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Shardiya Navratri 2022: तीसरे दिन करें मां चंद्रघंटा की पूजा, इस विधि व नियम के बिना व्रत का नहीं मिलेगा फल

नवरात्रि का त्योहार (Festival of Navratri) 26 सितंबर से शुरू है. नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों के पूजन का विधान है. वहीं, आज तीसरे दिन मां दुर्गा के मां चंद्रघंटा रूप का पूजन होता है. आइये जानते हैं मां चंद्रघंटा के पूजन का विधि-विधान और मंत्र.

नवरात्र का तीसरा दिन
नवरात्र का तीसरा दिन
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Published : Sep 27, 2022, 10:17 PM IST

Updated : Sep 28, 2022, 6:10 AM IST

पटना: शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri In Patna) के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. आज का दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरुपों की पूजा करने का विधान है.

ये भी पढ़ें- सीने पर 21 कलश : 9 दिन का निर्जला उपवास, हठयोग के सामने मेडिकल साइंस भी हैरान

नवरात्र का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी होता है. बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला होता है और माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान होता है. आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं. ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है.

नव दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा: आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि माता के गले में सफेद फूलों की माला शोभा बढ़ाती है और देवी दुर्गा का यह स्वरूप बाघ की सवारी करता है. चंद्रघंटा मां की 10 भुजाएं हैं. मां भगवती के यह रूप को साहस और वीरता का अहसास कराता है. यह मां पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है.

चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की​ विधि विधान से इस मंत्र 'ऊं देवी चन्द्रघण्टायै नमः' का जाप कर आराधना करनी चाहिए. इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें. देवी मां को चमेली का पुष्प या कोई भी लाल फूल अर्पित कर सकते हैं. साथ ही साथ, दूध से बनी किसी मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ और दुर्गा आरती का गान करें.

"आज नवरात्र के तीसरे दिन हमलोग माता चंद्रघंटा का पूजा करते हैं, जो माता अपने मस्तक पर चंद्र विराजमान की हुई हैं और चंद्रमा के समान ज्योति उनके मुखाबिंद पर निखर रही है. माता शेर पर सवार रहती है, चार भूजा वाली रहती है, लाल वस्त्र धारनी की हुई रहती है. माता हर समय प्रसंचित रहने वाली होती है. जो भक्त उनकी पूजा करता है, वो सुखी रहता है. लाल फूल से उसकी पूजा की जाती है. जो आपसे बने उसका भोग लगाएं, दुर्गा पाठ करें और आरती करें."- रामाशंकर दुबे, आचार्य

सर्व बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः, मनुष्यो मतप्रसादेन भविष्यति न संशय

पुराने कथा के अनुसार जब सृष्टि पर असुरों का आतंक बढ़ गया था, तो उन्हें सबक सिखाने के लिए मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप में अवतार लिया था. वहीं, दैत्यों का राजा महिषासुर राजा इंद्र का सिंहासन हड़पना चाहता था. जिसके लिए माता को यह रूप धारण करना पड़ना था.

मां चंद्रघंटा पूजा के नियम

  1. मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए श्रद्धालुओं को प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थल पर संकल्प ले. उसके बाद विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
  2. मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध से बनी चीजों का भोग जरूर लगाए. मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए. पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए. इससे मां अति प्रसन्न होती हैं.
  3. मां के पूजन के समय श्रद्धालुओं को सुनहरे या पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. इससे माता भक्तों पर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देती हैं.
  4. मां की पूजा के इस मंत्र- पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। का जाप अवश्य करना करना चाहिए.
  5. मां को खुश करने के लिए सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करना चाहिए.
  6. मां की पूजा के बाद कन्याओं को दूध में बनी खीर खिलाएं. इससे मां अति प्रसन्न होती है.

ये भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2022 : इस बार हाथी पर सवार होकर आ मां दुर्गा, जानें शुभ या अशुभ हैं इसके संकेत?

