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बिहार की सियासत में यशवंत की इंट्री से बनने लगे नए समीकरण!

भाजपा के कद्दावर नेता रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में देश के वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा बिहार में 2020 के लिए सियासी आगाज करने जा रहे हैं. हालांकि राजनीति की दिशा क्या होगी और राजनीति के लिए रणनीति क्या होगी, यह सब कुछ अभी नेपथ्य में है.

SINHA
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Published : Jun 27, 2020, 10:01 AM IST

Updated : Jun 27, 2020, 10:28 AM IST

पटना: बिहार में 2020 के लिए होने वाली सपा की हुकूमत की जंग में सियासी दलों की गोलबंदी और गोलबंद हो रहे सियासी दल, अपनी-अपनी रणनीति मजबूत करने में जुट गए हैं. बिहार में महागठबंधन अपनी तैयारी में तो है. लेकिन गतिरोध भी साथ-साथ चल रहा है.

राजद और उपेंद्र कुशवाहा के साथ ही जीतन राम मांझी की पार्टी के बीच बहुत कुछ ठीक-ठाक ढंग से चल नहीं रहा है. ऐसे में एक नई सियासी सुगबुगाहट बिहार में शुरू हो गई है.

बिहार में सियासी आगाज
भाजपा के कद्दावर नेता रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा बिहार में 2020 के लिए सियासी आगाज करने जा रहे हैं. हालांकि राजनीति की दिशा क्या होगी और राजनीति के लिए रणनीति क्या होगी, यह सब कुछ अभी नेपथ्य में है. लेकिन यशवंत सिन्हा के 2020 के चुनाव के पहले बिहार में राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के कारण सियासी चर्चा शुरू हो गई है.

बिहार में सियासी चर्चा शुरू
सवाल यही है कि क्या बिहार में कोई और फ्रंट खड़ा होगा, क्योंकि दिल्ली दरबार तक दौड़ लगा चुके, मांझी की सुनवाई नहीं हुई और उपेंद्र कुशवाहा इतनी मजबूती में है नहीं कि अपनी बातों को मनवा सके. ऐसे में एक ऐसा फोरम भी खड़ा किया जा सकता है. जहां पर यह नेता अपने तरीके से चुनावी रणनीति को दिशा दे सके.

चेहरे की सियासत में उलझे महागठबंधन
चेहरे की सियासत में उलझे महागठबंधन के विरोध और चेहरे की सियासत पर जीत-हार का दावा करने का दंभ भरने वाले इन राजनीतिक दलों के लिए यशवंत सिन्हा सियासत में एक नई राह देख सकते हैं. लेकिन इन सभी चीजों पर से सियासी पत्ता तब खुलेगा जब यशवंत सिन्हा अपनी नीति को जनता के बीच रखेंगे.

पटना: बिहार में 2020 के लिए होने वाली सपा की हुकूमत की जंग में सियासी दलों की गोलबंदी और गोलबंद हो रहे सियासी दल, अपनी-अपनी रणनीति मजबूत करने में जुट गए हैं. बिहार में महागठबंधन अपनी तैयारी में तो है. लेकिन गतिरोध भी साथ-साथ चल रहा है.

राजद और उपेंद्र कुशवाहा के साथ ही जीतन राम मांझी की पार्टी के बीच बहुत कुछ ठीक-ठाक ढंग से चल नहीं रहा है. ऐसे में एक नई सियासी सुगबुगाहट बिहार में शुरू हो गई है.

बिहार में सियासी आगाज
भाजपा के कद्दावर नेता रहे और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्त मंत्री रहे यशवंत सिन्हा बिहार में 2020 के लिए सियासी आगाज करने जा रहे हैं. हालांकि राजनीति की दिशा क्या होगी और राजनीति के लिए रणनीति क्या होगी, यह सब कुछ अभी नेपथ्य में है. लेकिन यशवंत सिन्हा के 2020 के चुनाव के पहले बिहार में राजनीतिक रूप से सक्रिय होने के कारण सियासी चर्चा शुरू हो गई है.

बिहार में सियासी चर्चा शुरू
सवाल यही है कि क्या बिहार में कोई और फ्रंट खड़ा होगा, क्योंकि दिल्ली दरबार तक दौड़ लगा चुके, मांझी की सुनवाई नहीं हुई और उपेंद्र कुशवाहा इतनी मजबूती में है नहीं कि अपनी बातों को मनवा सके. ऐसे में एक ऐसा फोरम भी खड़ा किया जा सकता है. जहां पर यह नेता अपने तरीके से चुनावी रणनीति को दिशा दे सके.

चेहरे की सियासत में उलझे महागठबंधन
चेहरे की सियासत में उलझे महागठबंधन के विरोध और चेहरे की सियासत पर जीत-हार का दावा करने का दंभ भरने वाले इन राजनीतिक दलों के लिए यशवंत सिन्हा सियासत में एक नई राह देख सकते हैं. लेकिन इन सभी चीजों पर से सियासी पत्ता तब खुलेगा जब यशवंत सिन्हा अपनी नीति को जनता के बीच रखेंगे.

Last Updated : Jun 27, 2020, 10:28 AM IST
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