नई दिल्ली : संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सोमवार को कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) और विपक्षी दल संसद में गतिरोध दूर करने के लिए सहमत हो गए हैं तथा मंगलवार से दोनों सदनों में सुचारू तरीके से कामकाज होगा.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बैठक की जहां गतिरोध खत्म करने में सफलता मिली. बैठक में शामिल रहे रीजीजू ने मीडिया से कहा कि निचले सदन में 13 और 14 दिसंबर को और उच्च सदन में 16 और 17 दिसंबर को संविधान पर चर्चा होगी.
#WATCH | Lok Sabha Speaker Om Birla called a meeting of all Floor Leaders in his chamber this afternoon.
— ANI (@ANI) December 2, 2024
Lavu Sri Krishna Devarayalu - TDP, Gaurav Gogoi- Congress, T R Baalu -DMK, Supriya Sule - NCP, Dharmendra Yadav - SP, Dileshwar Kamait- JD(U), Abhay Kushwaha - RJD, Kalyan… pic.twitter.com/hMwgV3sShu
विपक्षी दलों ने संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की मांग की थी. रीजीजू ने उम्मीद जताई कि मंगलवार से संसद सुचारू रूप से चलेगी.
गत 25 नवंबर से आरंभ हुए संसद के शीतकालीन सत्र में अब तक गतिरोध बना हुआ था. कांग्रेस सदस्य अडाणी समूह से जुड़े मामले को उठा रहे थे, वहीं सपा सांसद संभल हिंसा के मामले पर चर्चा की मांग कर रहे थे.
#WATCH | Delhi: Union Minister Kiren Rijiju says, " today, a meeting of all-party floor leaders was held with speaker (om birla) today. since a few days there has been a deadlock in the parliament, everyone has expressed their concerns over it. we too said that all elected… pic.twitter.com/L4Tdmp4SoN
— ANI (@ANI) December 2, 2024
हालांकि, कुछ अन्य विपक्षी दलों, खासकर टीएमसी ने अडाणी विवाद को उतनी प्राथमिकता नहीं दी है और वे चाहते हैं कि संसद में बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और केंद्र द्वारा धन आवंटन में विपक्ष शासित राज्यों के साथ कथित भेदभाव सहित कई अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा हो. टीएमसी ने सत्र के दौरान भारत ब्लॉक की संयुक्त रणनीति तैयार करने के लिए विपक्षी बैठकों को छोड़ दिया है.
वहीं कांग्रेस और उसके कई सहयोगी दल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के तहत कांग्रेस पर कथित हमले के लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधने में मुखर रहे हैं. दूसरी ओर, भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल को सत्ता में रहने के दौरान संवैधानिक मानदंडों और भावना का प्रमुख उल्लंघनकर्ता के रूप में पेश किया है, और जोर देकर कहा है कि मोदी सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल के दौरान संवैधानिक प्रथाओं और सिद्धांतों को मजबूत किया है.
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