पटना: शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri In Patna) के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. मां दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम चंद्रघंटा है. मां चंद्रघंटा का स्वरूप परम शान्तिदायक और कल्याणकारी है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की आराधना की जाती है. आज का दिन भय से मुक्ति और अपार साहस प्राप्त करने का होता है. नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरुपों की पूजा करने का विधान है.

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नवरात्र का तीसरा दिन: माता चंद्रघंटा का स्वरूप परम शांति दायक और कल्याणकारी होता है. बाघ पर सवार मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला होता है और माता के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र विराजमान होता है. आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं. ये अपने हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती हैं. भक्तों के लिए माता का ये स्वरूप सौम्य और शांत है.

नव दुर्गा का तीसरा स्वरूप चंद्रघंटा: आचार्य रामाशंकर दुबे ने बताया कि माता के गले में सफेद फूलों की माला शोभा बढ़ाती है और देवी दुर्गा का यह स्वरूप बाघ की सवारी करता है. चंद्रघंटा मां की 10 भुजाएं हैं. मां भगवती के यह रूप को साहस और वीरता का अहसास कराता है. यह मां पार्वती का रौद्र रूप माना जाता है.

चंद्रघंटा स्वरूप की पूजा विधि: नवरात्रि के तीसरे दिन माता दुर्गा के चंद्रघंटा स्वरूप की​ विधि विधान से इस मंत्र 'ऊं देवी चन्द्रघण्टायै नमः' का जाप कर आराधना करनी चाहिए. इसके बाद मां चंद्रघंटा को सिंदूर, अक्षत्, गंध, धूप, पुष्प आदि अर्पित करें. देवी मां को चमेली का पुष्प या कोई भी लाल फूल अर्पित कर सकते हैं. साथ ही साथ, दूध से बनी किसी मिठाई का भोग लगाएं. पूजा के दौरान दुर्गा चालीसा का पाठ और दुर्गा आरती का गान करें.

"आज नवरात्र के तीसरे दिन हमलोग माता चंद्रघंटा का पूजा करते हैं, जो माता अपने मस्तक पर चंद्र विराजमान की हुई हैं और चंद्रमा के समान ज्योति उनके मुखाबिंद पर निखर रही है. माता शेर पर सवार रहती है, चार भूजा वाली रहती है, लाल वस्त्र धारनी की हुई रहती है. माता हर समय प्रसंचित रहने वाली होती है. जो भक्त उनकी पूजा करता है, वो सुखी रहता है. लाल फूल से उसकी पूजा की जाती है. जो आपसे बने उसका भोग लगाएं, दुर्गा पाठ करें और आरती करें."- रामाशंकर दुबे, आचार्य

सर्व बाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः, मनुष्यो मतप्रसादेन भविष्यति न संशय

पुराने कथा के अनुसार जब सृष्टि पर असुरों का आतंक बढ़ गया था, तो उन्हें सबक सिखाने के लिए मां दुर्गा ने अपने तीसरे स्वरूप में अवतार लिया था. वहीं, दैत्यों का राजा महिषासुर राजा इंद्र का सिंहासन हड़पना चाहता था. जिसके लिए माता को यह रूप धारण करना पड़ना था.

मां चंद्रघंटा पूजा के नियम

  1. मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए श्रद्धालुओं को प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर पूजा स्थल पर संकल्प ले. उसके बाद विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
  2. मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध से बनी चीजों का भोग जरूर लगाए. मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए. पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए. इससे मां अति प्रसन्न होती हैं.
  3. मां के पूजन के समय श्रद्धालुओं को सुनहरे या पीले रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए. इससे माता भक्तों पर प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देती हैं.
  4. मां की पूजा के इस मंत्र- पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।। का जाप अवश्य करना करना चाहिए.
  5. मां को खुश करने के लिए सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करना चाहिए.
  6. मां की पूजा के बाद कन्याओं को दूध में बनी खीर खिलाएं. इससे मां अति प्रसन्न होती है.

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Last Updated : Sep 28, 2022, 6:10 AM IST
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