिहार को लिखा हुआ दर्शाया गया है.

अनुशासन का पालन करना अनिवार्य: तेजस्वी ने अपनी पार्टी में अनुशासन के लिए न केवल कड़े कदम भी उठाए बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी के कोटे से राज्य सरकार में मंत्री बनने वालों को राजद प्रदेश कार्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम करने का निर्देश भी दिया. जिसके बाद बीजेपी और जदयू के बाद राजद भी उन पार्टियों में शामिल हो गई जो, जनसुनवाई करके आम लोगों और अपने कार्यकर्ताओं की समस्या का समाधान करने में लगी हैं.

एमएलसी चुनाव में झटका: हालांकि 2022 में राष्ट्रीय जनता दल को बिहार विधान परिषद के चुनाव में थोड़ा झटका भी लगा. इस साल एमएलसी की 24 सीटों के लिए चुनाव हुआ था. जिनमें एनडीए ने 13 सीटों पर कब्जा किया और राजद को केवल 6 सीटों पर जीत हासिल हो सकी. तब एनडीए के साथ नीतीश कुमार भी थे. इसी साल बिहार की राजनीति ने फिर एक नया मोड़ लिया. सत्ता ने करवट ली. नीतीश तो वहीं के वहीं रहे लेकिन बीजेपी सत्ता से बाहर चली गई और आरजेडी सत्ता में आ गई.

2022 में फिर से डिप्टी सीएम बने तेजस्वी: 2015 में देश के सबसे युवा डिप्टी सीएम बनने वाले तेजस्वी यादव ने दोबारा डिप्टी सीएम का पदभार संभाल लिया. पार्टी की बागडोर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपने हाथों में संभाली हुई थी. इस सत्ता परिवर्तन में सबसे अधिक फायदा राजद को ही हुआ. पार्टी ने करीब 389 दिन के बाद इस साल अगस्त माह में न केवल सत्ता में वापसी की बल्कि पार्टी को दोबारा डिप्टी सीएम का पद भी मिला.

पहली बार राज्य के बाहर अधिवेशन: तेजस्वी के लिए यह साल उपलब्धियों के रूप में ज्यादा जाना जाएगा. इस साल न केवल राज्य में पार्टी को सत्ता मिली, बल्कि 1997 में स्थापना के बाद पहली बार राज्य के बाहर खुले अधिवेशन का आयोजन भी किया गया है. इसे देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित किया गया. इसी साल पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जगदानंद सिंह को दोबारा चुना. वहीं निर्विवादित रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में लालू प्रसाद यादव को चुना गया. राजद के राष्ट्रीय अधिवेशन में तेजस्वी ने अपना संबोधन भी दिया जिसे पार्टी के तमाम बड़े और छोटे नेताओं ने सुना और उसका स्वागत भी किया. राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद ने तेजस्वी को इस बात के लिए भी अधिकृत कर दिया कि पार्टी भविष्य में अगर कोई निर्णय लेती है तो उस पर तेजस्वी की सहमति अनिवार्य होगी. साथ ही तेजस्वी ही कोई पार्टी के लिए नीतिगत फैसला लेने के लिए अधिकृत होंगे.

पार्टी बनी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी: तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी ने इसी साल बीजेपी से राज्य की सबसे बड़ी पार्टी होने का तमगा भी छीन लिया. जून 2022 तक राज्य विधानसभा में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी थी. उसने वीआईपी के 3 विधायकों को अपने में शामिल कराया और राजद से यह तमगा छीन लिया. इसके बाद राजद ने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के 4 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा कर बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी होने के तमगे को छीन लिया. इस निर्णय में राजद के तमाम नेताओं और एआईएमआईएम को छोड़कर राजद में शामिल होने वाले 4 विधायकों ने तेजस्वी के नेतृत्व में अपनी आस्था भी जताई.

विधानसभा उपचुनाव में भी सफलता: इसी साल राज्य के बोचहां, कुढ़नी, गोपालगंज और मोकामा में हुए विधानसभा उपचुनाव में तेजस्वी ने अपनी राजनीति के चातुर्य को भी बखूबी पेश किया. इसमें तेजस्वी को जहां बोचहां और मोकामा में सफलता मिली. वही गोपालगंज और कुढ़नी में बीजेपी ने बाजी मारी. परिणाम चाहे जो भी आए लेकिन दो जगहों पर राजद की जीत ने तेजस्वी यादव की राजनीतिक कुशलता पर और पुख्ता मोहर लगा दिया.

लंदन में तेजस्वी का संबोधन: बिहार की सत्ता में दोबारा वापसी से पहले इसी साल मई में तेजस्वी यादव विदेश भी गए और उन्होंने एक कांफ्रेंस में हिस्सा लया. दरअसल मई माह में तब बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रहे तेजस्वी यादव लंदन (Tejashwi Yadav addressed Ideas for India conference in London) गए थे. तेजस्वी को इंग्लैंड में आयोजित होने वाले आइडियाज फॉर इंडिया कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया था. इस कांफ्रेंस का आयोजन एसबीएफ और ब्रिज इंडिया के द्वारा किया गया था. एक नेता के तौर पर तेजस्वी यादव पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी सभा को संबोधित किया. हालांकि इसी साल तेजस्वी का कोर्ट से भी वास्ता पड़ता रहा. आईआरसीटीसी घोटाले में उनसे पूछताछ भी की गई. सरकारी कंपनियों की कार्यशैली को लेकर उन्होंने बयान भी दिया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट की तरफ से नसीहत भी सुनने को मिली.

Year Ender 2022
इंग्लैंड में आयोजित आइडियाज फॉर इंडिया कांफ्रेंस में तेजस्वी यादव

मंझे हुए राजनेता हो चुके हैं तेजस्वी: भले ही राजनीति में तेजस्वी की पारी बहुत ही कम समय की रही हो लेकिन इतने ही दिनों में तेजस्वी ने मंझे हुए नेता के रूप में अपने आप को स्थापित किया है. तेजस्वी की पहचान अब एक मंझे हुए राजनेता के रूप में बन चुकी है. खुद सीएम नीतीश कुमार कई मौकों पर यह बात सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि उनके बाद तेजस्वी अब आगे बागडोर संभालेंगे।. उनकी अपनी राष्ट्रीय जनता दल पार्टी में भी तेजस्वी को राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में देखा जाने लगा लगा है.

सुर्खियों में बने रहे तेजस्वी यादव: आज तेजस्वी की उम्र भले ही राजनीति में बहुत कम हो लेकिन उनके संबोधन, उनके भाषणों पर खबरें बन जाती हैं. देश-विदेश की तमाम प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तेजस्वी की बातों को सुर्खियों में लेते हैं. 2024 और 2025 में होने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में तेजस्वी की राजनीतिक चातुर्यता की असली परीक्षा होगी, जिसमें यह देखना बहुत दिलचस्प होगा कि तब तक तेजस्वी अपनी राजनीति के तरकश में कौन कौन सी तीर को संभाल के रखते हैं? जिससे वह अपने विरोधियों पर निशाना लगा सकें.

Last Updated : Dec 28, 2022, 6:00 AM IST
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